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Dinesh Kumar
खुश रहकर गुजारो,तो मस्त हे जिंदगी,दुखी रहकर गुजारो,तो त्रस्त हे जिंदगी,तुलना मे गुजारो,तो पस्त हे जिंदगी,इंतज़ार मे गुजारो,तो सुस्त हे जिंदगी,सीखने मे गुजारो,तो क़िताब हे जिंदगी,दिखावे मे गुजारो, तो बर्बाद हे जिंदगी,मिलती हे एक बार,प्यार से बिताओ जिंदगी,जन्म तो रोज़ होते हें,यादगार बनाओ जिंदगी #NojotoQuote जीना इसी का नाम हें ज़िंदगी
Artist Rahul poetries
''अहसास हें,, अहसास हें.. हम ज़िंदा हें.. ज़मीर से भी और सांसो से भी, और जिंदा हें, ख्वाबों के लिए, जो देखे हें उनके लिए जिन पर जान छिड़कती हें, अहसास हें.. उनको पूरा करना हें.. मुझे हर दिन चलना हें, हर वक़्त, उनके लिए सिर्फ उनके लिए, जिनकी वजह से मेरी सांसे हें, और में और मेरे ख्वाब, अहसास हें.. सब बेहतर होगा, क्युकी प्रयास कभी हारते नहीं! #Artist Rahul Poetry's Udaipur . Rajasthan. ©Artist Rahul ''अहसास हें,,
Asha...#anu
अमीर इतना अमीर...गरीब इतना गरीब क्यो है? हें भगवान! तेरी इस मनोहर धरती पर... ऊँच-नीच की रेखा क्यूँ है? बेटे तो है तेरे सभी..फिर क्यूँ यें भेदभाव है? कोई खाता है दर-दर की ठोकर,कोई बना राजा..तो कोई नौकर..! होकर सब भाई-भाई ईर्षा, द्वेष आखिर क्यूँ है? होकर सब तेरी ही बनावट...फीर क्यूँ रंग, रूप, सोच अलग है? हें मालिक! तू ही तो है रचनाकार,पर क्यूँ तूँ हमसे दूर है? बदलते तेरी इस रचना से क्या अब भी तूँ अंजान है? बेबस,लाचार, बेगुनाह के चीख़ों की आवाज.. क्या अब भी तुझ से दूर है? अमीर इतना अमीर...गरीब इतना गरीब क्यो है? हें भगवान! तेरी इस मनोहर धरती पर..ऊँच-नीच की रेखा क्यूँ है?" हें भगवान!...आखिर क्यूँ?
Safeek
लोग कहते है कि अगर हांथो की लकीरें, अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नहीं होती. लेकिन हम कहते है की, सर पर हाँथ हो अगर अपनो का, तो लकीरो की ज़रूरत ही नहीं होती. ©Safeek #Remember लोग कहते हें