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Rahul Vishwakarma
पिता वो पूंजी है। जो जीवन की सारी पूंजी देकर भी नहीं मिल सकती। ©Rahul Vishwakarma #पिता ही पूंजी है।
Shashi Bhushan Mishra
ख़त्म है ताल्लुक़ात चलता कर, रात मेरा हिसाब चुकता कर, सुधर पाती कहाँ अकड़ ऐसे, मौत हो सामने तो झुकता सर, तेज रफ़्तार ज्वार थम जाता, प्यार मिटता नहीं है रुकता डर, बिना सुकून व्यर्थ है सबकुछ, चैन है सिर्फ जहाँ रब का दर, वक़्त देता नहीं माफ़ी 'गुंजन', ख़ता किया है सजा भुगता कर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ○प्र○ ©Shashi Bhushan Mishra #चुकता कर#
AAASHISH kumar
एक बार की बात है एक गाँव में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह बहुत ज़्यादा आलसी था। अपने सारे काम नौकरों से ही करता था और खुद सारे दिन सोता रहता या अय्याशी करता था वह धीरे धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था| उसे ऐसा लगता जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकी मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ। यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था। लेकिन कहा जाता है की बुरी सोच का बुरा नतीजा होता है। बस यही उस व्यक्ति के साथ हुआ। कुछ सालों उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका शरीर पहले से शिथिल होता जा रहा है उसे हाथ पैर हिलाने में भी तकलीफ़ होने लगी यह देखकर वह व्यक्ति बहुत परेशान हुआ | उसके पास बहुत पैसा था उसने शहर से बड़े बड़े डॉक्टर को बुलाया और खूब पैसा खर्च किया लेकिन उसका शरीर ठीक नहीं हो पाया। वह बहुत दुखी रहने लगा। एक बार उस गाँव से एक साधु गुजर रहे थे उन्होने उस व्यक्ति की बीमारी के बारे मे सुना | सो उन्होनें सेठ के नौकर से कहा कि वह उसकी बीमारी का इलाज़ कर सकते हैं। यह सुनकर नौकर सेठ के पास गया और साधु के बारे में सब कुछ बताया। अब सेठ ने तुरंत साधु को अपने यहाँ बुलवाया लेकिन साधु ने कहा कि वह सेठ के पास नहीं आएँगे अगर सेठ को ठीक होना है। तो वह स्वयं यहाँ चलकर आए। सेठ बहुत परेशान हो गया क्यूंकी वो असहाय था और चल फिर नहीं पता था। लेकिन जब साधु आने को तैयार नहीं हुए तो हिम्मत करके बड़ी मुश्किल से साधु से मिलने पहुचें। पर साधु वहाँ थे ही नहीं। सेठ दुखी मन से वापिस आ गया अब तो रोजाना का यही नियम हो गया साधु रोज उसे बुलाते लेकिन जब सेठ आता तो कोई मिलता ही नहीं था । ऐसे करते करते 3 महीने गुजर गये। अब सेठ को लगने लगा जैसे वह ठीक होता जा रहा है उसके हाथ पैर धीरे धीरे कम करने लगे हैं। अब सेठ की समझ में सारी बात आ गयी की साधु रोज उससे क्यूँ नहीं मिलते थे। लगातार 3 महीने चलने से उसका शरीर काफी ठीक हो गया था। तब साधु ने सेठ को बताया की बेटा जीवन में कितना भी धन कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बड़ा कोई धन नहीं होता। तो मित्रों, यही बात हमारे दैनिक जीवन पर भी लागू होती है पैसा कितना भी कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बढ़कर कोई पूंजी नहीं होती | ©AAASHISH kumar स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है
Chintoo Choubey
कलम है मेरी सारी पूंजी, शब्द मेरे भंडार, लिखना मेरी इबादत है, सोच मेरे अल्फाज, भाषा मेरी सीधी - सादी, यही मेरा अंदाज मेरी पूंजी
Er.Mahesh
अभी अभी देखा था हमने, हमारा मालिक हंस कर जिस के साथ चला वह खरीदार था अपना,जिससे दिल मेरा सहम चला भला हुआ उस हिंडन वर्ग का,जिससे उसका बड़ा राज खुला निजीकरण की आंधी पर ,अब थोड़ा विराम लगा ©Er.Mahesh #पूंजी वाद
CK JOHNY
कर्ज चुकता नहीं होता फर्ज अदा नहीं होता कुछ तो कमी है मेरे किरदार में जो तू करम मुझ पर नहीं करता। तेरे दीदार के सिवा मेरी जुस्तजू ही क्या थी इतनी भी मेरी हसरत जो तू पूरी नहीं करता। ठीक नहीं है मुहब्बत में ये टालमटोल कभी बुलाता भी नहीं हमें पास अपने और अपने आने की खबर भी नहीं देता। कोरोना इतनी बुरी बला भी नहीं है आगे तेरे क्यों शहर अपने में हमें क्वारेंटाईन नहीं करता। तेरे हुक्म के बंधे हैं आ भी नहीं सकते टूटा जा रहा सब्र का बाँध क्या तू बुला भी नहीं सकता। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 16.07.2020 कर्ज चुकता नहीं होता
Shailendra Gond kavi
किताब जीवन की कुंजी है, किताब जीवन की पूंजी है! जीवन भर निभाता साथ ऐ, साथी साथ है न कोई दूजी है! ©Shailendra Gond किताब जीवन की पूंजी है #Shailendra_Gond #Nojoto #nojotohindi