Find the Latest Status about शोषण ठोकरें पाउडर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, शोषण ठोकरें पाउडर.
Durga Gautam
White कभी-कभी ठोकरें भी अच्छी होती हैं, एक तो हमें रास्ते की रुकावटों का पता चलता है, और दूसरा ये भी पता चलता है कि सम्भालने वाले हाथ किसके हैं। ©Durga Gautam #good_night कभी-कभी ठोकरें भी अच्छी होती हैं, एक तो हमें रास्ते की रुकावटों का पता चलता है, और दूसरा ये भी पता चलता है कि सम्भालने वाले हाथ
#good_night कभी-कभी ठोकरें भी अच्छी होती हैं, एक तो हमें रास्ते की रुकावटों का पता चलता है, और दूसरा ये भी पता चलता है कि सम्भालने वाले हाथ
read moreTARUN KUMAR VIMAL
White आज का बिजनेसमैन - पूरी दुनिया मे सत्ताधारी पार्टियों को चंदा दे रहा है फ्री मे. धार्मिक स्थलों पर चंदा बाट रहा है. और अपने मजदूरों का शोषण कर रहा. उनसे ज्यादा घंटे काम करा रहा है. डबल ओवर टाइम भी नहीं दे रहा है और बोल रहा है 90, 90 घंटे काम करो सप्ताह मे. शोषण का दूसरा नाम बन गया है प्राइवेट सेक्टर. ©TARUN KUMAR VIMAL #hindi_diwas आज का #बिजनेसमैन - पूरी दुनिया मे सत्ताधारी #पार्टियों को चंदा दे रहा है फ्री मे. #धार्मिक स्थलों पर चंदा बाट रहा है. और अपने
#hindi_diwas आज का #बिजनेसमैन - पूरी दुनिया मे सत्ताधारी #पार्टियों को चंदा दे रहा है फ्री मे. #धार्मिक स्थलों पर चंदा बाट रहा है. और अपने
read moreनवनीत ठाकुर
मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्ते की हर धूल से अपनी आवाज़ कह दीजिए। ग़म और दर्द अगर न मिले राहत का निशाँ, तो हर एक क़दम से अपनी दुआ बना दीजिए। मंज़िल नहीं मिली तो क्या, सफ़र तो है, राहों की धूल से ही खुद को पहचान दीजिए। रोशनी मिलेगी अंधेरे के हर कोने से, वक़्त की चुप्प को अपनी हसरतों से सजा दीजिए। हमसफ़र नहीं तो क्या, इरादे हैं आसमान जैसे, हर घड़ी की राह को अपने ख्वाबों से बना दीजिए। कभी अगर ठोकरें लगे, तो उन्हें दिल से लगा लीजिए, वहीं छुपा है वो राज़, जो आपको मजबूत बना दीजिए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्
#नवनीतठाकुर मंज़िल न दे सके जो सुकूँ सफ़र को 'नवनीत', तो राह की गर्द से एक नई दास्ताँ लिख दीजिए। जहाँ तक भी चली हो मंज़िल की तलाश, उस रास्
read moreनवनीत ठाकुर
White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़। अपहरण के धंधे अब आम हो गए, अपराधी खुलेआम इनाम हो गए। छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं, इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं। यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत? जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत। ©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
read more