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Chiranjiv
प्रकृति पर कविता – लाली है, हरियाली है लाली है, हरियाली है, रूप बहारो वाली यह प्रकृति, मुझको जग से प्यारी है। हरे-भरे वन उपवन, बहती झील, नदिया, मन को करती है मन मोहित। प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे मां हो हमारी। हर पल रंग बदल कर मन बहलाती, ठंडी पवन चला कर हमे सुलाती, बेचैन होती है तो उग्र हो जाती। कहीं सूखा ले आती, तो कहीं बाढ़, कभी सुनामी, तो कभी भूकंप ले आती, इस तरह अपनी नाराजगी जताती। सहेज लो इस प्रकृति को कहीं गुम ना हो जाए, हरी-भरी छटा, ठंडी हवा और अमृत सा जल, कर लो अब थोड़ा सा मन प्रकृति को बचाने का। ©Chiranjiv prakritik a Sundar hai
prakritik a Sundar hai #कविता
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रह रहकर टूटता रब का कहर रह रहकर टूटता रब का कहर खंडहरों में तब्दील होते शहर सिहर उठता है बदन देख आतंक की लहर आघात से पहली उबरे नहीं तभी होता प्रहार ठहर ठहर कैसी उसकी लीला है ये कैसा उमड़ा प्रकति का क्रोध विनाश लीला कर क्यों झुंझलाकर करे प्रकट रोष अपराधी जब अपराध करे सजा फिर उसकी सबको क्यों मिले पापी बैठे दरबारों में जनमानष को पीड़ा का इनाम मिले हुआ अत्याचार अविरल इस जगत जननी पर पहर – पहर कितना सहती, रखती संयम आवरण पर निश दिन पड़ता जहर हुई जो प्रकति संग छेड़छाड़ उसका पुरस्कार हमको पाना होगा लेकर सीख आपदाओ से अब तो दुनिया को संभल जाना होगा कर क्षमायाचना धरा से पश्चाताप की उठानी होगी लहर शायद कर सके हर्षित जगपालक को, रोक सके जो वो कहर बहुत हो चुकी अब तबाही बहुत उजड़े घरबार,शहर कुछ तो करम करो ऐ ईश अब न ढहाओ तुम कहर !! अब न ढहाओ तुम कहर !! ©Chiranjiv #Butterfly prakritik ka kehar
#Butterfly prakritik ka kehar #कविता
read moreGeetkar Niraj
गुरू पर कविता। जीवन कहीं चट्टानों-सा ठहरा होता, ये नदियों-सा बहना शुरू न होता, अगर जीवन में गुरू न होता- 2।। आँख रहते हम अंधे होते, दिन के उजालों में भी देख न पाते। जनवरों की तरह जंगलो में कहीं भटक रहे होते, बंदरों की तरह पेड़ों पर कहीं लटक रहे होते। आदिमानव से मानव न बनता, जीवन में कुछ करने की आरज़ू न होता। अगर जीवन में गुरू न होता। जिसने मेरे कमियों को दूर कर मुझमें खुबियां भर दिया। जिसने मुझको ज्ञान देकर मेरे जीवन को सुन्दर किया। जिसने सत्य-असत्य में भेद बताया,जीवन जीना मुझे सीखाया। जिसके बिना मैं फूल न बनता औरमुझमें ज्ञान की खुशबू न होता। अगर जीवन में गुरू न होता -2। हर मुश्किल को आसान बनाया, सारथी बनकर साथ निभाया। शिक्षक जैसा शुभचिंतक कोई और नहीं जमाने में, जिसने सारी शक्ति लगा दी,मुझे मंजिल तक पहुँचाने में। कहीं अंधेरों में घिरा रहता उजालों से रूबरू न होता। अगर जीवन में गुरू न होता-2।। guru par kavita
guru par kavita #poem
read moreAnjali
pyari jag se Nyari maa khushiyan deti saari maa chalna hamen shilhati maa manjil hamen dikhati maa ©Anjali maa par kavita
maa par kavita #कविता
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