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अपनी कलम से
सो गया चुपके से, खामखां रात जो आयी थी, किया गुफ्तगू तकिए से, तन्हाई साथ जो लायी थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौसम, बरसात जो आयी थी।। आंसू बरस रहें आंखों से, पर मुस्कुरा रहें थें लव, इन सूनी - सूनी रातों में, तेरी याद जो आयी थी। खालिपन सा दिल में भरा, मन भी रहने लगा था भारी, ऐसे इस एहसास में, सामने तेरी बात जो आयी थी।। कभी सुनने को जो कानें तरसे, चाहने से जो कभी न बरसे, उस बरसात की रात बदरी से, एक आवाज़ सी आयी थी। देखने को तरस गईं थीं आंखें, सामने अंधकार लिए, खुले आसमानों में बिजलियों ने, एक तस्वीर सी बनायी थी।। दिल रहा पुकार तुम्हें, पर सांसें अटकी - अटकी सी, आई थी जो उस रात, तू नहीं, तेरी परछाईं थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौसम, बरसात जो आयी थी।। @dashing_raaz ©dashing raaz सो गया चुपके से, खामखां रात जो आयी थी, किया गुफ्तगू तकिए से, तन्हाई साथ जो लायी थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौस
Sangeeta Kalbhor
देख पाऊँ खुली आँखों से.. कभी समझ में आऊँ मुझे मैं काश ऐसा भी समा आये देख पाऊँ खुली आँखों से मुझे मैं काश ऐसी नजर भी मुझे मिल पाये..... रहकर उदास अपनेआप में जाने क्यूँ मैं परेशान रहती हूँ कहती नही हूँ किसीसे मगर अपनेआप में सुलगती रहती हूँ काश कि बिना बदरी के भी सावन झूमझूमकर आये देख पाऊँ खुली आँखों से मुझे मैं काश ऐसी नजर भी मुझे मिल पाये... छुटता नही भाव मन का और भी गहरा होता जा रहा है दुनिया के लिए हूँ मैं मेरा साथ मुझसे रुठता जा रहा है क्या करुँ ,कैसे करुँ कोई तो मुझे समझाने आये देख पाऊँ खुली आँखों से काश ऐसी नजर भी मुझे मिल पाये..... मी माझी..... संगीता काळभोर..... ©Sangeeta Kalbhor #StandProud देख पाऊँ खुली आँखों से.. कभी समझ में आऊँ मुझे मैं काश ऐसा भी समा आये देख पाऊँ खुली आँखों से मुझे मैं काश ऐसी नजर भी मुझे मिल पा
Mahesh Yadav
काली बदरी घनघोर घटा छाई सगरी जल मग्न भयी पूरी नगरी सब मन की आस अब पूरन को यैसी बरसी काली बदरी सभी कृषक र्पेम राग गावत है खेतन में हल को चलावत है जल ही जल है सब जगह र्पभू जस फोड़ दियो जल की गगरी सब मन की आश अब पूरन को यैसी बरसी काली बदरी है धानी चुनर ओढ़े धरा यैसी हरीयाली छाईं है सावन की पावन बेला ने मन में खुशहाली लाईं है कोयल बोले है बगियन में कूहकत मीठा रस राग भरी सब मन की आस अब पूरन को यैसी बरसी काली बरसी काली बदरी #काली #बदरी
Manvi Singh manu
कुछ दीनों से मैं अजीब सा वक्त देख रही हूँ । जींदगी और सासों का जंग देख रही हूँ । राज महल के कमरे का दर्द देख रही हूँ दुनीया में अकेले जिने का डर देख रही हूँ । एक बेटी को भुल कर एक औरत होने का दर्द देख रही हूँ ।अपनी आँखों के सामने अपनी माँ का अंत देख रही हूँ । मैं नीर भरी सुख की बदरी ।
Satish Chandra
बड़ी बेरूख़ी सी है आज इन हवाओं में, लगता है फिर कहीं किसी का दिल टूटा है । दिल टूटा तो शोर भी न हुआ, कारी बदरी छायी रही रात और दिन। #बेरूख़ी #YQdidi #SattyMuses
Vikash Jadaun
छोटी सी बदरी संग तेरी यादों की बूंदें जब आती है, तन भीगा, मन मेरा गीली मिट्टी सा महका जाती है। Rain छोटी सी बदरी संग तेरी यादों की बूंदें जब आती है, तन भीगा, मन मेरा गीली मिट्टी सा महका जाती है।
Sahil Bhardwaj
इन लबों पे जो सिर्फ अफ़साने ही थी वो शायरी की दो लफ्ज बन के आयी मेरी जुबां पे, प्यासा था कब से मैं, दो बूँद बरसाने, वो बदरी बनके छायी आसमां पे... इन लबों पे जो सिर्फ अफ़साने ही थी वो शायरी की दो लफ्ज बन के आयी मेरी जुबां पे, प्यासा था कब से मैं, दो बूँद बरसाने, वो बदरी बनके छायी आसमां