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जीtendra
नहीं खोजना मेरा अस्तित्व इस जहां की भीड़ में, रिश्ते निभाने वाले हमेशा एकाकी (तन्हा) ही होते हैं... 😔😔 ©जीtendra #अस्तित्व #भीड़ #जहां #रिश्ते #एकांकी #तन्हा
Nisheeth pandey
Yashpal singh gusain badal'
रिश्ते ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ बाएं, कुछ ऊपर उठ गए, कुछ नीचे छूट गए, कुछ बहुत ठंडे हो गए ऊंचाई पाकर, हिमाच्छादित चोटियों के तुल्य, जम चुकी है अभिमान की बर्फ उन पर , कुछ कुंठाग्रस्त होकर हो गए एकांकी, कुछ बैठे हैं स्थिल भावविहीन , निराश, आशा विहीन,अवसादग्रस्त, कुछ उद्विग्न, कुछ शंशय युक्त, कुछ ऊर्जावान भी हैं,प्रबुद्ध चेतना के साथ, जीवन को रसयुक्त बनाये हुए, मगर इन रिश्तों में एक रिक्तता है, जैसे एक तालविहीन गीत , लेकिन कौन प्राणमयी बनाये इन संबंधों को ! कौन मधुर सुर दे इन रिश्तों को ! कौन करे ऊर्जा संचरण ! कौन निराशा तोड़े ! कौन विश्वास जगाए ! कौन भगीरथ बन कर तप करे, शिव सा प्रेम जगाए ! कौन मंदरांचल बन मथनी बने ! जो निष्प्रह बीतराग गाये। कोई तो बहे प्राणरस बन , प्रेम का संचार करे ! भावविहीन संबंध नष्ट हो जाएंगे, प्रेम और उष्णता के बिना, कोई तो कृष्ण बने, मार्ग दिखाए, कोई तो नीलकंठ बन, समस्थ गरल पी जाए, कोई तो राम बने, जो विश्वास का प्रतिमान बन जाये, बने मरुत सुत सा सहचर , संकट हर जो हर कष्ट मिटाये । रचना-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ
Medha Bhardwaj
ashish gupta
एक अकेला चला था जग में, एक अकेला ही जायेगा एक अकेला कितने से ही धोखा खायेगा मान ले तू अगर एकांकी के सत्य को अपने जीवन में कुछ पल के ये रिश्ते नाते मोह लगा कर दुख पाएगा अगर है आत्मा जीव है नश्वर माया का सब खेल राम नाम का लेकर विजय पटका तुझको कौन हराएगा ©ashish gupta एक अकेला चला था जग में, एक अकेला ही जायेगा एक अकेला कितने से ही धोखा खायेगा मान ले तू अगर एकांकी के सत्य को अपने जीवन में कुछ पल के ये रिश्
Atul Upadhyay
जब स्याह अंधेरा छा जाए,एक दीप जलाना आँगन में। जब दीयों का मौसम आ जाए, एक दीप जलाना आँगन में। जब सारी आस निराश करें, खुशियाँ सारी अवकाश करें, फिर भी ख़ुद पर विश्वास करें, बस हार न जाना जीवन में। एक दीप जलाना आँगन में। ये देश आज है रुका हुआ, हर हृदय स्वयं में बुझा हुआ, इन नन्हे दीप प्रतीकों से, है अलख जगाना जन-जन में। एक दीप जलाना आँगन में। अपने हिस्से के प्रकाश को, बाँटो वंचित और हताश को, कोई भूखा-प्यासा-थका पथिक,कहीं भटक न जाए विपथन में। एक दीप जलाना आँगन में। माना कि हालत गड़बड़ है, कुछ दिनों का ही तो पतझड़ है। सहयोग अगर अनुकूल रहा, फिर फूल खिलेंगे उपवन में। एक दीप जलाना आँगन में। -अतुल दीपदान
Das Ghayal
#RIPRohitSardana इस मुस्कुराहट के पीछे गमों का पहाड़ है, एकांकी तो अपना यार है। ©Das Ghayal #एकांकी #तन्हाई