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Jashvant
White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले ©Jashvant ग़ज़ल ( माँ )
K L MAHOBIA
White लगी आग घर में उसे तो बुझा दो। बुझा दीप घर का उसे तो जला दो। कहां से चले थे कहां आ गए हम जगे तम कहर की खबर को छुपा दो। जहां में भले की करो बात हर-दिन इसी से जहां से , बुरे को मिटा दो। खुशी है जहां में न शिकवा शिकायत भली ज़िन्दगी है जहां फिर निभा दो। सज़ा क्या लिखा है उसे तुम मुझे भी लिखी तो नहीं है किसी को वफ़ा दो। मिटा जिंदगी इश्क में आदमी है। उसी आदमी का मुझे तुम पता दो। दवा से बड़ी चीज हमको मिली है। मिटे रोग उसका कि ऐसी दवा दो। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #ग़ज़ल - के एल महोबिया
Deep Aviral
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते हैं उनको सुनाते रहना पेड़ों को अपना दुख बताते रहना घटती हो इज़्जत तो घटे मगर तुम उसकी गली से आते जाते रहना ये समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत तुमने की है सबको कराते रहना हमको मुहब्बत के ये मानी हैं बस चट्टानों को मखमल बनाते रहना ©Deep Aviral #ग़ज़ल
Dr Nutan Sharma Naval
Blue Moon ग़ज़ल रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा। धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना पड़ा। मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़। तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना पड़ा। अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले। सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा। जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है। सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा। चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं। ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा। जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर। तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा। ©Dr Nutan Sharma Naval #ग़ज़ल#रिश्ता#नूतन नवल
Dr Nutan Sharma Naval
ग़ज़ल दुआ मेरी भी अब हो गई कुबूल है। हो गई मुझसे शायद कोई भूल है। जिसने बरसों से मेरा पता न लिया। आना उसका यहां अब बेफिजूल है। बज्म में बैठकर मुस्कुराता था जो। और उसी बज्म का आज मकतूल है. मैने सोचा था अब वो कभी न मिले। कामरानी बहुत और वो मशगूल है। रंज है मुझको उससे मुलाक़ात का। मैं हूं नूतन सा गुल वो इक बबूल है। मकतूल-मारा हुआ कामरानी-कामयाब मशगूल-व्यस्त रंज दुःख ©Dr Nutan Sharma Naval #ग़ज़ल#ग़ज़ल_मन #नितन नवल
श्याम कौशिक
क्या कुछ हम में कमी है अभी इन चिराग़ों में रौशनी है अभी छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना चंद लम्हों की जिन्दगी है अभी रात के बाद सबेरा आयेगा नया आहट ऐसी ही आ रही है अभी बात तो पते की ही कहीं उस ने क्या कोई गुंजाइश बची है अभी हिम्मत जो बची है कैसे छोड़ दे आस दिल में ऐसी लगी है अभी श्याम कौशिक ©श्याम कौशिक #snowpark ग़ज़ल
Saurabh Saraswat
"नजरो का क्या कसूर जो दिल्लगी तुमसे हो गई" "तुम हो ही इतने प्यारे की मोहब्बत तुमसे हो गई" ♥️♥️💗💗 . ©Saurabh Saraswat #Love #शायरी #ग़ज़ल #Pr #beautiful
kirti tyagi
orange string love light मै एक ग़ज़ल हूं,, किट्टू की कलम से ✍️✍️ मैं एक ऐसी ग़ज़ल हूं जिसे तुम गुनगुना न पाओगे, आएगा जब भी ख्याल तेरे ख्यालों में मुझे भुला न पाओगे,, कुछ वक्त भी दगा करेगा कुछ तुम भी जुदा हो जाओगे, ए मेरे जिंदगी के खुबसूरत एहसास तुम मेरे एहसासों से मिट न पाओगे,, हां! मैं एक एक ऐसी ग़ज़ल हूं जिसे तुम गुनगुना न पाओगे,, समुन्द्र सी है शख्सियत मेरी तुम मुझे बांध न पाओगे, आएगा जब भी सैलाव मेरी जान तुम खुद ही बह जाओगे,, किनारे पर इंतजार जो यूं करोगे तो साहिल भी खुद ही बन जाओगे, मांझी के बिना तुम ही बताओ कैसे अपनी कश्ती को पार लगाओगे,, हां ! मैं एक ऐसी ग़ज़ल हूं जिसे तुम गुनगुना न पाओगे,, कभी चांदनी रातों में सुकून ए मोहब्बत मुझे ही पाओगे, पर कैसे मैं बताऊं कि वो मोहब्बत मुझसी मुझ से कैसे पाओगे,, मैं बहती धारा हूं क्या मुझे कभी समझ पाओगे, जब भी हो तपिश जिंदगी में मेरे ही आंचल की छांव बताओ कैसे पाओगे,, हां ! मैं एक ऐसी ग़ज़ल हूं जिसे तुम गुनगुना न पाओगे,, Kittu 🔥 ©kirti tyagi ## मैं एक ग़ज़ल हूं,,