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Mahtab Alam
हर रोज चमन के फूल खिलते हैं यहाँ भौंरे डाली डाली फिरते हैं मेरे पास कोई आईना नहीं है लेकिन तू हो सामने तो हम ख़ुद से मिलते हैं तू न हो तो हम तन्हाई में जलते हैं तू साथ हो गर तो चराग जलते हैं तेरे न होने का ग़म मुझे कुछ यूँ है अश्क़ गिरते नहीं हम आँख मलते है तू हासिल हो न हो अलग बात है लेकिन तू इक ख़ाब है हम ख़ाब में टहलते हैं कुछ और नहीं ये मोहब्बत ही हैं तू मुस्कुराये तो हम उछलते हैं। #ख़ाब #मोहब्बत #आईना #yqdidi #yqlove #yqhindi #yqquotes
चन्द्र। अवस्थी
दर्द से परे एक ख्वाब क्या देखें, नुमाइश की जाती है यहां मोहब्बत के हौसलों की ©Awasthi Deep #ख़ाब #ग़ज़ल #khwaab
Vivek Bamrara
तू बोल तो राज की बात बता दूं क्या, तू है ख़ाब और तेरे है ख्याल ये तुझे समझा दु क्या बनावटी ये दुनिया,बनावटी इसके लोग इस दुनिया से दूर कहि तुझे छुपा दूँ क्या, मेरा लिखना और तेरा पढ़ना,यही तो रिस्ता है हमारा, तो मैं मतला हो जाता हूँ तेरा और तुझे ! अपना शेर बना दु क्या । ©Vivek Bamrara तू बोल तो राज की बात बता दूं क्या, तू है ख़ाब और तेरे है ख्याल ये तुझे समझा दु क्या बनावटी ये दुनिया,बनावटी इसके लोग इस दुनिया से दूर कहि तुझे छुपा दूँ क्या,
Parnassian's Cafe
#मोहब्बत इतनी की मुझे #नबाब कर देती है। #मज़बूरियाँ उसकी ला-#ज़बाब कर देती है।। हक़ीक़तन इश्क़ अब भी करती है मुझसे। मेरी #हक़ीक़त को वो #ख़ाब कर देती है।। एक ग़ज़ब की अदा है उसके हाथों में। छुए जो पानी तो पानी को #शराब कर देती है।।
Parnassian's Cafe
रोती हुई अँखियों के सहारे कुछ ख़ाब निकल गए। जोड़ा था कुछ अपनों को वो हिसाब निकल गए।। रोती हुई अँखियों के सहारे कुछ ख़ाब निकल गए। जोड़ा था कुछ अपनों को वो हिसाब निकल गए।। #रोती #हुई #अँखियों #के #सहारे #कुछ #ख़ाब #निकल #गए। #जोड़ा #था #कुछ #अपनों #को #वो #हिसाब #निकल #गए।। #lalitkumargautam #parnassianscafe #ललितकुमारगौतम
Saurabh Bhargava
एक ख़ाब जो देखा था मैंने वो पल भर में ही तोड़ गया, कितना समझाया खुद को मैं वो दिल में चाहत भर ही गया। कैसे रहूँ भला अब उसके बिन, किस हद तक उसको याद करूँ। वो क्या जाने मेरी चाहत को, कैसे दिल में उसके प्यार भरूँ। सोचा हमने कुछ और ही था, वो कुछ और समझ कर छोड़ गया। एक ख़ाब जो देखा था मैंने वो पल भर में ही तोड़ गया, कितना समझाया खुद को मैं वो दिल में चाहत भर ही गया। #read more poetry on pratilip click on the link.... "एक ख़ाब (गीत)", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/X6Ba89DJRzvl?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
Rajesh Raana
सरसों फूली पिली पिली , गेहूं की बालियां सपनीली, पेंच दे रही ज़िन्दगी लेकिन , उड़ी अपनी पतंग रंगीली । (१) आओ मिलकर ख़ाब गिनाए, किसके ज्यादा किसके कम । उम्मीदों की डोरी से बंधकर, उड़े अपनी पतंग हरदम । (२) हैं ज़िन्दगी गर पथरीली , तो पत्थरचट्टा क्यों न उगाये । सबकी ख्वाहिश है फूलों की , हम तुम काँटो को रिझाये । (३) है धुंआ अगर ज़िन्दगी तो , इसको छल्लों में उड़ाए । है ज़िन्दगी अगर पतंग तो , सातवे आसमान पर उड़ाए । (४) जीवन सुखदुख भरी टोकरी , अपनी पसंद की खुशियां छाँटे । जिस तक न पहुँची है अब तक , उस तक त्योहारों के पल बांटे , आओ तिलगुड़ लड्ड़ू , गुझिया बांटे ।। (५) (आप सब स्नेहीजन को मकर संक्रांति , पोंगल , बिहू , लोहड़ी पर्व की हार्दीक हार्दीक शुभ कामनाएं ) मकर संक्रांति #सरसों फूली पिली पिली , #गेहूं की #बालियां #सपनीली, #पेंच दे रही #ज़िन्दगी लेकिन , #उड़ी अपनी #पतंग #रंगीली । (१) आओ मिलकर #ख़ाब गिनाए, किसके ज्यादा किसके कम ।