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"सीमा"अमन सिंह
New Year 2024-25 कुछ पल आखिरी साल के, जैसे शाम की आखिरी किरण के। बीते पलों का हिसाब लिए, आने वाले कल का सपना जिए। जो छूटा, उसे सहेज रखा, जो पाया, उसे हृदय में रखा। खुशियों के किस्से, ग़मों के साए, सबने मिलकर यह साल बनाए। अब नए पन्ने लिखने हैं, सपनों को फिर से बुनने हैं। इस आखिरी पल में बस इतना कहें, शुक्रिया बीते साल, फिर मिलेंगे। ©"सीमा"अमन सिंह #NewYear2024-25 #banarasi_Chhora
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Unsplash दिसंबर की धुंध में खोई फिज़ा, ठंडी हवाओं का छूना सज़ा। एक कप चाय की चाहत लिए, रातों ने जाग कर ख्वाब पिए। सहमी हुई रात, खामोश गगन, नयी सुबह का हो संग लगन। आंखें इंतजार में थम सी गईं, सपनों की लहरें थमने लगीं। पर जब सुबह की दस्तक हुई, धुंध के परदे भी हल्के हुए। सूरज ने हौले से मुस्का दिया, जीवन में उजियारा भर दिया। अब दिल में न कोई डर रह गया, हर ख्वाब को पंख मिल गया। यह सुबह है, नई शुरुआत है, जीवन में फिर से मधुमास है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #चाय #chai
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash विज्ञान कहता है हृदय एक मिनिट में 72 बार धड़कता है, तुम्हारा मेरे करीब आना विज्ञान की धज्जियां उड़ा देता है।। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #camping
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash खुद को मौका देना बेहद जरूरी, खुद पर ऐतबार करना जरूरी। हर ठोकर से कुछ सीख लेना, जिंदगी से प्यार करना जरूरी। जो बीत गया, उसे भुला दो, हर पल को जीना सीख लो। ख्वाबों को परवाज़ देना जरूरी, खुद को पहचानना जरूरी। ©"सीमा"अमन सिंह #Book #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash तू हमें उन दिनों में क्यों नहीं मिला, जब ज़माना न इतना ख़फा था, न गिला। जब हमारी नज़र में थे ख्वाब नए, और दिल में था बस मोहब्बत का सिलसिला। वो गली, वो चौराहे बुलाते रहे, तेरे आने की आहट सुनाते रहे। हम खड़े थे वहीं बेसबब उम्र भर, तू मगर रास्ते ही बदलता रहा। आज मिलता तो शायद कुछ और बात थी, दर्द कम, और दिलों में मुलाकात थी। अब तो बस ये ग़म है, सवालों का बोझ, तू हमें उन दिनों में क्यों नहीं मिला? ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash सुनो जाना, दिसंबर फिर से जा रहा है, तेरी यादों का मौसम लिए आ रहा है। वो दहलीज़ जहां तुमसे मिलना हुआ, हर कोना वो आँखों में लाए जा रहा है। चाँदनी रातों में बातों का सिलसिला, ठंडी हवाओं का वो पहला नशा। तेरे स्पर्श की गर्मी, वो ख़ामोश पल, दिल के अंदर कुछ जलाए जा रहा है। तुम्हारी हँसी के साए में जो दिन गुज़रे, उन लम्हों की खुशबू चुरा रहा है। पर हर जुदाई में छुपा है एक वादा, नया जनवरी तुम्हें बुला रहा है। सुनो जाना, ये पल को संभाल कर रखो, दिसंबर तो बस कहानी सुना रहा है। वो बीते दिनों की किताब का सफ़ा, नई उम्मीदें लिखने का हौसला बढ़ा रहा है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora