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ashish gupta
AwadheshPSRathore_7773
Rupam Jha
आदम ही आदम का रक्तपान कर रहा है यहां, क्या राजनीति में नरसंहार जरूरी है? जीत हार की सियासी जंग में एक इंसान ज़िन्दगी हार गया। अभी प्रमाणित तो नहीं हुआ कि हत्या का क्या कारण था पर प्रथम दृष्टया लगता है कि सियासी जं
writer girl
संसद भवन एक स्कूल Full piece in caption ©writer girl संसद भवन भी एक स्कूल है, जहा राहुल गांधी जैसा बेक बेंचर होता, जहा संजय राउत जैसे नॉटी बच्चा, स्मृति ईरानी जैसी एक होनहार छात्रा, मोदी जैसा च
Shilpa yadav
भटकते हुए एहसास समेटने के चक्कर में अक्सर भटकते हैं लोग,चींटी जैसे शक्कर में ©Shilpa yadav #JodhaAkbar #आंगन #स्मृति#स्मृति
Savita Suman
#स्मृति तुम्हारी स्मृति को भूला दूं कैसे यही तो जीवन का आधार है सुख दुःख के हर एक पल को अश्कों से लिखा मैंने संसार है ©Savita Suman #स्मृति
डाॅ राजेश हालुवासिया
उनके साथ बिताए पलों की यादों के कारवां का वो कारिंदा मैं ही हूॅ। मेरे ख्वाबों का क्या, उनके ख्वाबों से अपने दिल को जलाए वो कारिंदा मैं ही हूॅ। उनकी हसरतों को ताज सा सा सजाए वो कारिंदा मैं ही हूॅ। उनके लिखे हुए खतों को आज तक अपने जहन में समाए वो कारिंदा मैं ही हूॅ। वो मिले तो नहो पर उनके मिलने की आश लगाए वो कारिंदा मैं ही हूॅ। स्मृति
Amit Singhal "Aseemit"
बचपन में अंकित हो जाती है, मानस पटल पर जो स्मृति। वही जीवन को बना जाती है, वीभत्स या सुंदर कलाकृति। ©Amit Singhal "Aseemit" #स्मृति
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##स्मृतियों के पन्नों से## वाणी के तीक्ष्ण शरों से जब ये हृदय बिंध हो जाता है तुम याद स्वयं आ जाती हो रह -रह कर कर मन अंकुलाता है तुम बिन रोना भी चाहूँ तो मैं किसके अंक शीश रख दूं अंतस की विकल उदासी को कैसे स्मित पट से ढक दूं मालूम है तुम न आओगी दुनिया की इन दहलीजों पर लेकिन हर बार हृदय मेरा- पागल सा तुम्हें बुलाता है मन कभी कभी थक जाता है दुनिया की दुनियादारी से शीतल सा मन जल उठता है आघातों की चिंगारी से जब प्राणों की सारी कविता यूँ ही उदास हो जाती है जब निर्निमेष बोझिल आंखों में शून्य क्षितिज भर आता है तुम को खोया तो है मैंने लेकिन इक अनुभव पाया है शाश्वत आखिर क्या है जग में जाएगा जो भी आया है मैं शोक नहीं करती फिर भी यादें हैं😔😔 आ ही जाती हैं जब यह मासूम हृदय मेरा दुनिया में ठोकर खाता है इक अरसा गुजर गया लेकिन सब कल जैसा ही लगता है तुम अभी -अभी क्या चली गई हो कुछ ऐसा ही लगता है तुम स्वप्नों में भी मौन सत्य का इक संबल दे जाती हो "स्नेह" तुम्हारे बंधन में मन सुखपूरित दुख पाता है __अभिलाषा पाण्डेय "स्नेह" ©abhilasha pandey #स्मृति#