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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- जन्मदिवस पर आज मैं , करता बैठ विचार । रघुवर अपने नाथ को , दूँ क्या मैं उपहार । ******************************** #कविता

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गीत :-
जन्मदिवस पर आज मैं , करता बैठ विचार ।
रघुवर अपने नाथ को , दूँ क्या मैं उपहार ।

********************************

दीर्घ आयु गुरुदेव को , देना हे रघुनाथ ।
उनका शिष्यों पर रहे  , निशिदिन दोनों हाथ ।।
दीर्घ आयु गुरुदेव को ...

स्वस्थ सदा तन से रहे , न रहे हृदय विकार ।
ऐसे गुरुवर का सदा , सुखी रहे परिवार ।।
जन्मदिवस गुरुदेव का , आया जो इस बार ।
चला माँगने राम से , मैं गुरुवर का साथ ।।
दीर्घ आयु गुरुदेव को...

ऐसे गुरुवर को सभी, मानों देव समान ।
जिनके पथ पर शिष्य चल , बनते सदा महान ।।
अज्ञानी में ज्ञान का , यही जलाते दीप ।
ये ही सूरज चाँद हैं , लगे न सबके हाथ ।।
दीर्घ आयु गुरुदेव को ....

सरल व्यक्तित्व के धनी , नहीं ज्ञान अभिमान ।
गुरुकुल के सब शिष्य को , रखते एक समान ।।
मीठी -प्यारी बोलियां , है जादू की खान ।
लाया गुरुवर धाम से , भरकर दोनों हाथ ।।

दीर्घ आयु गुरुदेव को , देना हे रघुनाथ ।
उनका शिष्यों पर रहे  , निशिदिन दोनों हाथ ।।

२९/०१/२०२३  -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-

जन्मदिवस पर आज मैं , करता बैठ विचार ।

रघुवर अपने नाथ को , दूँ क्या मैं उपहार ।

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल  सच को मिलती हैं गालियाँ देखो । झूठ पे बजती तालियाँ देखो ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल 
सच को मिलती हैं गालियाँ देखो ।
झूठ पे बजती तालियाँ देखो ।।१

पेट कितना भरा हमारा है ।
तुम भी आकर ये थालियाँ देखो ।।२

काट कर पेट बेटियाँ पाली ।
क्या बचा आज झोलियाँ देखो ।।३

नाम ऊँचा जरूर होगा कल ।
पढ़ रही आज बेटियाँ देखो ।।४

किसका मक़सद हुआ यहाँ पूरा ।
हर बशर में हैं सिसकियाँ देखो ।।५

वो नहीं फिर मिले कभी हमसे ।
बन्द जबसे ये खिड़कियाँ देखो ।।६

आह दिल से अगर मिरे निकली ।
टूट जायेगी फिर बेडियाँ देखो ।।७

पीठ पे मार कर चले ख़ज़ंर ।
मीठी जिनकी थी बोलियाँ देखो ।।८

रूह तक हो गई प्रखर घायल ।
भीगती आप आँखियाँ देखो ।।९

२२/१२/२०२३   - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 

ग़ज़ल 

सच को मिलती हैं गालियाँ देखो ।

झूठ पे बजती तालियाँ देखो ।।१

Chanchala Singh

#Hindidiwas मधुर वाणी मेरी हिंदी की हर हृदय को ये लुभाती है..!! बेहद सरल स्वभाव है इसका मन जन जन की छू जाती ..!! गजब कशिश है स्वरों में इसके #Poetry #hindipoetry #chanchal #myownwords #myownfeelings #myowncreations #hindishtari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

राज दिल हमसे बताते क्यूं भला । प्यार इतना तो छुपाते क्यूं भला ।।१ इल्म होता ये कहीं हमको जरा । दिल तुम्हारा हम दुखाते क्यूं भला ।।२ माँग म #शायरी

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राज दिल हमसे बताते क्यूं भला ।
प्यार इतना तो छुपाते क्यूं भला ।।१

इल्म होता ये कहीं हमको जरा ।
दिल तुम्हारा हम दुखाते क्यूं भला ।।२

माँग में सिंदूर उनकी जच रहा ।
गाल टीका ना लगाते क्यूं भला ।।३

देखकर वो दूसरो की थालियां ।
शोर अब इतना मचाते क्यूं भला ।।४

अब नही है काम का ये आदमी ।
बोलियां ऐसी उठाते क्यूं भला ।।५

तू उठा पर्दा सियासत से जरा ।
बीज नफ़रत का उगाते क्यूं भला ।।६

खा नही पाए जिसे दीमक कभी ।
सच यहाँ ऐसा छिपाते क्यूं भला ।।७

हैं अगर वो भी हमारे तो कहो ।
जाल फिर ऐसा बिछाते क्यूं भला ।।८

भूल जो तुमको गये बोलो प्रखर ।
तुम उन्हें फिर से बुलाते क्यूं भला ।।९

१६/०५/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राज दिल हमसे बताते क्यूं भला ।
प्यार इतना तो छुपाते क्यूं भला ।।१

इल्म होता ये कहीं हमको जरा ।
दिल तुम्हारा हम दुखाते क्यूं भला ।।२

माँग म

N S Yadav GoldMine

#RABINDRANATHTAGORE महाभारत: स्‍त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्को #पौराणिककथा

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Pushpvritiya

#RABINDRANATHTAGORE मन का "मुक्ति" में, तन का "संयमित" होना.... आवश्यक जान पड़ता है..... "निराकारित" मन, तन क #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आज हम भी करें बखान कोई । यार दिल में भरा गुमान कोई ।।१ पास अपने नहीं मकान कोई ।। पर ऊँचा दिखा मचान कोई ।।२ सोचकर ये नही टिकी खुशियां । आज #शायरी

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आज हम भी करें बखान कोई ।
यार दिल में भरा गुमान कोई ।।१
पास अपने नहीं मकान कोई ।।
पर ऊँचा दिखा मचान कोई ।।२
सोचकर ये नही टिकी खुशियां ।
आज इसका नहीं ठिकान कोई ।।३
रात दिन मेहनत किया उसने ।
पर मिला ही नहीं जहान कोई ।।४
टूटता जा रहा बदन सारा ।
अब उतारे भला थकान कोई ।।५
रोग ये इश्क़ का लगा जिसको ।
फिर न पाता सुनों निदान कोई ।।६
झूठ की अब लिए सभी बैठे ।
हर तरफ़ तो यहाँ दुकान कोई ।।७
तुम अगर नेकियाँ यहाँ करतें ।
ये बनाते तुम्हें महान कोई ।।८
दुष्ट परिणाम ये नही कहते ।
की हुआ तू यहाँ जवान कोई ।।९
लग रही बोलिया घरो की अब।
पर मिला घर नही समान कोई ।।१०
जख़्म जो लग रहा प्रखर ताजा ।
रह गया है सुनो निशान कोई ।।११
०३/०५/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आज हम भी करें बखान कोई ।
यार दिल में भरा गुमान कोई ।।१

पास अपने नहीं मकान कोई ।।
पर ऊँचा दिखा मचान कोई ।।२

सोचकर ये नही टिकी खुशियां ।
आज

pankaj balania

हुस्न की बोलिया #Husn #शायरी

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Vedantika

लड़कर ज़िन्दगी से स्वप्नलोक में एक रात में जब हम थक गए गहरी नींद सुबह जब खुली तो पत्थर का एक बुत बन गए बुत बन कर हमने जाना वृक्षों की अनकही वि

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लड़कर ज़िन्दगी से स्वप्नलोक में एक रात में जब हम थक गए
गहरी नींद सुबह जब खुली तो पत्थर का एक बुत बन गए
बुत बन कर हमने जाना वृक्षों की अनकही विवशता को
बांध कर रख दिया हमने हृदय में उमड़ रही भावनाओं के ज्वार को
मौन हो देख रहे थे हम समाज की परिपाटी का चलन
एक व्यापारी ले गया हमें जब अपनी दुकान पर कल

शेष अनुशीर्षक में........ लड़कर ज़िन्दगी से स्वप्नलोक में एक रात में जब हम थक गए
गहरी नींद सुबह जब खुली तो पत्थर का एक बुत बन गए
बुत बन कर हमने जाना वृक्षों की अनकही वि

सुसि ग़ाफ़िल

फड़फड़ाए एक परिंदा यार के इंतजार में , यार उसका गेरों की छत पर बोलियां पा रहा !

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फड़फड़ाए 
एक परिंदा 
यार के इंतजार में ,

यार उसका 
गेरों की छत पर 
बोलियां पा रहा ! फड़फड़ाए 
एक परिंदा 
यार के इंतजार में ,
यार उसका 
गेरों की छत पर 
बोलियां पा रहा !
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