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Amar'Arman' Baghauli hardoi UP

कुण्डलियाँ #Mylanguage #कविता

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Gopal Lal Bunker

कुण्डलिया
~~~~~~~

भज मेरे मन राम को, सुबह शाम दिन रैन।
कष्ट मिटें तन के सभी, मिलें सभी सुख चैन।।
मिलें सभी सुख चैन, चले जीवन भज रामा।
श्वाँस जपे श्री राम, मगन रहकर प्रभु नामा।।
कहे भक्त गोपाल, लगा छवि मन प्रभु की सज।
और सजा संसार, नाम श्री प्रभु का तू भज।। #कुण्डलियाँ_छंद #भजन #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi

Gopal Lal Bunker


कुण्डलिया छंद: सावन
•••••••••••••••••••••••••••
सावन मनहर आ रहा, बरसाने को नीर।
धरा सजेगी भीग कर, करने सौम्य समीर।।
करने सौम्य समीर, खेत सब लहरायेंगे।
झूम उठेंगे मोर, झूम सब जन जायेंगे।।
फूल खिलेंगे बाग, गान होगा मन भावन।
भर जायेंगे ताल, बहेगा कल कल सावन।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
     #सावन #कुण्डलियाँ_छंद #glal #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह

Gopal Lal Bunker

आहत
~~~~~~

मन मेरा आहत हुआ, देख घोर अपराध।
बुरे कर्म से लक्ष्य को, सभी रहे हैं साध।।
बने निठल्ले चोर, और करते हैं चोरी।
बनकर साहूकार, करें फिर सीनाजोरी।।
लूट रहे हैं मौज, लूटकर लोगों का धन।
इन्हें न आती लाज, हुआ पापी इनका मन।।

अपराधी जन जन हुआ, कर कर हर अपराध।
कार्मिक लेते घूस हैं, चलती नकल अबाध।।
कामी करता 'रेप', तंत्र है भ्रष्ट बना अब।
सुने नहीं सरकार, दलाल हुए नेता सब।।
'सौम्य सरल' गोपाल, लगी जग को है व्याधी।
पाप बना है श्राप, हुआ जग है अपराधी।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
 #glal #yqdidi #कुण्डलियाँ_छंद #आहत_मन #आहत #restzone #rzलेखकसमूह

Gopal Lal Bunker

मर्जी
~~~~~

मर्जी मन की सब करें, मौका आए हाथ।
समझे सब खुदको खुदा, जोर दिखाए साथ।।
जोर दिखाए साथ, चूर घमण्ड में रहते।
सुनना जाते भूल, सदा जब अपनी कहते।।
चलते छल की चाल, काम करते सब फर्जी।
देख-देख शुभ लाभ, करें सब मन की मर्जी।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' #मरजी़ #मरजी_का_मालिक #घमंड #glal #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह #कुण्डलियाँ_छंद

Gopal Lal Bunker

जवाब
~~~~~~
⚡✨⚡
बिन सवाल की बात का, होता नहीं जवाब।
कर सवाल कारण बिना, देते लोग अजाब।।
देते लोग अजाब, मान खुदको सब ऊपर।
करते फिर अभिमान, करे जो सबको ऊसर।।
देना तुम न अजाब, कभी भी अब यों प्रतिदिन।
होते जो बल हीन, न समझो उनको मति बिन।।
⚡✨⚡
 #जवाब #अभिमानी #yqdidi #glal #restzone #rzhindi #rzलेखकसमूह #कुण्डलियाँ_छंद

Gopal Lal Bunker


हिम्मत
~~~~~~~~

हिम्मत बिन होता नहीं, जग में कोई काम।
मन की है यह चीज रे, मिले न यह दे दाम।।
मिले न यह दे दाम, वीर में पाई जाए।
दम का है यह नाम, जीत जो हमें दिलाए।।
बल है जिसके पास, ठोक थम बदले किस्मत।
कर-कर खुशियाँ गान, कहे 'क्या है' बिन हिम्मत।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
 

 #कुण्डलियाँ_छंद #हिम्मत #बल #मनकीशक्ति #glal #yqdidi #rzलेखकसमूह #मनोबल

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलियाँ सजनी तेरे केश का , गजरा ले मन मोह। कैसे जाऊँ दूर मैं , होगा हृदय विछोह ।। होगा हृदय विछोह , राह भी मुश्किल होगी । आज बताओ युक्ति #कविता

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कुण्डलियाँ

सजनी तेरे केश का , गजरा ले मन मोह।
कैसे जाऊँ दूर मैं , होगा हृदय विछोह ।।
होगा हृदय विछोह , राह भी मुश्किल होगी ।
आज बताओ युक्ति , आप का मैं हूँ रोगी ।।
ढल जायेगी रैन , नही बीतेगी रजनी ।
चलो हमारे संग , बात मानों तुम सजनी ।।

२१/०२/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलियाँ

सजनी तेरे केश का , गजरा ले मन मोह।
कैसे जाऊँ दूर मैं , होगा हृदय विछोह ।।
होगा हृदय विछोह , राह भी मुश्किल होगी ।
आज बताओ युक्ति

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा नारी जननी है जगत , करो आप सम्मान । जिसने जनकर ही तुम्हें , दे दिया प्रथम स्थान ।। कुण्डलियाँ गंगा यमुना शारदा , है नारी के काम । #कविता

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दोहा

नारी जननी है जगत , करो आप सम्मान ।
जिसने जनकर ही तुम्हें , दे दिया प्रथम स्थान ।।

कुण्डलियाँ

गंगा यमुना शारदा , है नारी के काम ।
करते जिनको नित्य है , झुककर सदा प्रणाम ।।
झुककर सदा प्रणाम , वही देवी कहलाती ।
हर घर हो सम्मान , बहन बेटी बन आती ।।
करते है अभिमान  , मातृभूमि है तिंरगा ।
जिसके आदि अनंत , भ्रमण करती हैं गंगा ।।

२२/१२/२०२२     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा

नारी जननी है जगत , करो आप सम्मान ।
जिसने जनकर ही तुम्हें , दे दिया प्रथम स्थान ।।

कुण्डलियाँ

गंगा यमुना शारदा , है नारी के काम ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#BirthDay दोहा जन्मदिवस है आपका , मिला अभी संदेश । बहका-बहका मैं फिरुँ , महका है परिवेश ।। सोच रहा मैं भी खड़ा , क्या दूँ मैं उपहार । आज बध #कविता

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जन्मदिवस है आपका , मिला अभी संदेश ।
बहका-बहका मैं फिरुँ , महका है परिवेश ।।

सोच रहा मैं भी खड़ा , क्या दूँ मैं उपहार ।
आज बधाई की वहाँ , दिखती बड़ी कतार ।।

पाया  है  उपहार  में ,  हमने  उनसे  ज्ञान ।
सागर है वह ज्ञान के , करता मैं गुणगान ।।
करता मैं गुणगान , शरण में रहकर उनकी ।
कवि हैं वह वागीश , हृदय में प्रतिमा जिनकी ।।
सुंदर उनके छन्द , प्रखर को  इतना भाया ।
बैठा उनकी छाँव , ज्ञान फिर उनसे पाया ।।

२०/०१/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #BirthDay दोहा

जन्मदिवस है आपका , मिला अभी संदेश ।
बहका-बहका मैं फिरुँ , महका है परिवेश ।।

सोच रहा मैं भी खड़ा , क्या दूँ मैं उपहार ।
आज बध
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