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अज्ञात
Krishnadasi Sanatani
शुभ और निशुभ, दो असुर भाइयों ने कड़ी तपस्या करके ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया कि कोई भी मनुष्य उन्हें नष्ट नहीं कर पाए। फिर उन दोनो ने सभी लोकों पर शासन करने के लिए इंद्र और देवों को हरा दिया। देवों ने मदद के लिए शिव से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें पार्वती की सहायता लेने की सलाह दी। तब पार्वती ने असुरों से लड़ने के लिए दुर्गा का रूप धारण किया। युद्ध के मैदान में, असुरों ने सबसे पहले चण्ड और मुण्ड को देवी से लड़ने के लिए भेजा। दुर्गा ने तब काली (या कालरात्रि) का रूप धारण किया और चण्ड और मुण्ड को आसानी से हरा दिया इसलिए उन्हें चामुंडा नाम दिया गया। फिर, काली को मारने के लिए रक्तबीज नामक एक अन्य असुर को भेजा गया। उसे अपने खून की एक-एक बूंद के साथ तुरंत खुद का एक और रूप बनाने का वरदान प्राप्त था। उसे हराने के लिए, काली ने फिर अपनी जीभ को पूरे युद्धभूमि में इस तरह फैला दिया कि रक्तबीज के खून की एक बूंद भी जमीन पर ना गिरे। दुर्गा ने रक्तबीज पर हमला किया और काली ने उसके खून की एक भी बूंद जमीन पर गिरने नही दी। और इस तरह रक्तबीज की मृत्यु हुई। इसके बाद, शुभ और निशुभ को भी देवी ने मार गिराया। ©Krishnadasi Sambhavi शुभ और निशुभ, दो असुर भाइयों ने कड़ी तपस्या करके ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया कि कोई भी मनुष्य उन्हें नष्ट नहीं कर पाए। फिर उन दोनो ने स
Brajesh Hansraj
Krishna Kanto
महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || ©Krishna Kanto वे तीनों लोकों के पिता स्वरुप एक रुप है । अकाल महाकाल हैं । हर हर महादेव । #shivratri #mahadev #Maha_shivratri #Shiva #shivratri2023
SoulChitra
True path
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है। इसलिए उन्होंने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करने की बात सोची। उस में तीनों लोकों के सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया। भगवान शिव उनके इष्ट देवता थे, इसलिए उनका आशीर्वाद लेने वह कैलाश पहुंचे और कहा, प्रभो! आज मैं तीनों लोकों में सबसे धनवान हूं, यह सब आप की कृपा का फल है। अपने निवास पर एक भोज का आयोजन करने जा रहा हूँ, कृपया आप परिवार सहित भोज में पधारने की कृपा करे। भगवान शिव कुबेर के मन का अहंकार ताड़ गए, बोले, वत्स! मैं बूढ़ा हो चला हूँ, कहीं बाहर नहीं जाता। कुबेर गिड़गिड़ाने लगे, भगवन! आपके बगैर तो मेरा सारा आयोजन बेकार चला जाएगा। तब शिव जी ने कहा, एक उपाय है। मैं अपने छोटे बेटे गणपति को तुम्हारे भोज में जाने को कह दूंगा। कुबेर संतुष्ट होकर लौट आए। नियत समय पर कुबेर ने भव्य भोज का आयोजन किया। तीनों लोकों के देवता पहुंच चुके थे। अंत में गणपति आए और आते ही कहा, मुझको बहुत तेज भूख लगी है। भोजन कहां है। कुबेर उन्हें ले गए भोजन से सजे कमरे में। सोने की थाली में भोजन परोसा गया। क्षण भर में ही परोसा गया सारा भोजन खत्म हो गया। दोबारा खाना परोसा गया, उसे भी खा गए। बार-बार खाना परोसा जाता और क्षण भर में गणेश जी उसे चट कर जाते। थोड़ी ही देर में हजारों लोगों के लिए बना भोजन खत्म हो गया, लेकिन गणपति का पेट नहीं भरा। वे रसोईघर में पहुंचे और वहां रखा सारा कच्चा सामान भी खा गए, तब भी भूख नहीं मिटी। जब सब कुछ खत्म हो गया तो गणपति ने कुबेर से कहा, जब तुम्हारे पास मुझे खिलाने के लिए कुछ था ही नहीं तो तुमने मुझे न्योता क्यों दिया था? कुबेर का अहंकार चूर-चूर हो गया। ©N S Yadav GoldMine #Nightlight {Bolo Ji Radhey Radhey} यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति