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बेजुबान शायर shivkumar
जो पत्थर से बना होता है , वह मकान होता है । और जो आवासीय रहने वाले इंसानों के भावों से बना होता है , उसे सुन्दर घर कहते हैं ।। ©Shivkumar #beautifulhouse #Nojoto #House #Life जो #पत्थर से बना होता है वह #मकान होता है ।। और जो #आवासीय रहने वाले #इंसानों के #भावों से बना होता है उसे सुंदर #घर कहते हैं ।।
R K Mishra " सूर्य "
भावों में मेरे आओ, मैं राज़ बता दूंगा चाहत में समा जाओ जज़्बात बना लूंगा भावों में मेरे..... वैसे तो हजारों हैं ख्वाहिश ये मेरे दिल की ज़ख्मी हूं भले लेकिन उस पार लगा दूंगा भावों में मेरे..... जैसा भी हूं तेरा हूं जब चाहो परख लेना जो अपना बना लोगे मैं साथ निभा दूंगा भावों में मेरे..... तुमसे न छुपा कुछ भी क्या प्यास हमारी है दिल उमड़ रहा कबसे हर अश्क चढ़ा दूंगा भावों में मेरे..... कभी याद हमारी भी आती है तुम्हें बोलो मैं "सूर्य" गुनाहों की अब कितनी सजा दूंगा भावों में मेरे..... ©R K Mishra " सूर्य " #भावों#में Ashutosh Mishra Sethi Ji Neel Rama Goswami Babli Gurjar
RAAJ
मैं सौभाग्यशालिनी हूँ क्योंकि मैं भावों को शब्दों के पर देती हूँ नभ में उड़ा उन्हें नये अर्थों के घर देती हूँ वो खिलखिलाते जब दूर तलक उड़ जाते मैं मन ही मन स्वच्छंदता में विचर लेती हूँ वो ले आते जब नये भावों को मित्र बना मैं वात्सल्य से उन्हें अङ्गीकार कर लेती हूँ अक्षि पटल पर चलते नवचित्रों के नीचे मैं लिखकर अपना नाम अमर कर लेती हूँ ✍-राजकुमारी सभी रचनाकारों को समर्पित🙏 * #मैंसौभाग्यशालिनीहूँ #nojoto #Nojotohindi #quotes #kavita
सभी रचनाकारों को समर्पित🙏 * #मैंसौभाग्यशालिनीहूँ #Nojoto hindi #Quotes #kavita
read moreKUNDAN KUNJ
संगीत संगीत हमदम साथी है Frustration को दूर भगाती है। यह राग है विराग है सभी के मन का चिराग है। कभी हँसती है, कभी रूलाती है, मन के भावों को जुवां पर लाती है। दिल के अरमानो को शब्दों में सजाती है, शब्दों के माध्यम से दूसरों तक पहुँचाती है।। कभी देश प्रेम जगाती है कभी मन को हर्षाती है। अपनी भावों की गंगा में सभी को रंगाती है।। संगीत हमदम साथी है, .... दूर भगाती है। ##संगीत##
##संगीत##
read moreRamesh Singh
आत्मबोध और आत्मज्ञान ने सब कुछ विस्मित कर डाला। जीवन भर जो पीते थे वो अमृत था विष का प्याला।। निरुद्देश्य ही भावों की उत्पत्ति ने संतप्त किया। अंततोगत्वा ज्ञान के दीपक ने ही मार्ग प्रशस्त किया।। , कण कण में जो सार छिपे थे सारहीन थे ज्ञान बिना। यह शरीर भटक था वर्षों जब शरीर था प्राण बिना।। सौंदर्य रूप का दृष्टि से है सृष्टि में बस दृष्टि तक। सौंदर्य आत्म का मार्गद्वार है निर्विवाद ही कीर्ति तक।। , किस प्रकार मानव जीवन ये संशय करता रहता है। मोह पाश में बंधकर के वो स्वयं से डरता रहता है।। सरल नहीं यह परिभाषा न व्याख्यायित हो पाएगी। मुझ अबोध के शब्दों से क्या परिभाषित हो पाएगी।। , यह रचना है छ्द्म अगर तो सत्य नहीं क्या इस जग में। या प्रभाव है काल खंड जो चलता है अपने मद में।। शब्द शब्द ही शब्द शब्द के आशय को गढ़ सकतें है। शब्द स्वतंत्र हो मानव के क्या भावों को पढ़ सकते है।। , आश्चर्यजनक है प्रश्न मगर,यह प्रश्न रहेगा जीवन भर। जीवन दर्शन चिंतन है या चिंतन है बस चिंतन भर।।
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