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Anjali Raj
पुष्पित जीवन कुंज में, महके सुख मकरंद। ऋतुएं आयें कोई भी, मन में रहे बसंत। — % & #अंजलिउवाच #YQdidi #वसंत #ऋतु #मन #मकरंद Pic courtesy: Google
Shiv Narayan Saxena
फूल है दिल और ख़ुशबू ऐतबार की, तू अपनी बता री, फुल्लो! मंज़ूर है पराग को ये प्यार, जो मकरंद बना सको, फूल का सुन लो. ©Shiv Narayan Saxena जो मकरंद बना सको . . . . . Subhash Chandra sayyed Kamaal haider Mukesh Poonia Sethi Ji ꂦJꀍꍏL (ओझल ) Rajeev Bhardwaj ,,,,,,,,, मीत,,,,,,,,,`
rk_के_अल्फाज
सोचो जरा....जब हम चूमते-चूमते तुम्हारे बदन को तुम्हारे गुलाब को चूमे हम,उनसे निकलता हर मकरंद हमारी जिव्हा पर लगता रहे, हम भी अपनी जिव्हा से उस मकरंद का खूब स्वाद चखे, जरा एक परत तुम्हारे गुलाब की हटा भीतर तक हमारी जिव्हा प्रवेश करवा सारा मकरंद चट कर जाए तुम्हारे उभरते स्तनों को ...जिव्हा से ही छुए हाथ ना लगाए तनिक भी तुमको,बस मेरी जिव्हा ही तुम्हारे बदन पर सारे करतब दिखाए ,कभी काटे हल्का सा तुमको,कभी बोसा इश्क़ का देते जाए लबो को तो बस सारा चट कर जाए, उभरते स्तनों पर जो तिल है उनको जिव्हा हमारी करतब दिखाए, तुमसे इश्क़ आज बस हमारी जिव्हा ही करती जाए।। ©rk_के_अल्फाज सोचो जरा....जब हम चूमते-चूमते तुम्हारे बदन को तुम्हारे गुलाब को चूमे हम,उनसे निकलता हर मकरंद हमारी जिव्हा पर लगता रहे,हम भी अपनी जिव्हा से उ
ashish gupta
साधारण जीते जा रहे हैं, परंतु द्वंद्व घेर लेता है विचारों में मेरे मधुर आधारों का मकरंद घेर लेता है इस मायावी संसार में तुम बचपन सी सरल कैसे मेरे हृदय को तेरा सरल भाव, स्वछदं घेर लेता है ©ashish gupta #quotation #द्वंद्व साधारण जीते जा रहे हैं, परंतु द्वंद्व घेर लेता है विचारों में मेरे मधुर आधारों का मकरंद घेर लेता है इस मायावी संसार म
SURAJ आफताबी
जब आये तुम्हारे कदमबोसी को मेरे प्रेमपत्र अपने मृदुल चरणों को पैगाम जरा ये दे देना आयेंगे कुछ प्रिय सखे तुम्हारे, तुम्हें इक भेंट करने गर थोड़े सहम जाये वो तो तुम स्वयं ही उन्हें बांहे भर लेना !! गर पांव में पाजैब की जगह शब्द लिपट जाये बिछियों में मूंगों की जगह बिंदु या मात्रायें लटक जाये गर कुछ यूं हो कि पांव की हीना लजियाने लगे नख-शिख के सारे अंग प्रेम समर्पण पाने लगे तब प्रेमपत्र के सारे स्पर्शों का आग्रह स्वीकार तुम कर लेना तुम भी अपने मकरन्दी होंठों से चूम प्यार इन्हें कर लेना !! नमी से बिगड़ी शब्दों की स्याही गर मुझे वापस लौट आई तेरे हृदय की झन्नाहट से गर मेरे हृदय को भी मीठी चोट आई मैं समझूंगा कि मेरी एकाकी की सुनहरी व्यवस्था तुम ही थी जिन छंदों को सबने सराहा उनमें समाई विलक्षता तुम ही थी कल जिन सखियों से मिलती थी आज अंतिम व्यवहार उनसे कर लेना परसों जब हम मिलने आये तब सारा जग तज मुझमें संसार तुम कर लेना !! कविता 🤗🤗 कदमबोसी - पांव चूमना सखे -- मीत, मित्र बिछिया - पांव की ऊंगली में पहनी जाने वाली अंगूठी नख-शिख - पैर के नाखून से लेकर सिर तक सारे
Chirag Vashishtha
हर मोड़ पर जाकर देखा खुद को.. सीखा हर एक तिनके से.. फूलों का मकरंद चुराते... नील स्याह उन भवरों से... रत्ती रत्ती जोड़ा जो कुछ.... सब लुट जाएगा इक पल में... वो शहद मिठास का प्याला मेरा.... सब लुट जाएगा इक पल में... #yqbaba #yqbhaijan #yqdidi #life इक पल में... हर मोड़ पर जाकर देखा खुद को.. सीखा हर एक तिनके से.. फूलों का मकरंद चुराते...
Ayesha Aarya Singh
लहज़े बदल जाते हैं भँवरे के, जब मकरंद से खुशबू आती हैं | ©Ayesha Aarya Singh लहज़े बदल जाते हैं भँवरे के, जब मकरंद से खुशबू आती हैं | #nojotostreak #NatureBeauty #nojotoshayari #Ayesha #poem✍🧡🧡💛 hey aap sabhi ko #H
देवल कुमार
उसकी बातों में मौजें सांस लेती हैं उसकी आँखों में समंदर महकता है उसकी शोख़ी से तितली रंग लेती है उसकी ज़ुल्फ़ों में बादल पनाह लेता है उसकी