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Arora PR
उत्साहित होने की सभी खुबिया मुझे. हासिल करनी थीं लेकिन जीवन भर मुझ पर उदासियों का पहरा रहा स्वर्ग की तीर्थ यात्रापर जाना. मेरा. निर्णायक लक्ष था पर मै ताउम्र नर्क मे रहा. सत्य का चुंबकीयआकर्षण सदा मेरे साथ रहा. सत्य का यही आकर्षण मुझे . अब तक संभाले रहा ©Arora PR चुंबकीय आकार्षण
चुंबकीय आकार्षण #कविता
read moreKamal dabiya
*🎊आखिर सुख किसको है🎊* बहुत ही रोचक और हृदय मै ज्ञान उत्पन्न करने वाली कहानी सभी पढ़े और अपने परिवार मै किसी एक को चर्चा करे इस कहानी का एक भिखारी किसी किसान के घर भीख माँगने गया। किसान की स्त्री घर में थी, उसने चने की रोटी बना रखी थी।किसान जब घर आया,उसने अपने बच्चों का मुख चूमा,स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये,उसके बाद वह रोटी खाने बैठ गया।स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया,भिखारी चना लेकर चल दिया। रास्ते में भिखारी सोचने लगा:- “हमारा भी कोई जीवन है? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं। फिर स्वयं बनाना पड़ता है। इस किसान को देखो कैसा सुन्दर घर है। घर में स्त्री हैं, बच्चे हैं, अपने आप अन्न पैदा करता है। बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है। वास्तव में सुखी तो यह किसान है। इधर वह किसान रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा:-“नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है,अब वह किसी तरह काम नहीं देता, यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाये,तो इस साल का काम चले। साधोराम महाजन के पास जाऊँगा,वह ब्याज पर दे देगा।”भोजन करके वह साधोराम महाजन के पास गया।बहुत देर चिरौरी बिनती करने पर 1रु.सैकड़ा सूद पर साधों ने रुपये देना स्वीकार किया। एक लोहे की तिजोरी में से साधोराम ने एक थैली निकाली।और गिनकर रुपये किसान को दे दिये। रुपये लेकर किसान अपने घर को चला,वह रास्ते में सोचने लगा-”हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5 रु.भी नकद नहीं।कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये है।साधो कितना धनी है,उस पर सैकड़ों रुपये है“वास्तव में सुखी तो यह साधो राम ही है।साधोराम छोटी सी दुकान करता था,वह एक बड़ी दुकान से कपड़े ले आता था।और उसे बेचता था। दूसरे दिन साधोराम कपड़े लेने गया,वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया।वह वहाँ बैठा ही था,कि इतनी देर में कई तार आए कोई बम्बई का था।कोई कलकत्ते का, किसी में लिखा था 5 लाख मुनाफा हुआ,किसी में एक लाख का।साधो महाजन यह सब देखता रहा,कपड़ा लेकर वह चला आया।रास्ते में सोचने लगा“हम भी कोई आदमी हैं,सौ दो सौ जुड़ गये महाजन कहलाने लगे। पृथ्वीचन्द कैसे हैं,एक दिन में लाखों का फायदा “वास्तव में सुखी तो यह है,उधर पृथ्वीचन्द बैठा ही था, कि इतने ही में तार आया कि 5 लाख का घाटा हुआ। वह बड़ी चिन्ता में था,कि नौकर ने कहा:-आज लाट साहब की रायबहादुर सेठ के यहाँ दावत है। आपको जाना है,मोटर तैयार है।” पृथ्वीचन्द मोटर पर चढ़ कर रायबहादुर की कोठी पर चला गया।वहाँ सोने चाँदी की कुर्सियाँ पड़ी थी, रायबहादुर जी से कलक्टर-कमिश्नर हाथ मिला रहे थे। बड़े-बड़े सेठ खड़े थे।वहाँ पृथ्वी चन्द सेठ को कौन पूछता,वे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया।लाट साहब आये,राय बहादुर से हाथ मिलाया,उनके साथ चाय पी और चले गये। पृथ्वी चन्द अपनी मोटर में लौट रहें थे,रास्ते में सोचते आते है, हम भी कोई सेठ है 5 लाख के घाटे से ही घबड़ा गये।राय बहादुर का कैसा ठाठ है, लाट साहब उनसे हाथ मिलाते हैं।“वास्तव में सुखी तो ये ही है।” अब इधर लाट साहब के चले जाने पर रायबहदुर के सिर में दर्द हो गया,बड़े-बड़े डॉक्टर आये एक कमरे वे पड़े थे।कई तार घाटे के एक साथ आ गये थे।उनकी भी चिन्ता थी,कारोबार की भी बात याद आ गई। वे चिन्ता में पड़े थे,तभी खिड़की से उन्होंने झाँक कर नीचे देखा,एक भिखारी हाथ में एक डंडा लिये अपनी मस्ती में जा रहा था। राय बहदुर ने उसे देखा और बोले:-”वास्तव में तो सुखी यही है,इसे न तो घाटे की चिन्ता न मुनाफे की फिक्र, इसे लाट साहब को पार्टी भी नहीं देनी पड़ती सुखी तो यही है।” शिक्षा इस कहानी से हमें यह पता चलता है, कि हम एक दूसरे को सुखी समझते हैं।पर वास्तव में सुखी कौन है, इसे तो वही जानता है।जिसे आन्तरिक शान्ति है।जिसे आन्तरिक सुकून है, आप चाहे भिखारी हो चाहे करोड़पति हो। लेकिन आप के मन में जब तक शांति नहीं है तब तक आपको सुकून नहीं मि ©Kamal dabiya प्रेरण कहानियां
प्रेरण कहानियां #प्रेरक
read moreKamal dabiya
*!! समाज की ताकत !!* ~~~~~~~ एक आदमी था, जो हमेशा अपने समाज में सक्रिय रहता था। उसको सभी जानते थे, बड़ा मान सम्मान मिलता था। अचानक किसी कारणवश वह निश्क्रिय रहने लगा, मिलना-जुलना बंद कर दिया और समाज से दूर हो गया। कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस समाज के मुखिया ने उससे मिलने का फैसला किया। मुखिया उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक बोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक मुखिया का बड़ी खामोशी से स्वागत किया। दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे। कुछ देर के बाद मुखिया ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया और फिर से शांत बैठ गया। मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने समाज के मुखिया के साथ है। लेकिन उसने देखा कि अलग की हुए लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई। कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था। इस बीच... दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त अभिवादन किया, कम से कम शब्द बोले। जाने से पहले मुखिया ने अलग की हुई बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी, और चारों ओर रोशनी और ताप बिखेरने लगी। जब आदमी, मुखिया को छोड़ने के लिए दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मुखिया से कहा मेरे घर आकर मुलाकात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है कि अकेले व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता, समाज का साथ मिलने पर ही वह चमकता है और रोशनी बिखेरता है। समाज से अलग होते ही वह लकड़ी की भाँति बुझ जाता है। *शिक्षा:-* मित्रों,समाज से ही हमारी पहचान बनती है।इसलिए समाज हमारे लिए सर्वोपरि होना चाहिए।समाज के प्रति हमारी निष्ठा और समर्पण किसी व्यक्ति के लिए नहीं,उससे जुड़े विचार के प्रति होनी चाहिए..!! *🙏🏻🙏🏽🙏जय जय श्री राधे*🙏🏿🙏🏾🙏🏼 * ©Kamal dabiya #DarkWinters #प्रेरण #कहानियां
#DarkWinters #प्रेरण #कहानियां #प्रेरक
read moreDeepak Dilwala
अंदर से उज्ज्वलता की मूरत है, बाहय रंग से काला है...., वो हर लेगा..हर रोग को जड़ से..., वो मेरा.. गिरधर..मुरली वाला है....। ©दीपक दिलवाला #Krishna #आत्मविश्वास #प्रेरण
Anubhav Dwivedi
तमस रात्रि में ज्वलित एक दीप हूंँ , मैं सूर्य हूँ , अल्प हूं पर पूर्ण हूँ , अल्प हूं .... पर पूर्ण हूँ ! स्व प्रेरण..... 😅 #hindi #kavita #randomthoughts #oneliner #beyourself #selfbelief #yqdidi #yqbaba
स्व प्रेरण..... 😅 #Hindi #kavita #randomthoughts #oneliner #beyourself #selfbelief #yqdidi #yqbaba
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तमस रात्रि में ज्वलित एक दीप हूंँ , मैं सूर्य हूँ , अल्प हूं पर पूर्ण हूँ , अल्प हूं .... पर पूर्ण हूँ ! स्व प्रेरण..... 😅 #hindi #kavita #randomthoughts #oneliner #beyourself #selfbelief #yqdidi #yqbaba
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