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Abhishek Trehan
ख़्वाबों की बस्ती में यादों की कश्ती में सपना सुनहरा है जादू ये गहरा है छाई ख़ुमारी है खुशियों की बारी है आ जाओ संग मेरे खुशियाँ कितनी सारी हैं एक उम्र काटी है एक उम्र बितानी है अब तेरी पनाहों में रुठी किस्मत मनानी है... © abhishek trehan ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Krish Vj
ख़्वाबों की बस्ती बसी हर नगर-गाँव मनवा सभी का ख़्वाब देखे धूप-छाँव पहरा नहीं इस पर "ख़्वाब" अलबेला इत-उत भटके मन मेरा छैल-छबिला मुक़ाम हांसिल नहीं होता सबको यहाँ हर ख़्वाब को नसीब हैं, मंज़िल कहाँ कुछ बिखरते हैं कुछ संवरते "कृष्णा" विश्वास हिम्मत से हांसिल मुक़ाम यहाँ ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Sweta
ख्वाबों की बस्ती उजड़ने लगी के सन्नाटे अब घरों में बसने लगी हम गरीबों की जिंदगी बदलने लगी पहले से ज्यादा बदहाली छानें लगी हालत ये है कि बची - कुची जमा- पूंजी, भी बटुए से निकलने लगी बाहर अब कैसे ना जाये बच्चों के चहरे पर मायूसी अब छाने लगी बाहर वबा कोहराम मचाने लगी अंदर पेट की आग तड़पाने लगी सरकारी दावे खोखले नजर आने लगी Queen"मुफ़लिसी,अब रूलाने लगी !!! ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Poonam Suyal
में अपनी, मैं अपना जहां बसाना चाहूँ प्रेम और विश्वास, पलते हैं जहाँ ऐसा खूबसूरत जहां, क्यूँ ना मैं बनाऊँ खुशियों और शांति का, वहाँ होगा स्थान नफ़रत और अशांति को, दूर मैं भगाऊँ ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Anita Saini
दिल का दरिया सुना पड़ा है कोई सवार नहीं कश्ती में मैं खानाबदोश सा घूमता हूँ अक्सर ख़्वाबों की बस्ती में... ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Prerit Modi सफ़र
मायूस न हो चल उस तरफ़ ख़्वाबों की बस्ती है सोते हैं गहरी नींद उस तरफ़ ख्वाबों की बस्ती है डगर डगर मौत का पहरा है ज़ीस्त नहीं आसाँ चलते हैं चाँद की तरफ़ वहाँ ज़िन्दगी सस्ती है सब को मिलना है इस मिट्टी में, फ़िर कैसी अना फ़िर क्या तेरी और क्या मेरी यहाँ पर हस्ती है शोख़ियों में देखो ज़िन्दगी कितनी हसीं लगती है मय में नहीं, जो तुझमें भी है मुझमें भी मस्ती है लौट आओ अब ख्वाबों की दुनिया से 'सफ़र' संगदिल इस हयात में ग़मों की जबर्दस्ती है 🔹ग़मो की जबर्दस्ती है🔹 अना- ego शोख़ी- चंचलता मय- शराब ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़
अभिलाष सोनी
ख़्वाबों की बस्ती में तो, रोज आना जाना होता है। रोज उन्हीं पुरानी यादों का, सपना सजाना होता है। रोज एक नए ख़्वाब में, एक नया तराना रहता है। ख़्वाबों की दर-ओ-दीवार में, गुजरा ज़माना होता है। मिलती नहीं फुरसत, कि हक़ीक़त में उनसे रूबरू हों। ख़्वाबों की दहलीज में ही, उनका ठिकाना होता है। कैसे बनेगी मुक़म्मल दास्ताँ, कैसे ये कहानी बढ़ेगी। लोगों की ज़ुबान पे तो, बस एक ही तराना होता है। कि हक़ीक़त में शायद, हम मिल ना पाएंगे कभी। और सिर्फ कहने के लिए ही, ये अफ़साना होता है। मजबूर है दोनों की मोहब्बत और चाहत है अधूरी। क्या इसी तरह हक़ीक़त में, साथ निभाना होता है। ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
DR. SANJU TRIPATHI
ख्वाबों की बस्ती में मेरे ख्वाबों का डेरा है, कुछ ख्वाब तेरा है और कुछ ख्वाब मेरा है। मिलकर हमें अपने ख्वाबों को पूरा करना है, ख्वाबों के बिना हम सबका जीवन अधूरा है। काश! जिंदगी ख्वाबों सी हंँसी खूबसूरत होती, पर यहांँ आज इस, कल उस ख्वाब का बसेरा है। ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Abhishek Vishwakarma
ख्वाबों की बस्ती में यारों के संग मस्ती में हम सब देखो झूम रहे हिंडोले खाती कश्ती में।। एक दिन तन्हाई में ख्वाबों की परछाई में नज़ारा कितना धुंधला है देख! इतनी ऊंचाई में।। ज़ख्म हमारे गहरे हैं साहिल पे आके ठहरे हैं नींद ना आती रातों को हरदम देते पहरे हैं।। हरदम करते बाते हैं जो साथ हमारे आते हैं इंसानों की बस्ती में वही दिन और रातें हैं।। इतनी मुझको आस है वो अब भी मेरे पास है बेदर्द ज़माना जो भी बोले वो तो मेरी खास है।। ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
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