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Kishan Prajapat
अरे जनाब वह तो मन ही तो था जो आपके खयालो मैं खोया हुआ रहता था लेकिन यह मेरा दिल है जो आप ही की या दो मैं धड़कता है ©Kishan Prajapat दिल की आवाज दिल की आवाज #guru
नन्हीं कवयित्री sangu...
अब तो मेरी कलम ने भी जवाब दे दिया..... 🖋️🖋️📝🖋️🖋️ ""थम जा नन्हीं और कितना रुलावेगी... मैं तो शिक्षा का जरिया हूं तू और कितना दर्द लिखवावेगी...। स्याही पेंदे पे आली, अब क्या मुझे नम आंखों से चलावेगी ..।। सांस थमी है , हाथ कांप रहे तेरे बस कर अब क्या नीभ तुड़वावेगी...। गुरु , शिष्य सा रिश्ता है कवि कलम का अब क्या मेरे जरिए मौत का पाप करवावेगी.....।। रुक नन्हीं ! .....बता , ... क्यों खता है तू दुनियां से ? क्या अपनी कलम को भी नहीं बतावेगी.....। बस कर कमली मुझसे और कितने बेनाम पैगाम लिखवावेगी....।।"" .................................... ©नन्हीं कवयित्री sangu... #कलम की आवाज
Anjani Giri
तेरी यादों में यूं खो जाया करे, नाम अपना लिखे तेरा आया करे। इस जमाने की मुझको न परवाह रहे, जब उठाए नजर तुमको पाया करे।। ©Anjani Giri दिल की आवाज
aarti rathod
जिसकी आवाज बुलंद है, वही ऊंचाइयों की बुलंदी को छू सके। ©aarti rathod आजादी की आवाज
Aasif
इश्क मोहब्बत क्या जाने इश्क मोहब्बत बेदर्दी दिल के टुकड़े करते जाए इश्क क्या जाने बेदर्दी आप का अपना आसिफ ©Aasif दिल की आवाज
Ayush Ji
मुझे कुछ अफसोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था मैं उस वक्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ©Ayush Ji दिल की आवाज
Niranjana Verma
मंदिरों में आरती की तेज आवाज मस्जिदों में नवाज और गिरिजाघर में प्रार्थना लोगों द्वारा सुनी जाती हैं परमेश्वर द्वारा नही परमेश्वर तो मौन कि आवाज सुनता है जो हमारे अनुभाग से निकलती है ©Niranjana Verma मौन की आवाज
R Mishra
'रिश्ते' ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं। जिसे मिलते हैं उसे कद्र नहीं, जिसे कद्र है उसे मिलते नहीं। किस रिश्ते को कहूँ अपना! जो खून का है उसे या जो दिल का है उसे। खून से बने रिश्ते अपना-अपना करने में ही टूट जाते हैं, दिल के रिश्ते अपना बनाने में जीवन बिता देते हैं। जिसे बनाने में हम अपनी उम्र गुजार देते हैं आखिर में वही पीछा छुड़ा लेते हैं। जो होते हैं पराए वे अपने बन जाते हैं, जो होते हैं अपने वे बेगाने बन जाते हैं ।यह रिश्तों का दस्तूर है साहब! ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं.……........2 शुक्रिया! दिल की आवाज! ©R Mishra दिल की आवाज!
Satyavan Singh
आज एक तस्वीर को आवाज देते देते, खुद आवाज बन गया । उस आवाम का, जो गरीबी,मुफलिसी और मुश्किलों में, जी रही थी। लोकतंत्र के हुक्मरान पार्लियामेंट में थे, मैं सड़कों पर था। उनकी मुफलिसी और शोषण को , प्रतिरोध की आवाज दे रहा था। उनके संघर्षो को अपनी आवाज से, नई धार दे रहा था। तभी तो उनकी आवाज बन पाया, नए दौर में इंकलाब ला पाया। ©Satyavan Singh अवाम की आवाज