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Vivek Singh rajawat
मुश्किल है अपना साथ प्रिये ये रिश्ता नही गवाँरा। तुम हो ज्ञान की देवी मैं अक्ल का हु मारा। तुम हो कोमल कन्या मैं हु लाचार कुँवारा। तुम हो कैपचीनो जैसी है मैं हु कुल्लड़ वाली चाय बेचारा। तुम रहती ऐसी वाले घर मे मैं हर वक़्त रहता हु गर्मी से मारा। तुम खाती हो पिज़्ज़ा,बर्गर,कसाता मेरा तो नमक-रोटी से हो जाता गुजारा। तुम हो हीरोइन वाली सीरीज मैं हु खुजली वाला मरीज। तुम हँसती हो फूल है झरते मैं हँसता हु छोटे बच्चे है डरते। तुम स्वर्ग अप्सरा सी सुन्दर मैं दानव राज से भी भयंकर। तुम हो गुलाब की पंखुड़ी नाजुक जैसी मैं हु गुलेर की रबड़ खीचतान वाला। तुम्हारे डैडी है मिस्टर खन्ना हमारे बाप श्री दारू बाटली वाला। विवेक सिंह राजावत। Dr. सुनील जोगी जी से प्रेरणा लेकर।
Sunil Gupta
2मई2020 "तुम " साथ रहकर भी जिसे तुम पहचान नहीं पाए पूछ रहा है वो गुजरे हुए वक्त से इतना बड़ा धोखा क्यों दिया तुमने? सुनील गुप्ता केसला रोड सीतापुर तुम | कविता | सुनील गुप्ता
Dheer Martolia
शुभम कुमार गौतम
#Pehlealfaaz रुक गया है या वो चल रहा है हमको सबकुछ पता चल रहा है उसने शादी भी की है किसी से और गावँ में क्या चल रहा है। #शायरी #कविता कोश #hindi love
Sunil Kumar Maurya Bekhud
खड़े हैं पंक्तिबध्द हो प्रक्रिति के अनुशासन में एकाग्रचित मुद्रा है ऐसी हैं किसी योगासन में कर रहे कोई तपस्या ध्यान में यूँ लीन हैं सिर के ऊपर नृत्य करती उड़ रही शाहीन है विचारते हैं मृग अनेको पशु पक्षी भी आंगन में इन्द्र ने भेजा पवन को और भेजा अग्नि को तोड़ दो इनकी तपस्या डाल कर हर विघ्न को मेघ का गर्जन हुआ बिजली गिरी है दामन में पर कभी ना वो डिगें हैं भूलकर भी लक्ष्य से जगत का कल्याण हो उद्देश्य उनके यज्ञ के हो किसी का अहित यह सोचा कभी ना जीवन में ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पेड़ #कविता #हिन्दी #सुनील कुमार मौर्य बेखुद
Sunil Kumar Maurya Bekhud
फूलों से सजा मनमोहक पोशाक वहुत ही न्यारी है नन्ही सी परी तुम लगती हो सपनों की राजकुमारी हो इसे पहन के तुम ऐठालाती हो तब सबको बहुत लुभाती हो तुम ठुमक ठुमक करके माँ के गोदी मे फिर छुप जाती हो बड़े जतन से है माँ ने अपने हाथों से बनाया है तुम रूठ गयी थी सुबह सुबह लोरी गा तुम्हें मनाया है हर दिन यादोको संजो रही बचपन ये बहुत सुहाना है इक दिन यादों को छोड़ यहीं पंछी सा तुम्हें उड़ जाना है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud # गुड़िया #कविता #हिंदी #सुनील कुमार मौर्य बेखुद