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Mast Veer Mandare
badboli billi B रिश्ता कई लोगों से होता है, पर कोई दिल से निभाता है, तो कोई नफरत से निभाता है… #NojotoQuote रणवीर veercopyrite
Anil Ray
आधे-अधूरे, कटे-फटे कपड़ों को फैशन नही कहते साहब! कभी राजस्थान आकर देखो, यह, फैशन क्या होती है। ©Anil Ray #फैशन
Shiv Shankar Yadav
रणवीर एंड दीपिका ©Shiv Shankar Yadav रणवीर एंड दीपिका
Shishpal Chauhan
वाह! रे वाह! फैशन, जिसे देखकर माता-पिता को सदा रहती टेंशन। लिए हाथ में फोन, इनको समझाए कौन? बच्चों के बोलने की रहती गलत टोन। चला शेल्फी का दौर, फोन के शिवा अच्छा न लगे कोई और। खुली जुल्फें खुले बाल, हो गया है सबका बुरा हाल। घर से निकले लगाकर सेंट, आधा कुर्ता आधी पेंट। जैसे चढ़ गए हो गरीबी की भेंट, सबको दिखाए अपना पेट। पता नहीं चलता नर है या नारी, फैशन की भेंट चढ़ गई दुनिया सारी। सही बात भी लगे इनको खारी, बेशर्मी की हदें पार कर दी सारी। फोन का गलत इस्तेमाल हो रहा है, इंसान ,इंसान से दूर हो रहा है। ©Shishpal Chauhan # फैशन
Rishipal Bhati
या फैशन ने अंत तार दई लग रही आग घरानो मे बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में बेशर्मी ने करवट बदली कलयुग कू समझान लगी आधो दीखे गात उघाड़ो मने देख शर्म सी आन लगी कहीं जींस की पैंट फटी या निक्कर में काम चलाय रहे नही दुपट्टा तन पे पावे अब सीनो साफ दीखाए रहे जनरेशन कू भाय रहे अब जाते क्यू मयखानो मे बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे इज्जत बारह बाट हुई है यू नो वापस आने की मां बापू खुद नही समझते बात करे समझाने की माथे की बिंदिया ले डुबो अब मांग सिंदूरी नोय पावे पैर के बिछवा गायब है गए ये धोती टीपी नोय भावे बाखल बैठक नोय पावे अब रहवे मरद जनानो मे बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में सुल्पा गांजा दारू पीते होटल मे खाना खाते है गाउरमेंट ने दई सुविधा ओयो मे रात बिताते है खानो और कमानो छोड़ो हां लूट खसोटी करन लगे दूध दही अब नही दीखते हां पीजा बरगर भरण लगे नई उमर में मरण लगे लगे चक्कर चौकी थानो मे बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे ऋषिपाल भाटी ©Rishipal Bhati #फैशन
Sangam Ki Sargam
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आपके कपड़े बहुत मायने रखते हैं। विद्यालय में जब हम एक दिन भी घर वाली ड्रेस में जाते थे तो असहज महसूस करने लग जाते थे। क्योंकि उस वक़्त हम पर वो ड्रेस कोड जो विद्यालय द्वारा निश्चित किया गया वही हमारे लिए उचित होता है। विद्यालय के बाद एक दौर आया फ़ैशन का। खूब फैशन करो दौर है मनाही थोड़ी है फ़ैशन करने की पर वही फ़ैशन चुनो जो अंदर से सहज , आत्मविश्वास से परिपूर्ण करे । वो कपड़े मत चुनो जो खुद में हजार सवाल पैदा कर देते हैं। खूबसूरती चेहरे से नही दिल से होती है और आत्मविश्वास महंगे कपड़ो या ज्यादा डिज़ाइनर कपड़ो से नही बल्कि खुद पे सूट करने वाले कपड़ो से बढ़ता है। कभी ऐसा सुना कि किसी ने आपको यह तंज किया हो कि आप पर विद्यालय कोड नही जंचता या आप पर ऑफिस ड्रेस नही जँचती, नही ना। कपड़ो की अलमारी में 50 जोड़ी कपड़े होंगे पर आप के 5 जोड़ी कपड़े ऐसे होंगे जिन्हें आप ज्यादा लगाव देते होंगे। क्योंकि आप उनमे सुंदर भी लगते हैं , सहज भी लगते हैं। जलने वाले तो तब भी आपको यही कहेंगे ये क्या पहना है। आपकी उम्र कपड़े decide नही करे बाकी आप decide करो कि पहनना क्या है। #वस्त्र#फैशन