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Krish Vj
बचपन नादानी शरारतें मस्तियाँ यह खुशियों का अज़ीब नशा हैं वो आते थे, खेलने बाग में रोज दीदार हो जाते थे उनके हर रोज़ खेल-खेल में छुएं उनको हम यूँ एहसास अज़ीब सा करता दिल ना समझते थे, इश्क़ क्या है ? उनका साथ दिल को भाता था प्यार का इक़रार और इज़हार नहीं मेरे दिल को इससे इंकार भी नहीं मिलावट नहीं थी बचपन के इश्क़ में सच्चाई से परे , थी नादानी इश्क़ में खो गया है कहीं अब मिलता नहीं है मासूम सा सच्चा मेरे बचपन का प्यार बचपन नादानी शरारतें मस्तियाँ यह खुशियों का अज़ीब नशा हैं वो आते थे, खेलने बाग में रोज दीदार हो जाते थे उनके हर रोज़ खेल-खेल में छुएं उनको हम यूँ एहसास अज़ीब सा करता दिल
बचपन नादानी शरारतें मस्तियाँ यह खुशियों का अज़ीब नशा हैं वो आते थे, खेलने बाग में रोज दीदार हो जाते थे उनके हर रोज़ खेल-खेल में छुएं उनको हम यूँ एहसास अज़ीब सा करता दिल #collabwithme #कोराकाग़ज़ #बचपनकाप्यार #अल्फाज_ए_कृष्णा
read moreWriter1
बचपन का प्यार **************** अबोध था मन, साथ उसका ही प्यारा लगता था, वो पास घंटों बैठी रहती, तो वक्त हमारा लगता था। बचपन की दोस्ती सकून भरी, सुंदर नजारा लगता था, कहने भर से हो जाते थे, दुख दूर मेरे, इतना मासूम लगता था। वो यादों की गुलक में ना जाने कितने सिक्के होते है, उनसे खरीद नहीं सकते हम पर दुःख में मरहम लगता था। कभी नहीं भूलता, पता है क्यों, मासूम अदा सी होती है, जिस्मों की भूख नहीं, मासूम अदा नज़रें भी भेद सारे खोलती है। प्यार उसका,जीवन आधार, विश्वास उसका जैसे आत्म-बल, स्पर्श उसका मेरे जज़्बात, साथ उसका जैसे प्रभात, होना उसका मेरा शृंगार,जीवन उसका मेरा संसार। #कोराकाग़ज़ #colabwithकोराकागज़ #बचपनकाप्यार
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read moreAnit kumar kavi
तो बचपन के प्यार की कहानी में आपने पढ़ा कि किस तरह से आर्यन ने आंचल के परिवार के बारे में पता किया और फिर आगे की कहानी इस तरह से हैं, की आंचल के पापा एक अच्छी कंपनी में मैनेजर के पोस्ट पर है और आंचल पास के ही डिनोबली इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाती है यह सब जानने के बाद आर्यन अब हर रोज अपने घर के सामने आंचल का इंतजार करने लगा और मन ही मन उससे अपने प्यार का इजहार करने के बारे में सोचने लगा लेकिन जब आंचल उसके सामने आती तब आर्यन का दिल जोरो से धड़कने लगता मगर आर्यन अपनी जुबान से कुछ ना कह पाता और आर्यन बस उसे देखता ही रह जाता और मन में सोचता है कि क्या मैं कभी भी उसे अपने दिल का हाल बता पाऊंगा या नहीं एक रोज की बात है आंचल अपने स्कूल जा रही थी तभी आर्यन भी अपने स्कूल के लिए आंचल के पीछे पीछे निकल पड़ा और फिर आर्यन ने गौर किया तो देखा कि आंचल भी उसे अपने तिरछी नजरों से देख रही है तभी आर्यन ने भी अपने हाथ हिला कर हल्के से इशारा किया आंचल ने देखा और धीमे से उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और वह अपनी नजरें मिलाकर फिर अपनी नजरें झुका ली और अपने उस स्कूल की ओर जाने लगी लेकिन आर्यन का दिल कहां मानने वाला था वह भी उसे आखिर तक यूं ही निहारता रहा जब तक की वह अपने स्कूल के गेट के अंदर चल ना गई, बस इसी तरह से कई दिन गुजर गए लेकिन आर्यन के दिल ने एक दिन जवाब दे दिया... आगे की कहानी जरूर पढ़िएगा बचपन का प्यार पार्ट-3 ©Anit kumar #safarnama#कहानी#बचपनकाप्यार पार्ट-2
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