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Mamta kumari
देख़ो चैत्र महीना आया संघ अपने कई रंग लाया गेंहू खेत खलिहान में शोभते, सरसों के पीले दाने खेतो में गिरते दलहन खलिहान में खुशबू बिखेरते देखो दादी काकी बुआ आती संघ अपने झोला-झोली बाल्टी लाती और खलिहान में जा तैयारी करती खलिहान के किनारे आम के पेड़ पर कोयल गीत सुनाती कोयल गीत सुना सब के मन को मोहती और आम के मंजर(आम के फूल)खुशबू बिखेरती । देखो चैत्र महीना आया संघ अपने कई रंग लाया । ©Mamta Kumari #चैत्र का आगमन
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
"होली का आगमन" जब प्रकृति में होता परिवर्तन तब होता होली का आगमन कितना खिलता मन-उपवन जब आता यह उत्सव पावन फसलें सारी ही कट जाती है, किसान की हंसी बढ़ जाती है, जब होता होली का आगमन सबका का मन हो जाता प्रसन्न पलास के सुंदर फूल खिलते है, होली पे सब प्रेम से गले मिलते है, बुराई का मिट जाता आज तन जब करते हम होलिका दहन गर्मी की आहट से जलता बदन पर पीते ओल्या हम सब जन जब होता होली का आगमन प्रकृति का भी खिलता मन भाईचारे का देती होली संदेश, सब ही मिलकर रहो हिंददेश, सब भीतर की बुराई मिटाओ आज नही हरदिन होली मनाओ होली देती हमे खुशियों के खेत सब मिटाओ आज मन के भेद होली का जब होता आगमन सब माथे लगता खुशी चंदन व्यस्त रहो और मस्त रहो होली के गीत तुम गाते रहो होली मिलाती परिवार जन ये पर्व नहीं वरदान से कम होली का करो तुम वंदन ये देती खुशी का वन नंदन होली का होता जब आगमन मन हो जाता है,सबका प्रसन्न दिल से विजय होली का आगमन
Jyotsana yadav
ठंड का आगमन कोहरे का मौसमी मिजाज़ में आना कोहरे तो बस है इनका पैगाम लाना सबको चाहें ये बताना निकाल लो घरों में कंबल और शुरू कर दो अलाव जलाना कपकपाने लगीं अब हड्डी जरा मगन हुआ ये मन यही तो इशारा है कि हो रहा है अब ठंड का आगमन ©Jyotsana Yadav #ठंड का आगमन
Anjali Jain
महाभारत में आज श्री कृष्ण का पदार्पण बहुत ही सुखद .. और शीतल वायु के झोंके के समान लगा!! #श्री कृष्ण का आगमन 08.04.20
KrishnaSharma
कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning