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Priyanka muzalda Official
भक्ति की लगन में, ऐसी लगन लागी , मोहे ऐसी लगन लागी । दुनिया की जंजीर तोड़ के, गुरुदेव के शरण में भागी ।। मैं हूं सत्य नाम उपाशी ,मैं हूं सत्य नाम उपाशी ©Priyanka muzalda Official गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, जिन्हे गोविंद दियो मिलाय।। #humanrights
anandi
गुरु ही सभी को ज्ञान देता है. गुरु ही अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रूपी प्रकाश के द्वारा दूर करता है. साथ उनकी कृपा और आशीर्वाद से व्यक्ति इस भवसागर को पार करता है. ग्रन्थों में गुरु का स्थान ईश्वर से ऊपर बताया गया है. गुरु ही व्यक्ति को जीवन का सच्चा मार्ग दिखाता हैं. ©anandi #गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय
Neetu Sharma
आप से सीखा- आप से जाना है कलम का क्या मतलब होता है आपसे पहचाना है 🌷गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं सर आपको🌷 ©Neetu Sharma सत्य प्रेम sir आप को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए 🌷#nojotoapp
Gaurav Saini Saini
समझदारों के भीड़ में मुझे वो बावली पसंद है अरे काके हम शौकीन हैं चाय के हमें लड़की सांवली पसंद है 😍 ©Gaurav Saini Saini समझदारों के भीड़ में मुझे वो बावली पसंद है अरे काके हम शौकीन हैं चाय के हमें लड़की सांवली पसंद है 😍
Ayesha Aarya Singh
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो,तब निर्णय लो,कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं । मत देखो थैली , होती मैली , पाप सदा भरते हैं ।। इनका धर्म नहीं , ईमान नहीं, माया के गुण गाते । सब भूले अपने , देखें सपने , जग को ये भरमाते ।। ये बे पथ होकर , बनकर नौकर , बन जाते हैं राजा । कर झूठे वादे , गलत इरादे , खूब बजाते बाजा ।। ठोको छाती , अब दिन राती , मुर्गा दारू खाके । अब क्यों है रोता , उडता तोता , बोलो मेरे काके ।। सुन जहाँ समय है , करूँ विनय है , जागो मेरे भ्राता । तुम क्यों हो डरते ,चलकर लडते , तुम सब हो मतदाता ।। २९/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो , तब निर्णय लो , कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खात
Divyanshu Pathak
"वक़्त इंसान का सबसे बड़ा शिक्षक है" सुनने में बहुत अच्छा लगता है किन्तु यह एक पंक्ति शिक्षक की व्यापकता को संकुचित करने के लिए काफ़ी है। मुझे ये बात हज़म करने में बड़ी मशक्कत करनी होती है। शिक्षक,गुरु,आचार्य एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द हैं। किसी बच्चे को जंगल में बिना इंसानी संपर्क के रखा जाए तो वह "टार्जन" के अलावा क्या बन सकता है। वक्त के साथ क्या ज्ञान अर्जित कर पाएगा? परिस्थितियों से लड़ने और स्वयं को बचाने के अलावा क्या करेगा? आहार,निंद्रा,भय और मैथुन के अलावा उसे क्या सीख मिल जायेगी कोई बताये मुझे? संस्कृति और संस्कार का ज्ञान वक़्त के माध्यम से आ सकता है क्या? एक बेहतर शिक्षक अपने द्वारा दिये गए शानदार प्रशिक्षण से ही साधारण प्रतिभा को