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Radha Chandel
चाय में अगर अदरक ज्यादा हो जाए तो चाय पी जा सकती हैं पर चीनी ज्यादा हो जाए तो नही पी जा सकती है लोगो का भी ऐसा ही है अगर कड़वा बोल रहे है तो डरने की जरूरत डरने की जरुरत तो मीठा बोलने वालो से है।। ©Radha Chandel #चाय
a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e
पानी🤍 "में पानी सी वो चायपत्ती सा जानती हूँ वो मुझमें ज़ब भी समायेगा मेरा अस्तित्व ही नहीं मेरा नाम भी बदल जायेगा" चाय🤍 © a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e #चाय
"सीमा"अमन सिंह
कड़वी मगर ये ज़ुबां पर मिठास लाई है, दुनिया को जोड़ने वाली वो चाय आई है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #चाय
prashant farrukhabadi
White इश्क़ मुक़म्मल हो मैं ये वादा नहीं करता हद से ज्यादा मैं खुद से इरादा नहीं करता । तू तो मुझको अपनी जान समझती है किस मुंह से कह दूं कि नाता नहीं रखता। बड़ी फरेबी है दुनिया सारी खुद को समझा ले इश्क़ में रहकर कोइ शादी का वादा नहीं करता। ©prashant farrukhabadi #sad_shayari #SAD ##ग़ज़ल
sad_shayari SAD #ग़ज़ल
read moreHussain Raza
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस सुबह क्यों न चाय के साथ तुमको भी पिया जाय ©Hussain Raza #SunSet #चाय #सुबह
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash दिसंबर की धुंध में खोई फिज़ा, ठंडी हवाओं का छूना सज़ा। एक कप चाय की चाहत लिए, रातों ने जाग कर ख्वाब पिए। सहमी हुई रात, खामोश गगन, नयी सुबह का हो संग लगन। आंखें इंतजार में थम सी गईं, सपनों की लहरें थमने लगीं। पर जब सुबह की दस्तक हुई, धुंध के परदे भी हल्के हुए। सूरज ने हौले से मुस्का दिया, जीवन में उजियारा भर दिया। अब दिल में न कोई डर रह गया, हर ख्वाब को पंख मिल गया। यह सुबह है, नई शुरुआत है, जीवन में फिर से मधुमास है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #चाय #chai
Shiva Sarika
Unsplash चाय सा कहां कोई हैं साहेब चाय का नशा करने वाले से पुछों जिसके बिना सुबह की शुरुआत नहीं होती बिना पीएं शाम नहीं ढ़लती ©Shiva Sarika #चाय
- Arun Aarya
जिस पेड़ पर हृदय के आकार के अंदर तुम्हारा मेरा नाम लिखा था , उस पेड़ के कटी लकड़ी से आज चूल्हें पर चाय बनाई है मैंने। - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #GingerTea #चाय
Lalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreMayuri Bhosale
शायरी चाय लव्हर.... जिसने चाय को ठुकरा दिया फिर उसने जिंदगी मे आके क्या किया कहते है लत लगी है इसकी हमें एक प्याली लेकर देखो फिर बताओ कैसे लगता है तुम्हे सुबह की शुरुवात का तुम बने हो मेरे बुक का कव्हर हर समस्या की दवा है ये आप भी बन जाओ चाय लव्हर . ©Mayuri Bhosale #चाय लवर
#चाय लवर
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