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Rupali >------->>Verma
सुशांत राजभर
#दूर तलक #अंधेरा है, #दूर तलक #अंधेरा है, ##ज़िधर देखो उधर ही ##डाकू-चोर-लुटेरा है! ©सुशांत राजभर #BehtiHawaa #दूर तलक #अंधेरा है, #दूर तलक #अंधेरा है, ##ज़िधर देखो उधर ही ##डाकू-चोर-लुटेरा है!
प्रेम कुमार रावत
ये मया हा ना भाचा पिक्चर, कहानी मे बने लागथे जी ... 😟 सिरतोन मा मया करके देख आधा आधा रात के उठ के रोये ला पढ़थे...🥲🥲🥲 ©cg_poet_ prem _kumar #onenight ये मया हा ना भाचा पिक्चर, कहानी मे बने लागथे जी ... 😟 सिरतोन मा मया करके देख आधा आधा रात के उठ के रोये ला पढ़थे...🥲🥲🥲
ज़हर
ज़हर कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं। नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं। मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं। बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी। मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं। अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता। फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं। हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं। च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं। बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर। मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं। कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं। ©ज़हर ज़हर कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा ए
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- हम रहें घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाए खुलकर ,हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... वह लालच देकर लूट रहा , वह बल से सब कुछ छीन रहा । हम मर जाते हैं किश्तों में , वह अरबों लेकर भाग रहा ।। सुबह-शाम खट-खट टिन-टिन की , आज यही आजादी है । हम रहें घरोंदों में अपने .....। कोई सत्ता धौंस दिखाता , कोई पद अपना बतलाता । एक के ऊपर एक बैठा, पर निचले का ही पिस जाता ।। सब आँखे मूँदें देख रहे , अब आज यही आजादी है अब पड़ती कहाँ जरूरत है ,उन डाकू और लुटेरों की । लूट रहे विभाग सभी यहाँ, बस मौका आते फेरों की ।। यह सब हमने होते देखा , आज यही आजादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... हम रहे घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाएं खुलकर , हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- हम रहें घरोंदों में अपने , आज यही आजादी है । कैसे खुशी मनाए खुलकर ,हर ओर खड़े उग्रवादी है ।। हम रहें घरोंदों में अपने .... वह लालच
Wahid ali
कवि मनोज कुमार मंजू
सबको अपनी पडी़ यहाँ अब बुद्ध बने तो कौन बने। चला लूट का दौर यहाँ सब डाकू अंगुलिमाल बने।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #बुद्ध #डाकू #अंगुलिमाल #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #Love