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somnath gawade

कागदी 'घोडे' नाचवूनही
काम होत नसेल तर
कागदी 'वाघ' होऊन
काम होतंय का पहावे.
🤣😂
 #कागदी

somnath gawade

 हास्य नभांगणातील जाहिरात:
     चंद्र विकणे आहे;
घेणाऱ्याला किंमत सांगून
दिवसासुद्धा चांदण्याचे 
 दर्शन मोफत आहे.😂🤣 #जाहिरात

somnath gawade

#काळी प्लॅस्टिकची पिशवी

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समजदरो को सिर्फ इशारा काफी है।
सकाळी हातात काळी
प्लॅस्टिकची पिशवी दिसली
की, नॉनव्हेजचा बेत असावा
असे समजावे आणि संध्याकाळी
तीच पिशवी दिसली की ओल्या पार्टीचा
बेत 🤣😂 #काळी प्लॅस्टिकची पिशवी

Mrunali Mandlik

कागदी नोटांपेक्षा त्या पानांतच आमची खुशी जास्त होती।

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दसऱ्याच्या  दिवशी ते पानाचे नकली सोने गोळा करण्यात एक वेगळीच मज्जा होती.
 या कागदी नोटा पेक्षा त्या आपट्याच्या पानांतच आमची  खुशी जास्त होती. 
खरंच लहानपणीची ती सगळी मज्जाच अविस्मरणीय होती.

©Mrunalini Mandlik कागदी नोटांपेक्षा त्या पानांतच आमची खुशी जास्त होती।

Pushpendra Pankaj

निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन #कविता

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mute video

Dawoli aala

#लेखन

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की हर रोज लिखता हुँ ,

ज़नाब में बस हकीकत लिखता हुँ ।।

                                       :-Dawoli aala #लेखन

Tomar Sister's

#लेखन

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कागज़ पर अपनी भावनाएं व्यक्त करना इतना भी आसान नहीं होता जितना लगता है। खुद को खुद में ही खोकर विचारों के सागर में डूबते-उतराते उन भावनाओं को जीते हुए ख़ुद को मथना पड़ता है, तब कहीं जाकर लेखनी शब्दों को कगज पर उतारती है और बनती है वो रचना जो बुद्धि जनों को अपनी रौं में बहा ले जाती है। 
Tomar Sisters #लेखन

Ashutosh singh chauhan

लेखन

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खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया
 गुल ने दास्तां कही , क्या से क्या यह हो गया ।
 और न लेखन के बारे में कोई दावा है
 हम नहीं कहते कि हम ही कहते हैं ।
 यही तो कहते हैं , कि हम भी कहते हैं । लेखन

Mohan Sardarshahari

# लेखन #प्रेरक

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लिखता तो इसलिए  हूं कि
दिल में हर चीज छुपाना संभव नहीं 
वरना कलम-कोपी कोई चंदन का पेड़ 
और मैं भी कोई भुजंग नहीं।।

©Mohan Sardarshahari # लेखन

पूर्वार्थ

#लेखन

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लेखन.....

कभी-कभी लेखन भी....
कहां आसान सा होता है??

मन में चलते तो है....
जैसे कई तेज तूफ़ान से हैं.....

पर उस तूफ़ान में से.....
अपने लेखन के लिए,कुछ शब्द चुन पाना...
कहां आसान सा होता है??....

उस वक्त तो बस,,,,,,,
औरों की ही.....
कविताएं पढ़ -पढ़ कर .....
जैसे अपना मन भरते ही जाते है......

और अपने लेखन की कला को.....
कुछ हद तक, निखारते जाते हैं...
और फिर से,,,,,
अपने उस लेखन को.....
आज़माते जाते हैं....,,,,,,,,

कभी - कभी .....
अपने मन की बातें ,,,,,,,,
लेखन में उतार पाना ......
कहां उतना आसान होता है?....
कहां आसान होता है?? .......

©purvarth #लेखन
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