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Sethi Ji
White 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 🌸 दिल का कसूर , इश्क़ हुआ जरूर 🌸 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 दिल का क्या कसूर होता हैं वोह अपने हालातों के सामने मजबूर होता हैं जो लिखते हैं आज कल बेवफाई के बारे में उनको भी एक बार इश्क़ जरूर होता हैं जब उड़ जाता हैं पंछी तोड़ कर अपना पिंजरा वोही आगे जा कर अपने हुनर के दम पर मशहूर होता हैं क्या कीमत लगाएं अपने जज़्बातों की दोस्तों जब हमारा दिल हर वक़्त बेक़सूर होता हैं 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 ©Sethi Ji 💞💞 इश्क़ का सवाल 💞💞 💞💞 इश्क़ का ख्याल 💞💞 दिल में सवाल , आँखों में ख्याल रखता हूँ अपने ख्वाबों में भी तेरा इश्क़ बेमिसाल रखता हूँ ।। तुम चली
Rajkumar Siwachiya
White तुम वोट डालों बिन नोट डालों करें जो खोट उसके मनसुफों पे मौका है यारों गहरी चोट डालों ✨🧐✨🥷🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya मौका है यारों गहरी चोट डालों ✨🥷✨🧐🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #VoteForIndia #rajkumarsiwachiya #oyedesi #haryanvi #haryana #loharu #bhiwan
єηмσηтισηѕ
गजब की अदागर है वो नफरत के लहजे पढ़ के दिलासे बटोर लेती है ©єηмσηтισηѕ हुस्न ए चाल #love #Relationship
Praveen Jain "पल्लव"
Men walking on dark street पल्लव की डायरी धुंधले धुंधले सपने है कभी दिल खिल ही नही पाये रोटी दाल इतनी बड़ी और महंगी थी उसको पाने के लिये,कभी उभर ही नही पाये विश्वास खुद में ही टूट गया जब चाल चलन दुनिया का देखा मेहनत कश लोगो की कीमत घटाकर औद्योगिक घराने पनपे है सत्ता के सारे प्रवाह सुविधा और संरक्षण बनकर कृपया उन पर बरसते है हमे बारह घण्टे काम के करके हर सुविधाओं का हनन करते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Emotional जब चाल चलन दुनियाँ का देखा #nojotohindi
koko_ki_shayri
ख्वाईश बढ़ती जा रहीं हैं उम्मीदों की छाँव में ढूढ़ रहे है हम भी किनारा इसी चाल में.. ✍️✍️✨️✨️ ©koko_ki_shayri #dhudh रहे hAi इसी चाल में...😍
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Pro ARUN KUMAR
सैर 🌍कर दुनिया🌍 की ग़ाफ़िल ☄️ज़िंदगानी ⭐फिर कहाँ💫 ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर 🌒कहाँ♥️♥️♥️🫂 🌌🌠🕳️🌑 ©Pro ARUN KUMAR #Ambitions #7000_follwar #new_post #N😍T आपके दिल की इतनी गहरी बात सभी को समझ तो जरूर आएगी।
Vikrant Rajliwal
Rameshkumar Mehra Mehra
किसी की कमी.... जब महसूस होने लगें....! तो समझों जिंदगी में......!! उसकी मोजदूगी....!!! बहुत गहरी हो चुकी है..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # किसी की कमी,जब महसूस होने लगें,तो समझो जिंदगी में,उसकी मौजदूगी,बहुत गहरी हो चुकी है...
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं