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i_m_charlie...
बुरे वक्त में जब जरूरत होती है तब कुछ दोस्त भी साथ छोड़ देते है, फिर जब हमारा वक्त अच्छा चल रहा होता है तब वो वापस आते है हमारे पास और तब हम उस वक्त उनसे उनकी तरह ही पेश आते है तो उनको अच्छा नही लगता, तब बोलते है की पैसे आ गए है तो हवा में उड़ने लगा है, हां भाई उड़ने लगे है क्यूंकि जब हम जमीं के अंदर धस गए थे तब तो तुमने साथ नही दिया और आज अच्छे वक्त में तुम्हे हमारा साथ चाहिए ये कैसे मुमकिन है। ©i_m_charlie... #aaina लोगों को आइना दिखाओ तो उन्हे अच्छा नहीं लगता।
Imran Shekhani (Yours Buddy)
@barkat_official
@barkat_official
Ranjitvikash
Bharat Bhushan pathak
जय जय जय कात्यायिनी माई। कृपा करो माँ सदा सहाई।। हम सभी बालक हैं अज्ञानी। मार्ग दिखाओ माँ कल्याणी।। ©Bharat Bhushan pathak #navratri#माँ_कात्यायिनी जय जय जय कात्यायिनी माई। कृपा करो माँ सदा सहाई।। हम सभी बालक हैं अज्ञानी। मार्ग दिखाओ माँ कल्याणी।।
MohiTRocK F44
प्यार का अमृत पी पी कर जो पलते हैं बही सबसे ज्यादा जहर उगलते है सीधी राह दिखाओ इनको जितनी भी सांप हमेशा आड़े तिरछे चलते हैं ©MohiTRocK F 44 प्यार का अमृत पी पी कर जो पलते हैं बही सबसे ज्यादा जहर उगलते है सीधी राह दिखाओ इनको जितनी भी सांप हमेशा आड़े तिरछे चलते हैं #MohitRockF44 #h
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी । नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।। अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू । सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।। सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर । दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।। मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन । यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।। अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई । पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।। चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी । कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- किसी की किसी से लड़ाई नही है । लबों पे किसी के दुहाई नही है ।। जाँ बीमार की फिर बचाई नही है । हकीमों ने बोला कमाई नही है ।। तड़पता रहा मर्ज़ से वो भी अपने । कहा सबने इसकी दवाई नही है ।। डुबा ही दिया कर्ज़ ने देखो उसको । गरीबों की अब रह नुमाई नही है ।। यही वो जगह है जहाँ पर खुदा ने । सज़ा आदमी को सुनाई नहीं है ।। दिखाओ हमें भी यहाँ शख्स कोई । हुई जिसकी अब तक रिहाई नही है ।। चले ही गये सब जहाँ से थे आये । कभी मौत अपनी बुलाई नही है ।। न देखूँ उसे क्यूँ नज़र भर बताओ । बसी जाँ है जिसमें पराई नही है ।। प्रखर ही सुनाये मुहब्बत के किस्से । मुहब्बत में उसके जुदाई नही है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- किसी की किसी से लड़ाई नही है । लबों पे किसी के दुहाई नही है ।।