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Parasram Arora
कटटरपंथी उसे कहा जाता है जो एक ऐसा विचित्र प्राणी है जिसकी रीढ़ की हड्डी गायब है जिसकी पीठ पर कछुए की खाल का कवच है जो गूंगा नहीं है क्योंकि वो सुघड़ वक्ता है लेकिन उसके कानो की श्रवण शक्ति घास चरने गई हुई लगती है वो सिर्फ बेमतलब की बातें करता है चीख चीख कर लेकिन वो किसीकी सुनता नहीं है एक अच्छा वक्ता होना और उसका बहरापन उसकी अतिरिक्त गुणवत्ता कही जा सकती है ©Parasram Arora #कटटर पंथी.......
SHIVENDRA TRIVEDI
मैं...... मैं आद्य हूँ ! , मैं अंत हूँ ! मैं रुप हूँ ! , मैं सन्त हूँ! मैं क्रोध हूँ ! , मैं शांत हूँ!
Anupama Jha
पैसा मैं इतिहास हूँ मैं वर्तमान हूँ मैं भविष्य हूँ मैं पैसा हूँ। (कविता कैप्शन में) #पैसा#YoPoWriMo#poetry #YQdidi#YQbaba मैं इतिहास हूँ, मैं वर्तमान हूँ, मैं भविष्य हूँ, मैं पैसा हूँ। मैं गरीब की आस हूँ,
Ankit Pathak
मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ (Read caption) मैं राम हूँ, मैं श्याम हूँ मैं वेद और पुराण हूँ मैं पितृ हूँ, मैं मातृ हूँ मैं ही तो शास्त्रार्थ हूँ मैं मान हूँ, अभिमान हूँ मैं स्त्री का
अभिषेक सिंह
"मैं समय हूँ" कैप्शन में पढ़ें, एक बहुत छोटी रचना अच्छा लगे तो कमेंट में जरूर बताएं मैं समय हूँ मैं कल भी था मैं आज भी हूँ मैं कल भी रहूँगा मैं समय हूँ मैं उसका हूँ मैं तुम्हारा हूँ
Arjun kahar
मैं आरम्भ हूँ, मैं ही अंत हूँ मैं ही जीवन हूँ, मैं ही मृत्यु हूँ मैं नीलकंठ हूँ, नारायण मैं हूँ मैं केवल देव नहीं महादेव हूँ! 🚩हर हर महादेव🙏🏻🕉️ ©Arjun kahar मैं #आरम्भ हूँ, मैं ही#अंत हूँ मैं ही #जीवन हूँ, मैं ही #मृत्यु हूँ मैं #नीलकंठ हूँ, #नारायण मैं हूँ #मैं केवल #देव नहीं #महादेव हूँ #Maha_
SHAYARI BOOKS
“मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ, मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ” मैं घोर हूँ अघोर हूँ, व्योम का मैं शोर हूँ” राम का हूँ शील मैं,और रावण का दम्भ हूँ” मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ,मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ! मैं गीता का ज्ञान हूँ,मैं अर्जुन का बाण हूँ” मैं भीष्म की प्रतिज्ञा, और द्रोण का मैं आन हूँ” मैं ही प्रत्यंचा हूँ, और मैं ही रंभ हूँ” मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ, मैं सृष्टि का प्रारंभ हूँ! मैं ॐ हूँ ओंकार हूँ, मैं जीत हूँ जयकार हूँ” मैं ही शुभंकर हूँ, मैं हाहाकार हूँ” हिमालय का हिम मैं,और गंगा का अंभ हूँ” मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ, मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ! मैं काल हूँ विकराल हूँ,मैं सूक्ष्म हूँ विशाल हूँ” त्रिशूल का मैं वार हूँ, मैं डमरू की ताल हूँ” मैं जीवन हूँ मृत्यु मैं, प्राण का स्तम्भ हूँ” मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ,मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ! मैं कंकर हूँ शंकर हूँ,भोला भयंकर हूँ” देवों का देव और,मैं ही तो किंकर हूँ” मैं ही हलाहल हूँ, और अमृत कुम्भ हूँ मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ,मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ!„ ©SHAYARI BOOKS “मैं अंत हूँ आरम्भ हूँ, मैं सृष्टि का प्रारम्भ हूँ” मैं घोर हूँ अघोर हूँ, व्योम का मैं शोर हूँ” राम का हूँ शील मैं,और रावण का दम्भ हूँ” मैं
Shubham yadav
हर तरफ ज़िक्र तेरा होता हैं मेरी आँखों को रौशनी दे दे हर तरफ नागवार गम ही रहे मुझे जैसी हो ज़िन्दगी दे दे मेरी तबियत उदास रहती हैं मुझे मौसम ही कुछ सही दे दे मेरे मौजूं बड़े ही काफ़िर हैं खुदा तुम जैसा हमनसी दे दे बड़े तकलीफ से गुज़रा हुआ हूँ मुझे पल भर की ही खुशी दे दे चलो संघर्ष को आवाज दे दे अपनी ताकत को नया ताज दे दे तुम तो अंधेर में ही आये थे कोई जलता दिया न था तुममे मैं अगर शांत हूँ तो मुल्जिम हूँ एक दबी आग जल रही मुझमें ©Shubham yadav मैं मैं हूँ