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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White अजी देखिये क्या गज़ब ढ़ा रहा है कहां से कहां आदमी जा रहा है...! न आगे की सुध न पीछे ख़बर है नशा शौहरतों का गज़ब छा रहा है उठाता है जोखिम न डरता ख़ुदा से जहन्नुम के रस्ते चला आ रहा है नहीं पूछता अब कोई भी किसी से कहाँ से वो कैसे कमा ला रहा है.. घरों में ठहरते नहीं पाँव पल भर न जाने कहाँ को ठिकाना रहा है..! कमाने को घर से निकलते सभी हैं मगर कोई कोई बचा पा रहा है..! लहू पे लहू दौड़ता अब नहीं है लहू ही लहू से लुटा जा रहा है..! दिखावों की दुनिया बड़ी रास आये दिखावों में ख़ुद ही मिटा जा रहा है..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #नशा
Naimuddin
Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरना हराम हो गया।। ©Naimuddin मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
तेरे गुमसुम होने की वजह हूं क्या तेरे उदास चेहरे की सजा हूं क्या #emotional_sad_shayari love
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मुँह चिढ़ाती योजनाएं नीतियां कब्र खोद रही मुद्रा का स्तर डांवाडोल हो गया मंहगाई का दम रुपया अब चौरासी में एक डॉलर को चुनता है सरकारे चुनने का परिणाम जनता को हर दम भुगतना पड़ता है समस्याओं का कारण, सियासतें है जो विभाजन कौमो और धर्मो में करती है निर्भरता जनता की,सरकारों पर बढ़ा दी भर भर कर लूटा जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning मुद्रा का स्तर डावाडोल हो गया
#GoodMorning मुद्रा का स्तर डावाडोल हो गया
read moreShishpal Chauhan
आजकल का बेटा नशे का आदी, ऐसे में बच्चों की कैसे होगी शादी। नशा है घर की बर्बादी, शादी नहीं तो कैसे बढ़ेगी आबादी। ले बैठा आदमी को चिट्टा, घर-परिवार को रहती हरदम चिंता। कैसे आगे वंश बढ़ पाएगा, उम्र से पहले ही मौत को गले लगाएगा। मातम फिर घर में पसर जाएगा, पिता कैसे अकाल मृत्यु को भूल पाएगा। आजकल की युवा पीढ़ी, जिसने पकड़ ली है गलत सीढ़ी। मरने के लिए है उतारू, पीते हैं चाहे ढोला हो या मारू। गलियों की खाक छानते फिरते, लाज-शर्म से वे नहीं डरते। रिश्ते-नाते सब भूल जाता है, गलत कृत्य करने से भी डरता है। स्मैक हो या अम्ल, अभी शुरू कर दो उस पर अमल। वरना असमय मृत्यु के मुंह में चले जाओगे, हीरा-सा जीवन गंवाओगे । इसलिए चौहान सर करते हैं सबसे अनुरोध, इस्तेमाल करो अपना बोध। नशा दूर भगाना है, जीवन को बचाना है। खुशियां लेकर आना है, अपना जीवन सफल बनाना है। मानव जीवन दुबारा न पाओगे, वादा करें अपने माता-पिता का दिल नहीं दिखाओगे। ©Shishpal Chauhan "नशा"
"नशा"
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