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Neha Pant Nupur
पहले शर्मा जी का लड़का फिर अग्रवाल जी का लड़का । जिस दिन फलां की लड़की और फलां की बहु उतनी ही खुशी के साथ कहा जायेगा उस दिन का इंतजार रहेगा ।। ©Neha Pant Nupur फलां की लड़की फलां की बहु 🌸#women #Agrawal #equality
Amit Tiwary (Muntashir Soul)
ख़ुद को बुरा कहूं,भला कहूं, अच्छा करूं, बुरा करूं मसला ये है कहां करूं,किस से कहूं और क्यों कहूं? ये खुद के मसले है, खुद ही निपटना है इनसे, इसमें क्या बुरा मानू, फलां ठीक नही ये क्यों कहूं? ©Muntashir Soul फलां की बातें। "अब्र" 2.0 Internet Jockey Anshu writer Neha Tiwari ABRAR
writervinayazad
✍️✍️ वो जो खासियत थी वही दर्द है फलां शख्स सबका क्यूं हमदर्द है ©writervinayazad ✍️✍️ वो जो खासियत थी वही दर्द है फलां शख्स सबका क्यूं हमदर्द है #writervinayazad #हमदर्द
पागल_ग्वार
हर माफी ग़लतियों से मनसूब नहीं होती,,,, बाज़ माज़रत रिश्तों की अस्मत के लिए होती है.. ✍️ الفاظ ے جمشید ✍️ (kku@) ©Jamsheed Safeer #मनसूब=संबधित माफी मांगने का कतई ये मतलब नहीं कि फलां व्यक्ति ग़ुनहग़ार है उसके लिए रिश्ता अहम है गलत साबित होने से कई ज़्यादा #احساس_ے_جمشی
Shivank Shyamal
मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया। गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।। तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था। इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।। हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर। मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।। तुम्हारे हाथों में इश्क़ की घड़ी मैंने बांधी। क़िस्मत देखो वक़्त रकीब का आ गया।। बिछड़ना ही सबकी लकीरों में लिखा है। याद वही आता जो मोहब्बत निभा गया।। ©Shivank Shyamal मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया। गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।। तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था। इतनी देर में तुमतक कोई और आ
स्वतन्त्र यादव
कुछ ख़ुशियां कुछ आंसू दे कर टाल गया जीवन का इक और सुनहरा साल गया ये यूं तो इक रस्म-ए-जहां है जो अदा होती है वरना सूरज की कहां सालगिरह होती है हसीन चेहरे की ताबिंदगी मुबारक हो तुझे ये जन्मदिन की ख़ुशी मुबारक हो Dedicating a #testimonial to Neha जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं पहले तो, में महादेव से प्रार्थना करूंगा तुम्हें जीवन में वो सब मिले
Daily5news
इल्म के बिना इंसान दीन और दुनिया से अनजान रहता है कुमारखंड(मधेपुरा)इकबाल राजा- प्रखंड के मदरसा फलांहुल मुस्लमीन यदुआपट्टी में एक दिवसीय दस
यशवंत कुमार
मेरा मन यायावर,! राजा हैं, रजवाड़े हैं; मंदिर, मस्जिद, अखाड़े हैं,! जो गले तक खाए हैं, वो भी तो मुँह फाड़े हैं,! मरता याचक एक मुट्ठी को, कोई तो झाँके बाहर,! मेरा मन यायावर,!! Read full poem in caption. मेरा मन यायावर,! अपनी ही धुन में मस्त, कभी उत्तेजित कभी पस्त कभी यहाँ कभी वहाँ, सदा करता रहता गश्त सोचा कहाँ कभी इसने, कहाँ ले जाती है डगर
दि कु पां
कृपाया अनुशीर्षक में पढ़े.. आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण है.. जिम्मेदारियों के अहसास में, कर्त्तव्यों के बोध में, उदर क्षुधा को शांत करने के प्रयास में, मृत्यु रथ में घोड़े की तरह जुता, जिंदगी की अंधेर
Pnkj Dixit
जाति-धर्म-पंथ 💝 आज की कविता 👇 *जात* जब हम किसी अनजान व्यक्ति से पूछते हैं कि "कौन धर्म जात हो ?" तो वो इस तरह से देखेगा जैसे पाकिस्तान भारत को देखता है । लेकिन वही व्यक्