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Medha Bhardwaj
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा
Mahak A Fashion
Thakor
Srinivas
आपके सपने आपके लिए रास्ता नहीं बनाएंगे। आपके द्वारा उठाया गया हर दैनिक कदम आपकी आकांक्षाओं के डिजाइन को वास्तविकता में बदल देता है। ©Srinivas #Dreams आपके सपने आपके लिए रास्ता नहीं बनाएंगे। आपके द्वारा उठाया गया हर दैनिक कदम आपकी आकांक्षाओं के डिजाइन को वास्तविकता में बदल देता है।
Anuradha T Gautam 6280
rajkumar
यह कहानी जरूर पढ़ना ©rajkumar घर में आज सुबह से ही बड़ी चीख पुकार मची हुई थी। ना जाने आज घर में कौन सा हंगामा हो गया था? रमेश की बीवी जोर जोर से चिल्ला रही थी। इतनी जोर से
Shayar.ix
" चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने, अक्सर अब चाय की टेबल पर कुछ तमन्नाएँ रह जाती है।" " वीराना सा लगता है ज़िंदगी का बगीचा, फ़राज़ जब से मोहब्बत का माली गुज़रा है ।" 🥀🥀🤕 . ©Shayar_nir.ix चाय फीकी पर जाती थी, उसकी मीठी बातों के सामने, अकसर अब चाय की टेबल पर कुछ तमन्नाएँ रह जाती है। वीराना सा लगता है ज़िंदगी का बगीचा, जब से मो
Nain
–एक उम्मीद– .. एक ढलती हुई उदास शाम ... दिल में निराशा का मंजर ... घर लौटते पक्षियों का शोर ... काम से लौटता थका हुआ मजदूर... एक और आने वाले कल की बेचैनी कुछ अपनों के पडे़ मिस्ड कॉल .... कुछ जिम्मेदारियों का जाल ... एक अनिश्चित भविष्य का डर ... कुछ ठंडी पड़ी अपेक्षाएं... मगर टेबल लैंप की माध्यम सी लौ... में हिम्मत बटोर कर मैं फिर भी आज उम्मीद ही लिखूंगी की शायद एक दिन सब ठीक हो जाएगा..! .. ©Nain एक ढलती हुई उदास शाम दिल में निराशा का मंजर घर लौटते पक्षियों का शोर काम से लौटता थका हुआ मजदूर एक और आने वाले कल की बेचैनी कुछ अपनों के