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बेजुबान शायर shivkumar
नमन मातृभाषा काव्य मंच दिनांक -१३/१०/२०२४ रावण """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" सोना के लंका रावण के,बढ़ावय ओखर मान । श्रीराम किरपा ले जर गिन, ये काज करिस हनुमान ।। पुतरा जरा रावण के,सब जीत परब मनावय जी । अपनेच भीतरी के रावण ला , काबर नि जरावय जी।। जीत होइस श्रीराम के,होइस रावण के अंत । मिट गईस बुराइ जमों,खुशी मनाइस संत भगवंत।। पाप मिटिस स़ंताप मिटिस,अउ गईस हे अहंकार । जीत होइस सत् के,मिट गइस सबो अतियाचार ।। हिय में श्रीराम बसाई ले,मिटय दुःख अऊ संताप । हिरदे ले रावण भाव मिटाइके,करौ कभु झिन पाप ।। का रावण जस बेवहार,अब हमला नई दिखथे। रावण के अच्छाई ले, का कोनो कछु अब सीखथे।। पुतरा जराये ले का कखरो,मन मा बदलाव आथे। कलयुगी रावण ले अब, कोन हर बचा पाथे ।। जोहार संग समीक्षा खातिर पठोवत हंव 🙏🏻 ।। मोहित कुमार शर्मा अमलेश्वर दुर्ग छत्तीसगढ़।। ©बेजुबान शायर shivkumar भक्ति सागर भक्ति फिल्म जय श्री राम भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना Sethi Ji puja udeshi Kshitija poonam atrey angel rai #कविता #कविता95 #बेजुबानशायर // रावण // सोना के #लंका रावण के,बढ़ावय ओखर मान ।
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Jay shree ram ©shree krishna #जन्मदिन #रामभक्त #हनुमान #का #सोने #की #लंका #जिसने #जलाई #हनुमानजयंती
kaushik
"हनुमानजी और सुंदर काण्ड" Caption में पढ़ें सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया ? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ! पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था ! दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी ! इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ! इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी ,
सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा गया ? हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थें और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थें ! पहला सुबैल पर्वत, जहां कें मैदान में युद्ध हुआ था ! दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों कें महल बसें हुए थें ! और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका नीर्मित थी ! इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी ! इस काण्ड की यहीं सबसें प्रमुख घटना थी ,
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'त्रिजटा' त्रिजटा रामभक्त विभीषणजी की पुत्री थी। इनकी माता का नाम शरमा था। वह रावण की भ्रातृजा थी। राक्षसी उसका वंशगुण है और रामभक्ति उसका पैतृक गुण । लंका की अशोक वाटिका में सीताजी के पहरेपर अथवा सहचरी के रूपमें रावणद्वारा जिस स्त्री-दल की नियुक्ति होती है, त्रिजटा उसमें से एक थी। #गुगल_पिक्चर #रामायण #त्रिजटा #लंका
#गुगल_पिक्चर #रामायण #त्रिजटा #लंका
read moreKareem Ali
किस #रावण की काटू बाहें-- किस लंका को आग लगाए... घर-घर #रावण,, पग-पग #लंका इतने #राम कहाँ से लाए ©Kareem Ali #Dussehra
CHANDRASEN KORI
मै रावण ही अच्छा हूँ... नीचे पूरी कवीता लिखी हुई है एक बार जरूर पढ़ें... 👇👇👇 मैं रावण ही अच्छा हूँ.... गर तुम राम बनकर सीता का ना सम्मान करो तब मैं रावन ही अच्छा हूँ.. तुम मार्यादा का ढोंग ओढ़कर महिला पर अत्याचार करो... तब मैं रावण ही अच्छा हूँ.. भेदभाव की भावना में तुम श्री राम का नाम भजो,
मैं रावण ही अच्छा हूँ.... गर तुम राम बनकर सीता का ना सम्मान करो तब मैं रावन ही अच्छा हूँ.. तुम मार्यादा का ढोंग ओढ़कर महिला पर अत्याचार करो... तब मैं रावण ही अच्छा हूँ.. भेदभाव की भावना में तुम श्री राम का नाम भजो,
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि ✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
#मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
read moreSanjay Jangid
नारी शोषण आज कल नारी का शोषण, हद से बढ़ता जाता है, फिर भी उनकी रक्षा को, ना कोई आगे आता है । रोज सेवरे मिल – जूल कर, नेताजी संसद सजाते है, नारी शोषण घटाने का, ना कोई नुस्का लाते हैं। लोग कहते हैं, नारी शोषण, राम यूग से आया है, सीता हरन से रावण ने, नारी शोषण बनाया है । एक बात तुम मुजको समजाओ, ये तुमको किसने बतलाया है, क्या लंका में रावण ने कभी, सीता को हाथ लगाया हे ? लंका में एक पेड़ के नीचे, सीता अकेली रह पाती थी, ना किसी शेतान की छाया, उस तक कभी पहोंच पाती थी । आज कल तो दीन-दहाड़े, बलात्कार किया जाता है, ओर संसद एक नेता आकर, उस पर शोक जताता है। कहाँ हे वो जांसी की रानी, दुनिया जिस्से डरती थी, शूरवीरो की टोली में, वो नारी अकेलि लड़ती थी। कहाँ हे वो चारण कन्या, जो शेर के पीछे भागी थी, शेर को मार गिराने की, लगनी जिस्को लागी थी । -संजू जांगिड Nari Shoshan
Nari Shoshan
read moreits_kundu_shayri
इस रामराज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा था सारी लंका थी सोने की मकान कोई ना कच्चा था दैत्य कुल कहो या पिशाच दानव हां राक्षस कहलाते थे तुम लोगो को तड़पाते हो वे लोगों को खाते थे राम राज्य में सब हो दुखी इससे तो मर जाना ही अच्छा था कदम कदम पर आज तुम देह नोच देते किसी देवी की अरे सीता को कभी खरोच अाई रावण का बाना सच्चा था इस रामराज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा था जैसे फिरते निर्बल असहाय भूखे नंगे लंका में कोई भूखा नंगा न था जैसे होते आज हर जगह दंगे लंका में कोई दंगा ना था पढ़ लिख कर भी मूर्ख बने हम क्या फायदा इस ज्ञान का दैत्य होकर भी रावण प्रसिद्ध विद्वान था आज ठोकर देते मातपिता को रावण राज में सम्मान था इंद्रजीत गया रण में उसे अपनी मौत का ज्ञान था शूरवीर पराक्रमी था वो पिता का आदर सच्चा था इस रामराज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा था सारी लंका थी ........................................ त्रेता युग का भारत तो स्वर्णयुग का भारत था स्नेह प्रस्पर निर्मल वायु जल भी हितकारक था सूखी प्रजा थी स्वच्छ तंत्र था संस्कृति की भरमार थी मगर आज यहां है लूट खसोट फैली त्वरित गति भ्रष्टाचार की आदर्श राजतंत्र हो आदर्श प्रजातंत्र हो मगर अब ये मुश्किल लगता है कलयुग के इस कालचक्र में हर सपना ओझिल लगता है लंका में तो एक विभीषण था आज हर घर विभीषण फैल राम भरत जैसा भ्रातस्नेह नहीं लक्ष्मण जैसा त्याग नहीं अब हर रिश्ते मट मैले है आडम्बर पाखंड , मतलब का बोला बाला है कोई कोई ही इंसान यहां अब सच्चा है इस राम राज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा है तिरस्कार इष्या द्वेष हरदम बुजुर्ग बिना घर आगन सुने लगते है उदाहरण क्या भला सब के सब नमूने लगते है राज संचालन को सब दोष देते खुद भी सम्मिलित भ्रष्टाचारी है पढ़ेलिखे होकर अनपढ़ को दी राजतंत्र की जिम्मेदारी है कपिल कैसे हो कल्याण विश्व का भारत था विश्वगुरु क्या ये सच्चा था इस राम राज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा था| इस रामराज से अच्छा तो रावण का राज ही अच्छा था - कपिल for more poetry follow my page on FB #कलम_का_सिपाही https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=442479373244141&id=442469223245156
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