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KRUNAL JADAV
ठंड भी धीरे धीरे खोती है; ज़रा कंबल से बाहर आकर भी देखो, सुबह इतनी ख़ूबसूरत भी होती है। गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Saritha kothuri
खड़ी हू अकेली तुम्हारे यादों के साथ कुछ यादें लबों पे हल्का सा मुस्कान लाती हैं और कुछ आंखों को नम करती हैं ।। जो भी हैं ये गुनगुनी सी धूप यादों को ताज़ा कर रही हैं ।। गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
SURAJ आफताबी
परियो सी रंगत बख्शी है खुदा ने मेरे महबूब के रूप मे बहकती हवा भी शरमा गई जब उसे चूमा "सूरज" की गुनगुनी धूप में गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
अनिता कुमावत
गुनगुनी धूप ये दिसम्बर की ! याद दिलाती है एक सितम गर की !! कहता था हमसफर हूँ तेरा ! जज्बातों की फिर क्यूं न कदर की !! मौसम की तरह बदल गया वो ! तन्हा जिन्दगी मैंने बसर की !! दीवाना था शायद खुबसूरती का ! सादगी "अनु " की न उस पर असर की !! गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Durga Kannan
सिर्फ तुम मेरे छाया थे मेरी पनाह जहां सुरक्शित थी गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Rajnish Shrivastava
गुनगुनी धूप मे सब कुछ खिला खिला सा नजर आता है हर कोई अपने अंदाज़ मे धूप का आनंद लेता दिख जाता है अंदाज होता है जाड़े की धूप मे लोगो का अलग अलग कोई धूप सेकता तो कोई आँखे चार करता नजर आता है गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Anjali Raj
गुनगुनी सी धूप में संग बैठकर बातोँ की लें चाय के संग चुस्कियां कुछ कहें अपनी औ' कुछ उसकी सुनें उनींदी सी गरमाहटें हों दरमियाँ यूँ ही लिपटे धूप के पश्मीने में बीत जाएं ये ठिठुरती सर्दियाँ अंजलि राज गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
PS T
गुनगुनी सी धूप में गुनगुनाने को दिल करे अरे सर्द हवाओं से बचे जो फील करे... गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Jai Gupta
तेरे अक्स की परछाई में खुद को मिटा दू या खुद फना हो जाऊ गुनगुनी सी धूप में कश्ती सागर में और सिहरन भरी छाव मै लहरों में डूब जाऊ या धूप में तुझे निहारूं गुनगुनी सी धूप में वक़्त कम ओर अल्फ़ाज़ अनगिनत तेरे दरमियान में लिख दूं तुझे अलफजो में या कायल बना दूं अल्फाजों का तुझमें गुनगुनी सी धूप में ✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ गुनगुनी धूप में ज़िंदगी के रंगों को अपने शब्दों में क़ैद करें लोगों के क्रिया कलाप फूल-पौधों, तितलियों, पंछियों के रंग-ढंग कामगारों के जोश
Darshan Blon
सर्दी के ये लद्धड़ भरे दिन में प्यारा लगे गुनगुनी धूप का साया, "बैरी" फिर वही धूप गर्मी में तब खोजते हैं हम - बस! तरुवर की छाया, बैठकर आंगन में अँगड़ाई लेने में आकाश में धूप का दिखाई देने में, मंथर मंथर उस सुस्तीपन में मज़ा आये बहुत - गरम चाय की चुस्कियां लेने में! काश के यूँ ही तह उम्र हमे अवकाश मिल पाता जीवन के मसलों से, काश के यूँ ही बेफिक्र बन हम उन्मुक्त होकर रह पाते झमेलों से!! सर्दी के ये लद्धड़ भरे दिन में प्यारा लगे गुनगुनी धूप का साया, "बैरी" फिर वही धूप गर्मी में तब खोजते हैं हम - बस! तरुवर की छाया, बैठकर