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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Amar Singh
----------------- मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। कभी घर -घर माँ कहलाती थी हर भवन मैं पूजी जाती थी। आज माँ तो सभी कहते है, बातें बड़ी -बड़ी करते है । व्हाट्सऐप, फेसबुक,टवीटर पर है चर्चे करते बेबसाईटों पर। छोड़ देते है सब दुहने के बाद मुझ बेचारी को बुढ़ापे के बाद। मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। जंगल काट कर खेत बना लिए उनमें कटीले तार लगा दिए। मुझ पर दया न आती आज है प्रभु कैसा तेरा राज । वह ऊसर जहाँ हम चरते है अब वहाँ भी खेती करते है। कहाँ चरूगी कहाँ रहूँगी कैसे जीवन नया जियूगी ? मैं भी आयी जग में साथ मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। मुझे भी तो कुटीर चाहिए झुलसता है बदन गर्मी में मौसम पर जोर किसका जान जाती है सर्दी में। है दूध पिलाया मैंने जिसको अब याद नहीं दन्भी मानव को । दूध पीकर भी नहीं है मेरे साथ मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। गाय का दर्द
Amar Singh
----------------- मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। कभी घर -घर माँ कहलाती थी हर भवन मैं पूजी जाती थी। आज माँ तो सभी कहते है, बातें बड़ी -बड़ी करते है । व्हाट्सऐप, फेसबुक,टवीटर पर है चर्चे करते बेबसाईटों पर। छोड़ देते है सब दुहने के बाद मुझ बेचारी को बुढ़ापे के बाद। मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। जंगल काट कर खेत बना लिए उनमें कटीले तार लगा दिए। मुझ पर दया न आती आज है प्रभु कैसा तेरा राज । वह ऊसर जहाँ हम चरते है अब वहाँ भी खेती करते है। कहाँ चरूगी कहाँ रहूँगी कैसे जीवन नया जियूगी ? मैं भी आयी जग में साथ मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। मुझे भी तो कुटीर चाहिए झुलसता है बदन गर्मी में मौसम पर जोर किसका जान जाती है सर्दी में। है दूध पिलाया मैंने जिसको अब याद नहीं दन्भी मानव को । दूध पीकर भी नहीं है मेरे साथ मैं अकेली रह गयी हूँ कोई न है मेरे साथ। गाय का दर्द
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
JASU RAJGURU
माहमारी का विकराल रूप आजकल एक माहमारी है जिसका नाम लम्पी बताया जा रहा है यह गाय पशु के लिए मौत का तांडव बन रहा है इस विकराल बीमारी का अस्तित्व सन 1929 से बताया जा है जिसका सर्व प्रथम वेरियंट अमेरिका से बताया जा रहा है भारत के नजदीक देश पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी इसके कई उदाहरण दिखाए गए है अब यह बांग्लादेश से होते हुए भारत के सटीक राज्यो में विकराल समस्या बन कर आया है जिसका रूप गाय पशुओं के लिए बेहद भयाभव है भारत के गुजरात और राजस्थान में इसका असर बेहद तेजी हो रहा है जिसके कारण प्रतिदिन हजारों गाय अपने जीवन को त्याग रही है राजस्थान के पछिमी स्थान बाडमेंर में इसका असर बेहद खतरनाक हो रहा है अभी इस माहमारी से लगभग हजारों गाय अपनी जान बेमौत गवा चुकी है इसके बावजूद अभी तक इस माहमारी का हमारे पास कोई इलाज नही है यह बीमारी नाम मात्र एक लम्पी रोग बताया जा रहा ,इसका असर इतना भयानक है कि हम अपनी आँखों से इस माहमारी से ग्रसित गाय को देख नही सकते , ,प्रथामिकता के रूप पर गाय को बुखार आता है जो हमे दो दिन तक नजर नही आता ,फिर इसके शरीर पर फफोले जैसे चकवे हो जाते है जो कुछ गायों के शरीर के अंदर हो जाते है जो अंदर ही अंदर खून के धब्बे हो जाते है बाद में वह चमड़ी को चीरते हुए बाहर आते है जिसमे खून के साथ चमड़ी ओर गङ्ढे हो जाते है आखों से बहता नीर ,इसके खाने की नली को ब्लॉक कर देती है इसका दर्द इतना भयंकर होता है कि यह खाना पीना बन्द कर देती है ओर बेजान अपनी जान को छोड़े जमीन पर पड़ी रहती है जिसके आखों से निकलते अश्क़ उसके दर्द को बयां करती है उनके शरीर से निकलता रक्त उनके सासों को मजबूर करता है कि इस स्थित में साँसे कैसे छोडी जाए ,वह लाचार पड़ी अपने दुख को व्यतीत करती बेजान नजर आती है यह मंजर देखने वालो के लिए भयानक होता है हिन्दू धर्म मे गाय को माँ की तरह रखा जाता है इस स्थित में वह मंजर उन पशु पालको के लिए बेहद पीड़ादायक होता है इन बेजान लाचार पशुओं के विकराल समस्या का जल्द कोई समाधान निकाले , सरकार ओर खोखले सिस्टम से जुड़े लोग गो भगत बनके इनके नाम पर रोटियां चेकते है लेकिन अब वह पता नही कहा गायब है इन हालातों में राजनीति को थोड़ी नजरिये से हटा कर इन बेजान जीव गाय के सरक्षण में आगे आये , ओर इन माहमारी का कोई इलाज करे ,ओर वैक्सीन रुपी दवाई लाकर इनके दर्द को कम करे ,बेमौत मरने वाले पशुओं की जानो में नया जीवन लाये , हर जगह आप राजीनीति का मुदा उठाए उससे हमें कोई एतराम नही ,इन बेजान पशुओं के पक्ष में सही निर्णय लेकर इनको बचाया जा सकता है कई बार बहस में खुद को गो रक्षा फोर्स के कमांडो बताने वाले बहुत दिखते है आजकल वह चेहरे शायद धुंधले नजर आ रहे है ऐसे लोगो से दूर रहे , अपने आज पास इस माहमारी से ग्रसित गाय को सहायता रूपी निवाला दे वही आपकी सच्ची कमाई का हिस्सा होगा , यहां इनके नाम पर राजीनीति न करे इन मानव जीवन को साकार करते हुए इन जीवों की मदद करे , सरकार से अनुरोध रहेगा की लम्पी नामक विकराल बीमारी का इलाज लाये वैक्सीन ओर दवाईयो का प्रबंधन करावे बेजान पशूओं को नए जीवन मे आराम दिलाए इस हालातों में गाय पशु के सहयोग में अपना समय दे और उनके सहयोग करने के लिए आगे आये हमारे आसपास पड़ी ऐसी ग्रसित गायों को दलिया ओर गुड़ स्वरूप जुरूर खिलाये जिससे उनके शरीर को थोड़ी ताकत मिल सकती है शायद वह फिर से इस रोग से लड़कर नया जीवन जी सकती है बेजान गाय करे पुकार विकराल माहमारी में सुने पुकार हम यू पड़ी है बेजान बनकर इन संकट में हमे नया जीवन दिलाये क्या दर्द होता है किससे कहे शरीर का हर हिस्सा टूट रहा है किससे कहे आखों से बह रहे अश्क़ हमारे नाक से साँसे रूकी किससे कहे सासों को हम छोड़ नही सकते हम माँ है इसलिए बेदुआये हम दे नही सकते जसराज के राजगुरु बालेरा ©JASU RAJGURU #Anger गाय पर मौत का कहर
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light