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REETA LAKRA
मित्रो, अब मुझे लगता है कि मैं आँखें बंद कर quotes लिखा करूँ, क्योंकि 6 से 7 को छोड़कर किसी को भी पसंद नहीं आता लिखा मेरा, इस प्लेटफॉर्म पर से जा रहा है भरोसा उठा मेरा, या फिर निश्चित सा कर लूँ इस *YOURQUOTE*से उड़ना मेरा। १४१/३६६ बेमतलब के शब्दों पर - सिर्फ शब्दों पर पचासों लाइक्स, किन्तु अर्थपूर्ण और समसामयिक विषयों पर लिखा तो शायद ही कोई पढ़ता भी है। अनेक राइटर्स क
बेमतलब के शब्दों पर - सिर्फ शब्दों पर पचासों लाइक्स, किन्तु अर्थपूर्ण और समसामयिक विषयों पर लिखा तो शायद ही कोई पढ़ता भी है। अनेक राइटर्स क
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...... मीमांसा यानि गहन विचार या मनन करना समसामयिक विषयों पर आधारित देशभर के 23 उत्कृष्ठ रचनाकारों की कृतियाँ जीवन के अनेकों पहलुओं जैसे नारी- उत्थ
मीमांसा यानि गहन विचार या मनन करना समसामयिक विषयों पर आधारित देशभर के 23 उत्कृष्ठ रचनाकारों की कृतियाँ जीवन के अनेकों पहलुओं जैसे नारी- उत्थ
read moreकवि प्रदीप वैरागी
तुमको शायद बुरा लगेगा सुनकर मेरी बातों को। कोई कोई समझ सकेगा इन नाजुक हालातों को।। घातों पर घातें झेली हैं हँसकर के सब टाल दिया। खूब गालियांँ पत्थर खाए, दिल से भेद निकाल दिया।। दुश्मन की देखो फिर कितनी यह हरकत शैतानी है। डर से सहमे-सहमे बैठे घर में हिन्दुस्तानी हैं।। कोई थूके कोई चाटे कोई नाक छिनकता है। घोर घिनौनेपन से इनके घिन का भाव झलकता है।। आज विश्व पर जब संकट के काले बादल छाए हैं। उस पर भी ये जाति धर्म के नारे खूब लगाए हैं। मजहब को आधार बनाकर टुकड़े-टुकड़े बाँट रहे। पत्थर वाली दीवारों को काग़ज से हम काट रहे।। चारों तरफ दिखाई देता अंधकार का पहरा है। इतना भी आसान नहीं है संकट का घन गहरा है।। देश हमारा लुहलुहान है नफ़रत की तस्वीरों से। इनसे सीख जरूरी है अब जागो इन तदबीरों से।। खुल्लम खुल्ला खेल रहे जो भारत की आज़ादी से। जिनको खुन्नस छाई रहती काश्मीर की वादी से। ऐसे नमक हरामों की तो ख़ातिर अच्छी -खासी हो। करें देश से जो गद्दारी उनको सीधे फाँसी हो।। प्रदीप वैरागी © #समसामयिक
Rimpy Ankur Leekha
जिस देश में देवी पूजी जाती, वहीं हो रहा चीर हरण। जाने कब कोई आएगा, जो करेगा मंगल करण।। सीता दुख हनुमंत हरे, अहिल्या हरे श्री राम। द्रोपदी दुख हरे बंसी वाले, यहां भी आए कोई श्याम।। 🖋️ रिम्पी लिखा समसामयिक
समसामयिक
read moreShubhendra Jaiswal
आहत हस्तिनापुरी में, हतभागी निर्जीव पड़े हैं स्वर्णिम स्वप्नों में कुरुकुल,हठ पर अपने पृथक अड़े हैं चौपड़ चालों के चलते, शर-शैया पर भीष्म पड़े हैं। संजय मन की बात सुना, धृतराष्ट्र के बोल बड़े हैं। #शुभाक्षरी #समसामयिक
Rita Gupta
बिछड़े परिवार मिलाए जायेंगे, कल यही किस्से सुनाए जायेंगे। खानें के लाले पडे़ हैं जहाँ में, अब तो जा़म छलकाए जायेंगे। शा़की मिली आज पैमाने से, मयखा़नें में सब दीवानें जायेंगे। रौशन हुई तेरी मधुशाला आज, कई घरों के उजाले जायेंगे। बच्चों की गुल्लक भी फोडी़ गई, ,रीता, पेट के अब निवाले जायेंगे। समसामयिक ग़जल
समसामयिक ग़जल
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