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pooja solanki
Maa अपनी ही बेटी कि शादी में हिचकती रही, वो विधवा माँ हर रस्म में पीछे हटती रही.... pooja solanki.... माँ सिर्फ और सिर्फ माँ होती है! सुहागिन ओर विधवा नही माँ तो ईशवर का नायब तोहफा है ! जो अपने बच्चों को हर दुख दर्द से बचा कर रखती है फिर वो
Pankaj Singh Chawla
"लाल निशान" (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) (👇Read in Caption👇) कैसा समाज है हमारा हर माह दिखे चादर पर लाल निशा तो अपवित्र ठहरा दिया जाता है, सुहाग की बेल पर दिखे लाल निशान तो उसे पवित्र मान लिया जाता है,
Ajayy Kumar Mahato
तुम यूँ एक आँख न दिखाया करो, अपशगुन होता माँ कहती है।। #""Ajay""# Specially एक आँख वालों के लिए।। 😜😜😝😝😂😂🤣🤣👻👻👻🙈🙈 #""Ajay""# 🙏🙏🙏थोल्ली🙏🙏🙏 चेहरा दिखाना है तो पूरा दिखाओ यार ये एक आँख और आधा चेहरा दिखा कर अपशगुनी काहे बनते हो।।। मेरा निवेदन स्वीकारें।। धन्यवाद🙏🙏🙏🙏🙏 #eye #eyes #aa
Priyanjali
नारी मन........!! निश्छल........! पर कुंठित भी.....!! ममता की पराकाष्ठा...........! स्नेह पूर्ण, प्रेम में द्रवित भी...! क्षोभरहित तो कभी क्षोभ पूर्ण...........................! अपने खुशियों का गला घोंटे उसका पश्चाताप भी....!! नारी मन.........!!! प्रेम के लिए व्याकुल............... विरह की अग्नि में जला भी.....!! न कोई विरोध न अभियोग........ लाख संभाले चुनरिया............. परन्तु दाग लग ही जाते समाज की..........!!! नारी मन में..........................! आते सवालों के भूचाल भी.....!! पर नारी..... सबकी मंगलकामना करती.......! रक्खे कितने व्रत उपवास भी......!! विधवा होते ही कभी कहलाए अपशगुन..............! कभी कहलाए डायन, समाज के लिए अभिशाप भी....!! फिर भी एक नारी...................! मूक बनी रहती है....................! प्रश्नों की सुनामी रहते मन में...... पर मुख से कुछ नहीं कहती है....!! सबको खुश करने में.......................!! हर इल्जाम अपने सर लेती है..........!!! ©Priyanjali नारी मन........!! निश्छल........! पर कुंठित भी.....!! ममता की पराकाष्ठा...........! स्नेह पूर्ण, प्रेम में द्रवित भी...! क्ष
Ajayy Kumar Mahato
मैं तो बुझा हुआ दीपक हूँ, तू जलाने की कोशिश मत कर। बाती मेरी जल चुकी है, आग लगाने की कोशिश मत कर।। ये दुनियादारी ये समझदारी, तू उलझाने की कोशिश मत कर। समझ समझ के समझ चुका हूँ, तू और समझाने का कोशिश मत कर।। सजाया जाता है खूब हर त्योहार पर, तब मिलूँगा हर कोने में हर द्वार पर। त्योहार जो पार हुआ न ढूँढना तुम यहाँ, मिलूँगा मैं फिर वहीं कचरे के ढेर पर।। टूट गया हूँ लगी जो मुझे ठोकर, त्याग दिया तुमने अपशगुन जानकर। मेरी आत्मा मेरी बाती अब जल चुकी है, अब तू फिरसे जलाने की कोशिश मत कर।। बाती मेरी जल चुकी है, आग लगाने की कोशिश मत कर।। ©Ajay मैं तो बुझा हुआ दीपक हूँ, तू जलाने की कोशिश मत कर। बाती मेरी जल चुकी है, आग लगाने की कोशिश मत कर।। ये दुनियादारी ये समझदारी, तू उलझाने की क
Harshita Dawar
उफ सी निकल गई बस पढ़ती गई, ना तुम रहे ना वो यादें, बहती रही मिलती रही ,.to be contd.............. कुछ कहानियां बुनी हीं अधूरी होने के लिए फिर भी जन्म जन्म की प्यास बुझाने के लिए लिखी गई , उफ़ सी निकल गई बस पढ़ती गई, ना तुम रहे ना वो या