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New उचलली जीभ लावली टाळ्याला Quotes, Status, Photo, Video

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Singer Raaj Patel

लावली

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पता है मैं हमेशा खुश क्यो रहता हु।
क्यो की मैं खुद के सिवा किसी और से उमीद नही रखता। लावली

Priyanka rajput

आग लावली भावानं #मराठीप्रेरक

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M Ks

जीभ #अनुभव

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Hiren. B. Brahmbhatt

अपनी अलग ही बोली होती है,
      व्यक्तित्व की ,
वो लोगों के अंर्तमन को छु जाती है,
      बिना कलम या जीभ के इस्तेमाल बिना.. #कलम #जीभ

Kuldeep Shrivastava

जीभ कभी नहीं फिसलती है, 
याद रखें, दिमाग में जो चल रहा है 
वह ही हमेशा जीभ पर आता है।।

©Kuldeep Shrivastava #Likho #जीभ

Hasanand Chhatwani

 #जिदंगी #जीभ #

MINTU KUMAR

जीभ का अज़ीब खेल

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हमारी जीभ का भी अजी़ब खेल है,
गलती ये करती है और बलिदान दाँतों को होना पड़ता है।।
-Mintu kumar जीभ का अज़ीब खेल

Ek villain

#जीभ का संयम Love

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विधाता की सृष्टि संरचना बड़े विधि विधान से की गई है इसमें 8400000 प्रकार के जीवो का अवतरण होता है जिनमें से मनुष्य को भी दूसरे जीवो की ही भांति एक शरीर देखकर जगत व्यवहार करने का अधिकार दिया जाता है यही शरीर दस इंद्रियों का एक स्थूल स्वरूप है जिसमें मन नामक एक चेतन इंडिया में अवस्थित है और यही अन्य इंद्रियों के द्वारा ग्रहण किए गए विषयों को चेतन आत्मा तक पहुंचाती है मन के अतिरिक्त अन्य जो दस इंद्रियां हैं उनमें से चाहा तो 4 नेत्र नासिका मुख्य है क्योंकि प्रत्येक यही शब्द स्पर्श रूप रस और गंदे विषयों को ग्रहण करती है वैसे तो कहा गया है कि प्रत्येक इंद्रियों को अपने लिए निर्धारित एक ही विषय ग्रहण करने का समर्थन प्राप्त है परंतु जी हां ही एकमात्र ऐसी इंद्रियां है जिसकी शब्द और रस के रूप में दो विषय ग्रहण करने की क्षमता मिली है जी हां यदि बिना विचार किए शब्द का प्रयोग करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में ना केवल छोटे-मोटे विरोधी खड़े हो जाते हैं आपूर्ति महाभारत जैसे युग परिवर्तन युद्ध तक छोड़ जाते हैं जिनमें पूरे के पूरे परिवार का विनाश हो जाता है यहां जी हां का ही असहयम है कि जिसे मांसाहारी की स्वाभाविक अवस्था नहीं लेकिन वह आशा एवं बिहार के स्वाद के लिए प्रतिदिन हजारों हजार मेरे जीवो की हत्या का निर्माता बनता है बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अपनी जीवा के स्वाद के लिए फेर में फंस कर अनेक प्रकार के अनुचित और मादक पदार्थ का सेवन करते हुए ना केवल अपना जीवन संकट में डालते हैं आपूर्ति अपने परिवार के लिए भी मुसीबतों को निमंत्रण दे बैठते हैं इसलिए हमें यह विचार करना चाहिए कि हम अन्य सभी जीवो से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि हमें बुद्धि और विवेक का ऐसा प्रसाद मिला है जो मनुष्य से भी न किसी भी जीव को नहीं मिला इसलिए हम सहमत होकर मनुष्य जीवन को सार्थक कर सकते हैं

©Ek villain #जीभ का संयम

#Love

Atal Ram Chaturvedi

#जीभ कब ही आलसी #कविता

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#संजीव कुमार

जीभ पर लगी चोट

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