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Ghumnam Gautam
ज़िन्दगी के जब हों चिथड़े और सीना चाक हो ख़्वाबों की तुरपाई करके आँखें ज़ख़्मी कीजिए ©Ghumnam Gautam #Shajar #ज़िंदगी #चिथड़े #सीना #ख़्वाब #तुरपाई #ज़ख़्मी #ghumnamgautam
Drg
ज़ख़्मी कर ख़ुद को, थोड़ा हँस लेती हूँ, कि जीने का नशा अब सिर्फ़ दर्द पीकर चढ़ता है जीने के लिए तू ज़रूरी है, जो तू नहीं तो दर्द सही.. #ज़ख़्मी #नशा #जीना #दर्द #yqdidi #yqbaba #latenightmusings
Aamir Qais AnZar
Bedard Ko koi Dard nahi. Fir bhi Dard hai, Ke Jo.. Humdard hai wo be-dard hai. Collaborating with YourQuote Baba #ज़ख़्मी #SochRaheHain #हमदम #बेदर्दी #EnlightenAQUA #3LineLovePoem #दर्दे #16wordlovepoem
uruva vadher(UV)
बेवफा की बस्ती में जो मोहोब्त की गलियां हुवा करती हे हम उनसे बोहोत दूर बसा करते थे, पर एक दिन उन गलयो से निकल कर एक ज़ख़्मी ने दस्तक दी हमारी बस्ती में उसने हमसे कहा चलो हमारे संग मोहोबातो की गलयो में, पर हमें याकि न था उस पर तो कहा उसने की में एक ज़ख़्मी हु तुम्हे ज़ख्म नहीं दूंगा। और हमभी उसकी बातों में आकर चल दिए मोहोब्त की गलियां देखने जो बेवफा की बस्ती में हुवा करती थी। अभी तो हमने सिर्फ एक-दो गलयो में कदम रखे थे तभी ऐसा हुवा की उस ज़ख़्मी के सारे ज़ख्म भर गए और उसे उसके ज़ख्म देने वाले की यद आ गई और मनो जैसे उसे भी बेवफा की बस्ती की हवा सी लग गई थी। इसी लिए उसने हमें ज़ख्म तो न दिए पर उन गलयो में तनहा सा छोड़ दिया और हम उन बस्ती से अंजान भटके हुवे मुसाफिर बने रोते हुवे बैठें थे। तभी ओ फिर से ज़ख्म खा के आये हमारे पास वापिस से उस गलयो में सफर करवाने और हम भी फिरसे चल दिए उन के संग यह सोचा इसबार तो मंज़िल मिलेगी हमे पर फिरसे उसने तीन चार गालिया घुमा कर अपनी औकात दिखा दी पर इसबार तो हमभी उनकी आदतों से और उन गलयो से वाकिफ हों चुके थे। और इसी लिए इस बार हम रोते हुवे उनके इंतज़ार में न बेठे पार उन बेवफा की बस्ती मे से रास्ता ढुंढ कर चेले आए हमारी वफ़ा की बस्ती में जहाँ हमारे यारो की मस्ती की गलिया हुवा करती है जहा सिर्फ ख़ुशी और दोस्तों की महफिले सजा करति हे। #बेवफाकीबस्ती , one tipe of my own life story , #stories#poetry
मेरेलफ़्जोंसे
मुस्कुराहट- 1 आज ऑफिस जाते वक़्त जब घर से कार ले कर निकला ही था के कुछ दूर जाते ही कार ख़राब हो गयी। पास के गैराज में जा कर मिस्त्री को दे आया के शाम तक ठीक हो जायगी। सारा दिन ऑफिस के काम में लगा रहा। जब घर को निकला तो साथ में काम करने वाला राहुल भी साथ था। हम अपनी पोस्ट और पैसे की बात करते हुए जब गैराज पहुंचे तो वहाँ एक १२ साल का लड़का काम कर रहा था। वही छोटू जो हर दुकान ठेले पर काम करते मिल जाता है बस किसी भी चहरे को ले लीजिये वो भी वैसा ही था। अपने काम में व्यस्त ज़ख़्मी हाथ पर चहरे पर मुस्कराहट लिए जैसे कोई दर्द ही नही उसको। मैं और राहुल 1 घंटे तक वहाँ थे और मेरा ध्यान राहुल की बातों पर कम और उस छोटू पर ज्यादा था। एक तरफ जहां हम अपने बॉस के ज़रा से नाराज़ होने पर परेशान हो जाते है। वही वो अपने मालिक की डांट और गालियाँ सुनते हुए भी हँसता हुआ काम कर रहा था। देख कर मन में एक सवाल आया के आज कल के बच्चो को हो क्या गया है। मालिक डांट रहा है और ये हँस रहा है। फिर वही ज़ख़्मी हाथ नज़र आ जाते तो लगता के बड़ा बहादुर और सहनशील लड़का है।मन इसी उथलपुथल में था के तभी गैराज के मालिक ने आवाज दी “साहब गाडी ठीक हो गयी है एक बार चेक कर लो चला कर।” .................... #copyright #merelafzonse मुस्कुराहट पार्ट 1 07/07/2018
मेरेलफ़्जोंसे
मुस्कराहट आज ऑफिस जाते वक़्त जब घर से कार ले कर निकला ही था के कुछ दूर जाते ही कार ख़राब हो गयी। पास के गैराज में जा कर मिस्त्री को दे आया के शाम तक ठीक हो जायगी। सारा दिन ऑफिस के काम में लगा रहा। जब घर को निकला तो साथ में काम करने वाला राहुल भी साथ था। हम अपनी पोस्ट और पैसे की बात करते हुए जब गैराज पहुंचे तो वहाँ एक १२ साल का लड़का काम कर रहा था। वही छोटू जो हर दूकान ठेले पर काम करते मिल जाता है बस किसी भी चहरे को ले लीजिये वो भी वैसा ही था। अपने काम में व्यस्त ज़ख़्मी हाथ पर चहरे पर मुस्कराहट लिए जैसे कोई दर्द ही नही उसको। मैं और राहुल 1 घंटे तक वहाँ थे और मेरा ध्यान राहुल की बातों पर कम और उस छोटू पर ज्यादा था। एक तरफ जहां हम अपने बॉस के ज़रा से नाराज़ होने पर परेशान हो जाते है। वही वो अपने मालिक की डांट और गालियाँ सुनते हुए भी हँसता हुआ काम कर रहा था। देख कर मन में एक सवाल आया के आज कल के बच्चो को हो क्या गया है। मालिक डांट रहा है और ये हँस रहा है। फिर वही ज़ख़्मी हाथ नज़र आ जाते तो लगता के बड़ा बहादुर और सहनशील लड़का है।मन इसी उथलपुथल में था के तभी गैराज के मालिक ने आवाज दी “साहब गाडी ठीक हो गयी है एक बार चेक करलो चला कर।” गाडी चेक करी सब कुछ ठीक था। पर घर जाने की जगह उस लड़के से पहले मिला। जा कर उससे बात की तो उसके बोलने के अंदाज़ से कोई नहीं कह सकता था के १० – १२ साल का कोई लड़का बोल रहा है। बात करने पर पता चला के २ साल पहले पिता टीबी की बीमारी के कारण दुनिया छोड़ गए। और उसके बाद से वो यहाँ काम कर रहा है और १५०० रुपये महीने कमाता है। घर में माँ एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है और घर की ज़िम्मेदारी प्रेम के ऊपर है जी हाँ प्रेम उस छोटू का नाम है प्रेम और उसकी कहानी ने उसके नाम को सिद्ध भी किया। आज मैं और राहुल को तो तनख्वाह मिली ही थी पर आज प्रेम को भी तनख्वाह मिलनी थी। आज जब गैराज के मालिक ने प्रेम को उसकी तनख्वाह दी तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उत्सुकतावश मैंने उसकी वजह पूछी तो प्रेम ने बड़े प्यार से जवाब दिया सर आज मेरी बहन का जन्मदिन है। वो सामने दूकान देख रहे है न। वहाँ एक गुडिया है जो मेरी बहन को पसंद है। मेरे पास अभी केवल २०० रुपये थे और गुडिया ४५० की है अब मालिक ने जो पैसे दिए है उन पैसे को मिला कर उसके लिए गुडिया खरीदूंगा वो बहुत खुश होगी। उसकी ऐसी बात सुन कर ऐसे लगा जैसे एक लम्बे अरसे के बाद नींद टूटी है। यहाँ हम अपनी नौकरी पैसे के आगे किसी का नहीं सोचते उल्टा खुद को काम में व्यस्त बता कर लोगो से दूरियां बना लेते है। कभी घर में माँ-बाप बीवी बच्चो के लिए सही से वक़्त ही नही निकालते। पर आज प्रेम की बातों ने मुझे फिर से जगा दिया और इस बात का अहसास कराया के जिंदगी में खुशीयाँ अपने आप नहीं मिलती है हर जगह ढूंढनी पड़ती है। खुद को खुशी तब ज़यादा होती है जब हमारी वजह से कोई अपना खुश हो। वैभव वर्मा 07/07/2018 #NojotoQuote मुस्कराहट #Hindistory #Blogger #Hindi #life #vaibhavrv
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