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N.G.

रोज कि तरह ही मैं घर से काम पर और काम से घर के सफर को follow करते हुए घर जा रहा था, 
इस सफर में हमेशा कि तरह मेरी पारो (मेरी Bike) मेरे साथ थी, रास्ते में मझे किसी का call आया 
phone vibration पर था तो मुझे पता चल गया तो मैने धिरे से पारो पर बैठे बैठे ही अपने
 Phone को देखा तो screen पर मेरी जीजी का नाम था तो मैंने फोन अपने शर्ट के जेब मे
 यानी कि ऊपर वाले जेब मे रख दिया और फिर थोड़ा आगे जाकर पारो को side में रोका और जीजी को call किया,,
जीजी: हां, मैं घर पर आई हूं कितनी देर में आएगा घर??
मै : मै रास्ते में हूं अभी थोड़ी देर में पोहोच जाऊंगा,,,
जीजी: जल्दी आजा।
ओर जीजी ने call cut कर दिया मै खुश हुआ कि आज घर पर जीजी आई हैं,,, 
फिर tention भी हुई की बिना बताए जीजी अचानक घर क्यू आई होगी !
इतने में मेरे phone मे olx की तरफ से notification aaya:(Best deal available for you )
मैने उसे ओपन किया और देखा तो मेरी favourite car ki deal थी वो भी second hand जिसकी price 4 लाख रुपए थी 
, वैसे ये deal वाकई में बोहोत अच्छी थी लेकिन मेरी जिम्मेदारियां मुझे अपने शोख पर 4 रुपए भी खर्च करने कि इजाजत नहीं देती थी
, मै थोड़ा मायूस हुआ लेकिन मैने अपने फ़ोन को अपनी पेंट कि जेब मे संभाल कर रख
 और घर कि तरफ़ जाने लगा जैसे ही मैं अपनी गली में मुड़ा तो मेरी नजर मेरे घर पर पड़ी घर की सारी लाइट बंद थी
 मुझे थोड़ी घबराहट हुई और जैसे मै ghar के पास पोहोचा तो मेरे घर के सारे लोग गेट पर ही खड़े थे
,, में अपने घर के गेट पोहोचा और पारो की लाइट उनकी तरफ की
 जिससे मुझे उनके चेहरे दिखे मैने देखा कि उन लोगो के चेहरे पर खुशी है।। 
यह देखकर मेरी घबराहट का दिया तो बुझ गया लेकीन आखीर बात क्या हे इस सवाल की लालटेन अभी भी जल रही थी,
मैं अपनी पारो से उतरा और मां के पास गया और पूछा क्या हुआ मां आप सब लोग बाहर क्यू खड़े हों,,,??
मां: अपने भाई से पूछ
मै भाई से: क्या हुआ, आज तो जीजी भी आई हैं और आप सब लोग gate पर खड़े हैं,ghar कि सारी lights भी बंद हे ,,,
भाई: बस आज कुछ ख़ास बात है
मैं: क्या बात है वही तो पूछ रहा हूं
भाई: मै तूझे thanks बोलना चाहता हूं
मै: मतलब???
भाई: मतलब मुझे, पापा को मां को हमारे पूरे परिवार को जब भी तेरी जरूरत थी तू हमेशा हमारे साथ रहा है ,
 तूने सिर्फ़ अपनी नही बल्कि पापा की ओर मेरी भी जिम्मेदारियां निभाई हैं,
पापा के बीमार होने के बाद जब मेरा भी accident हो गया तो तुने अकेले ही अपने दम पर 
अपने सारे सपनों को मार कर घर की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है, पप्पा lights onn कीजिए ।
lights onn होते ही मेने घर की तरफ़ देखा तो "मेरी तो खुशी का ठिकाना ही न रहा"
मेरे घर के आंगन में मेरी favourite Car खड़ी थी वो भी brand New
पप्पा: ये तुम्हारे भाई ने तुम्हारे लिए खरीदी है
मै: पर भाई और पप्पा आपका बिजनेस तो health issues कि वजह से बंद हो गया था और इतनी महंगी car के लिए इतने पैसे कहा से आए!
भाई: बिजनेस बंद था तो फिर से शुरू हो गया पप्पा की पहचान और मेरे talent से 
मुझे दो बड़े projects मिले हैं और अब तो मैं ठीक भी हो गया हूं और ये car उन्ही projects में से एक के advance से लाया हूं
जीजी मेरे पास आई और बोली: तू चिंता मत कर सब ठीक हो जायेगा 4 साल से तूने लगातार काम किया है 
और अपने किसी भी शोख को पूरा  नहीं किया हमेशा हमारे लिए ही किया हे और
 इस projects ko पूरा करने में तेरे जीजाजी भी साथ है और payment भी tete जीजाजी के हाथ मे ही है तू बस खुश रह
जीजी कि बातों ने मेरे सवालों की सारी लालटेन को ठिकाने लगा दिया मेरी इस खुशी में मेरे आंसू भी शामिल हों गए,,
फिर पप्पा ने मुझे कार कि चाभी दी और बोले की चलो आज सब लोग बाहर खाने चलते हे और
 मुझसे पारो की चाभी की ओर पप्पा पारो को लेकर आगे चले और हम अपनी नई गाड़ी में जिसे हमने अभी तो कोई नाम नहीं दिया हैं 
आप comment karke बताइए कि गाड़ी का क्या नाम रखना चाहिए 🙏❣️
" तीर "

©N.G. परिवार सबसे पहले ❣️
#घर #परिवार #जिम्मेदारियां #कहानी #शोख #ngtirgar

Mukesh Poonia

मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। तुम मुझको कब तक रोकोगे..। में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | शीशे से कब त

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मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं |
दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं |
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। 
तुम मुझको कब तक रोकोगे...
- Motivational poem by 
Amitabh Bachchan मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | 
दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। 
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..।
 तुम मुझको कब तक रोकोगे..। 
में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | 
शीशे से कब त

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