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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी कल्पनाओ को ना उकेरो भाव मर जाते है पढ़ो लिखो ना जीवन मे श्रंगार अलंकारों के छूट जाते है कलमो की ताकत से ही सृजन गीत कविता के हो पाते है सात समंदर बैठे अपरिचितों से लिख लिखकर वार्ता से मधुर सम्बन्धो हो जाते है मानस किसी का परखना हो उसकी लेखन शैली विद्वता का दर्शन करा देती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho कल्पनाओ को ना उकेरो,भाव मर जाते है #nojotohindi
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी ख्वाबो ने सुकून,जीवन का मार डाला है सीढ़िया चड़ते चड़ते,अधमरा कर डाला है कभी ना खत्म होने वाली दौड़ ने तन मन घायल कर डाला है तलाश मेरी दो बूँद थी आनन्द की मगर सागरो की प्यास ने उलझा रखा है रसूखदार समझे दुनिया,सिक्का मेरे नाम का होगा मैं भले ना भोग पाऊँ पद प्रतिष्ठा को जीर्ण क्षीण शरीर होगा,चला भी जाऊँ असमय लेकिन पत्थरो पर उकेरा मेरा ब्यौरा होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #ClimbTheSky लेकिन पत्थरो पर उकेरा मेरा ब्यौरा होगा #ClimbTheSky
Ashish Namdeo
भले ही तुम्हे अहसास ना हो, पर ज़ख्म गहरे हैं। दुख इस बात का है , दिखाई नहीं देते। कोशिश की है दिखाने की, शब्दों में। कलम मेरी थोड़ी दिल की कमजोर है, गहरे जख्म लिखती ही नही। कागज जलने लगता है, इसलिए लिखती, कभी मिटाती है। शीतल रात में भी बड़ी जलन होती है। इंतजार है मेरी कलम को, की ज़ख्म हल्के होंगे। आओगे कभी मेरे जख्म भरने, कभी हिचकियों में भी बता दो। कलम टूट जाएगी मेरी, महगी है, तुम्हारे लिए नहीं। मुझे जन्म देने वालो को। चांदनी रात भी गहरे जख्मों को उकेरती है, अपने आप में। #MoonHiding
Surendra Sharma
Nature Quotes “अतीत को उकेरती तेरी यादें, आज पर मिट्टी डाल रहीं हैं।” - प्रेम ©Surendra Sharma “अतीत को उकेरती तेरी यादें, आज पर मिट्टी डाल रहीं हैं।” - प्रेम #Memories
kumaarkikalamse
आँखों का बहता पानी हृदय की हर कहानी लफ्ज़ दर लफ्ज़ पन्नों पर उकेर लेती है.. यह कलम कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह देती है..! बहुत कुछ जानती है कलम #kumaarsthought #kumaaronlove #kumaarpoem #kalam #उकेर
Rakesh Agarwal
Suraj Bihare
Kirti Sharma
इन हजारों करोड़ो आत्माओं की भीड़ में, अपने आप को खोजने निकल पडी थी,इक कोने में देखा तो जिंदा लाश के जैसे पड़ी थी , रिश्ते क्या होते हैं, नहीं जानती थी,पर निभाने निकल पड़ी थी, कोशिश तो पूरी करती थी,पर .........., झूठ और फरेब की दुनिया में सच को लाने चली थी ,धोखों की एक लम्बी कडी मेरी लाश को भी गलाने लगी थी , चाहत कुछ और थी मेरी,पर मैं कुछ और ही करने लगी थी, कई बार धोखे खाये , फिर भी जल्द ही भरोसे कर लेती थी, ये जिन्दा लाश अब ईश्वर से भी नाता तोड़ने लगी थी , दूसरों की खुशी के लिए,गमों को पनाह देने लगी थी, आज जब फिर से धोखा मिला , तो...., ईश्वर के आगे रोने लगी थी । ©Kirti Sharma "मैं स्वयं" मेंने अपने आप को परखा , और कागज के एक टुकड़े पर उकेरा ।
smallp
अँधेरी रातों की सरगोशियाँ मेरे जिस्म पर ना उकेरो मैं तुम्हारे जिस्म से लिपटना चाहती हूँ #अँधेरी रातों की #सरगोशियाँ मेरे जिस्म पर ना उकेरो मैं तुम्हारे #जिस्म से लिपटना चाहती हूँ #erotica #lust #sex #adult #desi