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अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज
घर का रास्ता घर का रास्ता सरपट दौडती जिंदगी घर का रास्ता भुल गयी, सौंधी मिट्टी के कच्चे की वो सुगंध एसी बाले कमरे मे दब गयी, घर का रास्ता
Sudha Bhardwaj
घर का रास्ता फिर से बदलने को है... मेरे घर का रास्ता। नया पता,नया पडोस। होता है ऐसा कुछ खास लोगो के साथ। जिनके साथ की जरुरत है हर कहीं। फिर से बदलने को है... मेरे घर का रास्ता। नया पता,नया पडोस। सुधा भारद्वाज"निराकृति" विकासनगर उत्तराखण्ड #घर का रास्ता
Prakash Aditya
घर का रास्ता वो खट्टी -मीठी यादें, वो खूबसूरत सी हरियाली, भूल गया तू ,अब मेरा जीवन है शून्य, है बिल्कुल खाली । क्या बताऊँ तूझे ,दिल का तेरे दिल से है वास्ता, यकीन नहीं होता, तू भूल गया अपने घर का रास्ता ।। ##घर का रास्ता
आपका अरविंद
कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर,,, ढह जाता है हकीक़त की बारिश में अक्सर उम्मीदों का घर
Sarun Singh
बचपन और नानी का घर ढेरो सारी कहानी का घर बचपन की नादानी का घर ये प्यारा नानी का घर #नानी का घर#
sarika
बहुत दर्द होता हैं शब्दों से सजा एहसासों का घर जब टूटता हैं ©sarika एहसासों का घर..
vipin prajapati Vicky
ज़रूरी है 👨👩👧👧घर का मुखिया👨👩👧👧 लेकर बोझ परिवार का अपने कभी नहीं वह रुखता है दुख संकट आ जाए कितना भी कभी मायूस नहीं दिखता है । 👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧 घर के हर सदस्य का ध्यान वह खुद से ज्यादा रखता है पेट सभी का भरता है कभी खुद भूखे सो जाता है। 👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧 छोटा हो या बड़ा सभी से एक जैसा व्यवहार करता है कभी भला तो कभी बुरा वह सबकी नजरों में बनता है । 👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧 लेकर साथ परिवार को चलना यही इच्छा मन में रखता है घर के हर चीज का प्रबंध घर का मुखिया ही तो करता है। 👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧👨👩👧👧 जय हिन्द⚔️🇮🇳 vp àrmy ⚔️🇮🇳 घर का मुखिया
Shubham
अब अलग हैं उस घर से भी , जिसमें कई निशानी छोड़ी हैं । जब-जब ही छोड़ा घर तोे , साथ में कई कहानी छोड़ी हैं । जो अपना था, या पराया था? अक्सर यादों में समाया था । जहाँ दीवारों की टेक से बैठे,बिस्तर खिड़की तरफ लगाया था । गलियारों में खेले थे क्रिकेट, मैदान ही उसे बनाया था । क्यारी में करते थे वृक्षारोपण,पूजा के फूल भी लाया था । बत्ती के जाने पर न जाने, वहाँ कितनी चीजें तोड़ी है । जब-जब ही छोड़ा घर तो , साथ में कई कहानी छोड़ी है । जब भी जाते थे बाहर,तो कुछ पल में ही याद सताती थी । घर आकर के ज्यों बैठे , त्यों माँ खाना ले आती थीं। जहाँ बाबा के थोड़ा चिल्लाने पर,दादी उनसे लड़ जाती थीं। चाचा संग घूम के खुश होते और बुआ जी ढंग से पढ़ाती थीं । उन चहारदीवारों में भी न, जाने कितनी यादें जोड़ी है। जब-जब ही छोड़ा घर तो, साथ मे कई कहानी छोड़ी हैं । #बचपन का घर