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SumitGaurav2005
Vaishali Kahale
Mo. Asiph
कोरोना वायरस इससे बचाव के उपाय? स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए. अल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्यू पेपर से ढककर रखें. जिन व्यक्तियों में कोल्ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. अंडे और मांस के सेवन से बचें. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें. #Corona_Alert क्या हैं इससे बचाव के उपाय? स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक, हाथों
Mohammad Arif (WordsOfArif)
अपनी बारी का सब इंतजार कर रहे है कुछ लोग अब भी एतबार कर रहे है सब आंखों से साफ दिखाई दे रहा है फिर भी सबके सब इंकार कर रहे है कोशिश कर रहे है सब को मनाने की जाने क्यूं वो डर की इजहार कर रहे है हर तरह नफ़रत की सियासत में लगे है झोपड़ियों को ढककर गुलजार कर रहे है लोगों को तड़पते छोड़कर चले गए वो दूसरों के लिए अब अश्कबार कर रहे है अपनी कमी को छुपाकर कहां जाओगे आरिफ गैरों पर अब वो उपकार कर रहे है अपनी बारी का सब इंतजार कर रहे है कुछ लोग अब भी एतबार कर रहे है सब आंखों से साफ दिखाई दे रहा है फिर भी सबके सब इंकार कर रहे है कोशिश कर रहे
kanta kumawat
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। तुम भी माँ कीमत पता करों ज़रा आँचल के पल्लू में ढककर कभी धूप-छाँव में रोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। देखकर अपने बच्चों को खाना में अभी भुखी हूँ कभी यह बात बताई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। आज भी सुकून मिलता घर में कोई एसा दिन नहीं जब माँ बोलकर खुशी पायी नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। कान्ता कुमावत ©kanta kumawat मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न
kanta kumawat
Ganesh Singh Jadaun
कितना भी ढककर के रखो ,मन को दुनिया की रजाई में सर्द हवा सी उनकी याद,आ जाती तन्हाई में दिन भर दुनियादारी से,थककर जब घर आते हैं वो तो नहीं पर उनकी याद,आ जाती तन्हाई में साथ नहीं पर फिर भी पास, रहते हैं पल पल दिल के दिल को अक्सर उनकी याद,आ जाती तन्हाई में मन का पंछी दिनभर डोले, खुले खयालों के नभ में सांझ को फिर पिंजरे की याद,आ जाती तन्हाई में हमें पता है उनको भी,खलती है खामोशी ये कभी कभी उनको भी याद आती है तन्हाई में कितना भी ढककर के रखो ,मन को दुनिया की रजाई में सर्द हवा सी उनकी याद,आ जाती तन्हाई में दिन भर दुनियादारी से,थककर जब घर आते हैं वो तो नहीं पर
Writer1
सिर ढककर कोसती जाए खुले सिर पूजती जाए: ********************************************** अर्थात: संस्कार दिखावे में नहीं भाव में होने चाहिए । अ
कवि राहुल पाल 🔵
★★ मेरी गजल मेरी कहानी ★★ जब खुद पर चली कलम तो अल्फ़ाज खुद ब खुद निकले । याद करके वो हँसी लम्हे आँखों से आंसू निकले ।। बताया मकां है उनका इस शहर में जब ढूढ़ा किसी और शहर के निकले । हमे अहसास था की वो चाँद हमारा है पर उसके सितारे हज़ारो निकले । हमे न शिकायत थी उनसे पर उनके गिले शिकवे हमी से निकले । आरजू थी बस एक नज़र देख ले ,चेहरा ढककर जालिम खुदगर्ज निकले । जिस गुलसन में फूल खिले थे कभी आज छूने चले कांटे डसने निकले । जिनसे इर्ष्या थी मेरी ,झांककर देखा उन्हें मेरे दुश्मन अपने निकले । न ख़त्म हुई थी महोब्बत उनसे सजो कर रूप हमे फिर गिराने निकले ।। उन्हें न थी हमारी कोई जरुरत हम हर मयखाने में उनके दीवाने निकले । सोचा पहल करू फिर से तो पता चला उनके अलग किनारे निकले । जब राहुल को हँसता देखा इस कदर मेरा घर जलाने मेरे अपने ही निकले ।। ((( राहुल ))) #मेरी_गजल_मेरी_कहानी #nojotohindi #nojotonews #nojoto जब खुद पर चली कलम तो अल्फ़ाज खुद ब खुद निकले । याद करके वो हँसी लम्हे आँखों से आंसू न
AJAY NAYAK
माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां बुलाए, तो कोई उसे बुलाए माई नाम से अलग अलग जबान, अलग अलग नाम फिर भी उसकी एक ही पहचान। बात जब जब ख़ुद पर आई पचा लिया सारे दुःख दर्द बात जब जब आई बच्चों की लड़ गयी अपने ही सुहाग से । थोड़ा भी जान नहीं है शरीर में इस पड़ाव में पैरों ने भी धोखा दे दिया फिर भी कूद पड़ी पलंग से माँ कहकर बच्चों ने जो पुकार लिया । - अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #motherlove माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां