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Anjali Singhal

#PulwamaAttack "इश्क़ के पैग़ाम में मिट्टी का रंग भी भर लेना, ख़त एक आज देश के नाम भी लिख देना। तिरंगा रखा है जिन्होंने सदा लहराके, मर-मि

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#PulwamaAttack "इश्क़ के पैग़ाम में मिट्टी का रंग भी भर लेना,
ख़त एक आज देश के नाम भी लिख देना।

तिरंगा रखा है जिन्होंने सदा लहराके,
मर-मिटने की वो आन-बान-शान लिख देना।

बिखरा खून मिट्टी में देश के दीवानों का,
हर एक शहीद को खिलता हुआ गुल लिख देना।

फीकी न पड़े ख़ुशबू इनकी कभी,
मोहब्बत की एक ये निशानी लिख देना।

रग-रग में बहे इश्क़ सभी के,
पहचान में बस दिलों में हिंदुस्तान लिख देना।।"

#जय_हिंद 🇮🇳

©Anjali Singhal #PulwamaAttack 

"इश्क़ के पैग़ाम में मिट्टी का रंग भी भर लेना,
ख़त एक आज देश के नाम भी लिख देना।

तिरंगा रखा है जिन्होंने सदा लहराके,
मर-मि

Faruk

#Sad_Status 🏃📖मंज़िल की ओर बढ़ते रहो रुकना नहीं, थमना नहीं, जो चल पड़े, वो गिरता नहीं। अंधेरों में भी जो जलते रहे, सुबह की किरण से डरता नही

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White मंज़िल की ओर बढ़ते रहो

रुकना नहीं, थमना नहीं,
जो चल पड़े, वो गिरता नहीं।
अंधेरों में भी जो जलते रहे,
सुबह की किरण से डरता नहीं।

हर ठोकर इक सबक सिखाए,
हर मुश्किल हौसला बढ़ाए।
सपने उन्हीं के पूरे होते,
जो गिरकर फिर संभल जाए।

मंज़िल तुम्हें पुकार रही है,
हिम्मत से तुम काम लो।
हर मुश्किल झुक जाएगी,
बस एक और कदम बढ़ा लो!

©Faruk 
  #Sad_Status 🏃📖मंज़िल की ओर बढ़ते रहो

रुकना नहीं, थमना नहीं,
जो चल पड़े, वो गिरता नहीं।
अंधेरों में भी जो जलते रहे,
सुबह की किरण से डरता नही

Faruk

#Sad_Status 🏃📖मंज़िल की ओर बढ़ते रहो रुकना नहीं, थमना नहीं, जो चल पड़े, वो गिरता नहीं। अंधेरों में भी जो जलते रहे, सुबह की किरण से डरता नही

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White मंज़िल की ओर बढ़ते रहो

रुकना नहीं, थमना नहीं,
जो चल पड़े, वो गिरता नहीं।
अंधेरों में भी जो जलते रहे,
सुबह की किरण से डरता नहीं।

हर ठोकर इक सबक सिखाए,
हर मुश्किल हौसला बढ़ाए।
सपने उन्हीं के पूरे होते,
जो गिरकर फिर संभल जाए।

मंज़िल तुम्हें पुकार रही है,
हिम्मत से तुम काम लो।
हर मुश्किल झुक जाएगी,
बस एक और कदम बढ़ा लो!

©Faruk #Sad_Status 🏃📖मंज़िल की ओर बढ़ते रहो

रुकना नहीं, थमना नहीं,
जो चल पड़े, वो गिरता नहीं।
अंधेरों में भी जो जलते रहे,
सुबह की किरण से डरता नही

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक स

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White दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े,
एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े।
एक चाहता है शोहरत का हर रंग,
दूसरा तलाशे बस शांति का एक संग।

ख्वाहिशें बढ़ें तो सपनों का बोझ भारी हो,
सुकून घटे तो दिल का हर पल बेमानी हो।
एक बिछाए महलों का ख्वाब, अंबर को छूने,
दूसरा खो जाए पेड़ों की छांव में सुकून पाने।

जब ख्वाहिशें बढ़ें, रास्ता कठिन हो जाए,
सुकून का समंदर कब लहरों में खो जाए।
अगर धड़कनों का रुख सही दिशा में हो,
तो दिल के सारे सवाल खुद-ब-खुद हल हो।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े,
एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े।
एक चाहता है शोहरत का हर रंग,
दूसरा तलाशे बस शांति का एक स

theABHAYSINGH_BIPIN

#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के

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वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।
क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर,
इशारे में थामो, उड़ान बदलती है।

क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से,
वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं।
क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो,
वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं।

हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं,
हर रिश्ते में वो तड़प रहती है।
क्यों हो इतना भी बेकरार तुम,
वक्त पर ही नींद सुकून की आती है।

जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता,
वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है।
क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो,
वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है।

नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों,
वक्त पर ही दवा मिलती है।
दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ,
वक्त पर ही अपने मिलते हैं।

क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया,
वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं।
क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए,
वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है।

छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे,
वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं।
वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है,
वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope  
वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

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हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।

जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।
जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले, अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम। वो जो हाथ थामते थे हर कदम में, अब खाली हैं, फिर भी

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जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले,
अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम।

वो जो हाथ थामते थे हर कदम में,
अब खाली हैं, फिर भी दिल से चल पड़े हैं हम।


तेरे बिना भी अब खुद को पा लिया है हमने,
अब रास्ते अपनी मंज़िल की ओर ले चले हैं हम।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले,
अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम।

वो जो हाथ थामते थे हर कदम में,
अब खाली हैं, फिर भी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख

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चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे खा नहीं पाया, वो सबक बन बैठा।

तूफ़ानों से लड़ने का हुनर सिखा दिया,
नाव डूब भी गई तो समंदर बना दिया।

राह मुश्किल थी, मगर इरादा बुलंद था,
ख़ुद को हारा नहीं समझा, यही फ़र्ज़ था।

जंग जीतेंगे वही, जो लड़ने का हौसला रखें,
हार भी सर पे सजे, वो विजेता बनें।

मौत भी कहती रही, मुझसे किनारा कर ले,
मैंने हंसकर कहा, जीने का सहारा कर ले।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे ख

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

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White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधि
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