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Mahesh Patel
White सहेली.... ज्ञानी होने से शब्द समझ आने लगते हैं.. अनुभवी होने से अर्थ... लाला..... ©Mahesh Patel सहेली.....अर्थ... लला....
सहेली.....अर्थ... लला.... #Shayari
read moreGondwana Sherni 750
तुमने समझा हम हार जायेगे बिखर जायेगे तुमने हमारे जर जंगल जमीन को छीना हमारे बहन बेटियों के साथ शोषण अत्याचार किया हमारा सहारा छीना हमारे इच्छाओं को छीना यहां तक कि घर गांव भी छीन लिया हमारे लोगो को खरीदा मालिक से नौकर बना दिया हमारी नीद छीनी चैन,सुकुन छीना हमारे लोगो को अपने लोगो से दुश्मनी करना सिखाया और मरने के लिए छोड़ दिया कभी नक्सली के नाम से कभी गैर कानूनी तरीके के नाम से लोगो को मारना चालू कर दिया कभी फेक वायरस के नाम पे कभी वेक्सीन के नाम पे कभी हार्प के नाम से कभी 5 जी रेडिएशन के नाम से तुम्हे लगा हम हार मान लेंगे लेकिन ये हम स्पष्ट बताना चाहते हैं की ना कभी हमने हार माना है और ना कभी हम हार मानेंगे विद्रोही क्रान्तिकारी ✍️✍️ @preeti_uikye750 29/05/24 ©Gondwana Sherni 750 विद्रोही की कलम
विद्रोही की कलम #विचार
read moreअज्ञात
सुनते हो ए कलम, आज जब मैंने अपने आप को दर्पण मे देखा तो घबरा गया.. मैंने देखा मेरे सर रूपी काली घटाओं को चीरते हुए मानो दूज का चाँद निकल आया हो और अपनी चांदनी की छटा सर के चारों तरफ बिखेरने को आतुर हो..! वहीं जब अपने चेहरे को देखा तो उसमे भी कहीं कहीं दाग धब्बे गड्ढे दिखे और अजीब सी एक उदासी सी छा रही थी..! ए कलम मानो दर्पण मुझसे कह रहा हो कि अब कलम का साथ छोड़ और तुलसीमाला हाथ मे ले ले..! यूँ आभास होते ही मैं बेचैन हो गया और यकायक दर्पण से बोल उठा.. ए दर्पण मेरे थोड़ा वक़्त दे,.. थोड़ा वक़्त दे.. अभी तक मुझे मेरी अंतरप्रेरणा का दीदार तक नहीं हुआ है.. बस एक बार उसका दीदार कर लूँ फिर तेरे सारे इशारों को सहर्ष स्वीकार कर लूंगा... और मानो दर्पण ने मेरी विस्मृति पर कटाक्ष करते हुए मुझे आगाह किया हो कि-"मत भूल दीदार और श्रृंगार के लिए मुकर्रर वक़्त इस जन्म मे नहीं अगले जन्म का है इसलिये अपने आप को बैचैन मत कर..! " इतना सुनते ही मानो मैंने दर्पण से मुख मोड़ लिया और तुमसे मेरे अंतर के द्वन्द बताने चला आया.. क्या तुम भी यह मान चुके हो कि अब मैं उस अवस्था के पायदान चढ़ने लगा हूँ जहाँ से वापस उतरा नहीं जा सकता..? और अगर मेरी देह अपने चरम को पा रही है तो क्या मुझे अपनी अंतरप्रेरणा से मुख मोड़ लेना चाहिए, ये किस अवस्था में आ पड़ा हूँ, क्या अब उसे भुलाना होगा मुझे..? क्या अब उसके रूप लावण्य पर, उसके सौंदर्य पर,उसके मनमोहक स्वरूप पर,स्वभाव पर लिखना अशोभनीय सा लगेगा..? या ऐसा करने से मुझे या उसे कोई क्षोभ हो सकता है...? ना जाने कितने सवाल मेरे अंतर को वेधे जा रहे हैं..! मैं उसे अपने अंतर से कैसे विदा कर पाउँगा कलम...नहीं नहीं मैं तो उसे एक पल भी दूर न कर पाउँगा। तुम तो मेरे पग पग के साथी रहे हो.. तुमसे क्या छिपा है कलम..! मैं तुमसे पूछता हूँ,बस मुझे इतना बता दो मेरी अंतरप्रेरणा मेरी इस बूढ़ी होती देह को देखकर मुझसे दूर तो नहीं हो जायेगी..! वो मेरे पास ही रहेगी ना..? बोलो ना कलम..! मेरे पास..! क्यूंकि मेरे पास केवल वही है जो मेरे जीने का आधार है। ©अज्ञात #कलम
Ganesh joshi
White अन्तो नास्ति पिपासायाः । अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है । ©Ganesh joshi #shayari अन्तो नास्ति पिपासायाः । अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है । #story #status #motivatation #Gym
shayari अन्तो नास्ति पिपासायाः । अर्थ : तृष्णा का अन्त नहीं है । #story #status #motivatation #Gym #Motivational
read moreMohan raj
White प्रज्ञायाः अर्थः ज्ञानस्य अर्थः - आत्मानं दृढं साहसं च कर्तुं। बुद्धि अर्थात ज्ञान का अर्थ है - अपने आप को मजबूत और साहसी बनाना। Wisdom means knowledge means - to make oneself strong and courageous. Dhnyvaad Har Har Mahadev ©Mohan raj #Buddha_purnima बुद्धि अर्थात ज्ञान का अर्थ है - अपने आप को मजबूत और साहसी बनाना।
#Buddha_purnima बुद्धि अर्थात ज्ञान का अर्थ है - अपने आप को मजबूत और साहसी बनाना। #Life
read moreGanesh joshi
White प्कृति पृथ्वी की सुदंरता है ©Ganesh joshi #Lake #अर्थ #Earth #prakriti #ganeshjoshibkn
SarkaR
कलम हमारी चलती है करीबी दुनिया देख कर। ज़ालिम दुनिया ने हमे ही किरदार बना दिया। ©SarkaR #कलम