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Zoga Bhagsariya
जिसको मैं चाहती रही ,उसको , ये लोग , बंदूक ओ गोलियां दिखाते रहे ।। मैं बदकिस्मती से ,सुंदर थी, मेरे घरवाले , हुस्न की बोलियां लगाते रहे ।। ©Zoga Bhagsariya जिसको मैं चाहती रही ,उसको , ये लोग , बंदूक ओ गोलियां दिखाते रहे ।। मैं बदकिस्मती से ,सुंदर थी, मेरे घरवाले , हुस्न की बोलियां लगाते रहे ।।
Pushpvritiya
मन का "मुक्ति" में, तन का "संयमित" होना.... आवश्यक जान पड़ता है..... "निराकारित" मन, तन का "आकारित" होना आवश्यक जान पड़ता है......... मन को नभ खुला हो, तन का "भू-धारित" होना आवश्यक जान पड़ता है........ मन "आलय" है निर्बाध वेगों का,विस्तारण होगा हीं, तन का "तटों" सा "व्यवहारित" होना आवश्यक जान पड़ता है.......... कि भिन्न है बोलियां...भाषाएं...कथनी और करनी....दोनो की....... किन्तु-परन्तु "संतुलन संचारित" होना आवश्यक जान पड़ता है....... @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya #RABINDRANATHTAGORE मन का "मुक्ति" में, तन का "संयमित" होना.... आवश्यक जान पड़ता है..... "निराकारित" मन, तन क
singer Yasvant rAj
tahsin ali haider07
N S Yadav GoldMine
महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्कों, मणियों, अंगदों, के यूरों और हारों से समरांगण विभूषित दिखाई देता है। कहीं वीरों की भुजाओं से छोड़ी गयी शक्तियां पड़ी हैं, कहीं परिध, नाना प्रकार के तीखे खग और बाणसहित धनुष गिरे हुए हैं। कहीं झुंड के झुंड मांस भक्षी जीव-जन्तु आनन्द मग्न होकर एक साथ खड़े हैं, कहीं वे खेल रहे हैं और कहीं दूसरे-दूसरे जन्तु सोये पड़े हैं। 📚 वीर। प्रभो। इस प्रकार इन सबसे मरे हुए युद्धस्थल को देखो। जनार्दन। मैं तो इसे देखकर शोक से दग्ध हुई जाती हूं। मधुसूदन। इन पान्चाल और कौरव वीरों के मारे जाने से तो मेरे मन में यह धारणा हो रही है कि पांचो भूतों का ही विनाश हो गया । उन वीरों को खून से भीगे हुए गरूड़ और गीध इधर - उधर खींच रहे हैं। 📚 सहस्त्रों गीध उनके पैर पकड़ - पकड़ कर खा रहे हैं, इस युद्ध में जयद्रथ, कर्ण, द्रोणाचार्य, भीष्म और अभिमन्यु- जैसे वीरों का विनाश हो जायेगा, यह कौन सोच सकता था? जो अवध्य समझे जाते थे, वे भी मारे गये और अचेत एवं प्राणशून्य होकर यहां पड़े हैं। गीध, कंक, बटेर, बाज, कुत्ते और सियार उन्हें अपना आहार बना रहे हैं। 📚 दुर्योधन के अधीन रहकर अमर्ष के वशीभूत हो ये पुरुष सिंह वीरगण बुझी हुई आगे के समान शान्त हो गये हैं। इनकी ओर दृष्टिपात तो करो। जो लोग पहले कोमल बिछौनों पर सोया करते थे, वे सभी आज मरकर नंगी भूमि पर सो रहे हैं। 📚 जिन्हें सदा ही समय-समय पर स्तुति करने वाले बन्दीजन अपने वचनों द्वारा आनन्दित करते थे, वे ही अब सियारिनों की अमंगल सूचक भांति - भांति की बोलियां सुन रहे हैं। जो यशस्वी वीर पहले अपने अंगों में चन्दन और अगुरू चूर्ण से चर्चित हो सुखदायिनी शययाओं पर सोते थे, वे ही आज धूल में लोट रहे हैं। 📚 उनके आभूषणों को ये गीध, गीदड़ और भयानक गीदडियां बारबार चिल्लाती हुई इधर -उधर फेंकती हैं । ये सभी युद्धाभिमानी वीर जीवित पुरुषों की भांति इस समय भी तीखे बाण, पानीदार तलवार और चमकीली गदाऐं हाथों में लिये हुए हैं। 📚 सुन्दर रूप और कान्तिवाले, सांडों के समान हष्ट-पुष्ट तथा हरे रंग के हार पहने हुए बहुत से योद्धा यहा सोये पड़े हैं और मांसभक्षी जन्तु इन्हें उलट-पलट रहे हैं। परिध के समान मोटी बाहों वाले दूसरे शूरवीर प्रेयसी युवतियां की भांति गदाओं का आलिंगन करके सम्मुख सो रहे हैं। जनार्दन। बहुत से योद्धा चमकीले योद्धा चमकीले कवच और आयुध धारण किये हुए हैं, 📚 जिससे उन्हें जीवित समझकर मांसभक्षी जन्तु उन पर आक्रमण नहीं करते हैं। दूसरे महामस्वी वीरों को मांसाहारी जीव इधर-उधर खींच रहे हैं, जिससे सोने की बनी हुई उनकी विचित्र मालाएं सब ओर बिखर गयी हैं। यहां मारे गये यशस्वी वीरों के कण्ठ में पड़े हुए हीरों को ये सहत्रों भयानक गीद़ड़ खींचते और झटकते हैं। 📚 बृष्णिसिंह। प्रायः प्रत्येक रात्रि के पिछले पहर में सुशिक्षित बन्दीजन उत्तम स्तुतियों और उपचारों द्वारा जिन्हें आनन्दित करते थे, उन्हीं के पास आज ये दु:ख और शोक से अत्यन्त पीडि़त हुई सुन्दरी युवतियां करूण विलाप कर रही हैं। केशव। इन सुन्दरियों के सूखे हुए सुन्दर मुख लाल कमलों के समूह की भांति शोभा पा रहे हैं। ©N S Yadav GoldMine #RABINDRANATHTAGORE महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्को
Chanchala Singh
Dr Manju Juneja
ओ सुखी तेरे हथ विच रुमाल ,मैं वी पाया कुर्ता लाल नच लईये असा वी तेरे नाल दिल करे मैं ता भंडगे विच तेरे नाल नचा हो सौदा खरा -खरा हो सौदा खरा -खरा ओ सुखी तेरे हथ विच रुमाल तू ते मुंडा बड़ा कमाल मैं वी गिद्दा पौन नू तैयार, नच लईये असा वी तेरे नाल दिल करे मैं ता भगड़े विच तेरे नाल नचा हो सौदा खरा- खरा हो सौदा खरा- खरा ओ सुखी तेरे हथ विच रुमाल ,तेरे गानयाँ दा कमाल तू ते करना ऐ धमाल,मैं वी सोहणी हा मुट्यार दिल करे मैं ता भगड़े विच तेरे नाल नचा हो सौदा खरा- खरा हो सौदा खरा- खरा ओ सुखी तेरे हाथ रुमाल हर पासे आई प्यार दी बहार हर कोई तैनू मिलन नू तैयार दिल करे मैं ता भगड़े विच तेरे नाल नचा हो सौदा खरा -खरा हो सौदा खरा- खरा ©Dr Manju Juneja #सुखबीर #Nachdi #पंजाबी #बोलिया #बोलियाँ #रुमाल #प्यार #भंगडा #नचा #दिल
Ekta Gour
तेरी मीठी बोलीया, मेरी डाली हुई रंगोलीया, तेरी तारीफो बोलीया, मैने बनाई तिखी कचोरीया! तेरी प्यार-भरी बोलीया, मैने खिलाई तुम्हें खुशियो की गोलिया! #बोलियां #मीठी_बातें