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Andy Mann
मन उस शव जैसा हो गया है जिसके भाग्य में अंतिम संस्कार तक नहीं ©Andy Mann #तन्हाईकामंज़र
Andy Mann
मिरे बिस्तर पे आज कोई नई कहानी जन्म न ले ले अगर यूँ ही इस पे सिलवटों से भरी रज़ाई पड़ी रहेगी ©Andy Mann #तन्हाईकामंज़र
poonam atrey
दिन महीने साल , सब बीत गए तन्हाई में, रो रोकर गुज़रा मई ,जून ,शायद वो आन मिलें जुलाई में, ©poonam atrey #तन्हाईकामंज़र
Manoj Kumar
निम्मी की कलम से
यूं ही तो नहीं रहा तन्हा सफर मेरा कोई न कोई तो रही बात है किसने दिया धोखा किसने दिल तोड़ा अपना समझने की भूल की ये सौगात है। ©शब्दकार निम्मी #तन्हाईकामंज़र
निम्मी की कलम से
सबके हिस्से नहीं आतीं जमाने की रौनकें वे तन्हा आते हैं,तन्हा रहते हैं,तन्हा ही मर जाते हैं। ©शब्दकार निम्मी #तन्हाईकामंज़र
Sonali Agrawal
तेरी रुसवाई का ये खंजर, आज भी मन झकझोर देता है, आज भी मुझको तोड़ देता है। आज तक है तेरे खंजर का असर, मन हुआ बड़ा घायल सा है। जो तेरी गलियों में भ्रमण करता था। मन जो तुझको नमन करता था। आज भी तेरा नाम लेता है। मानने को त्तैयार ही नहीं, की तू मेरा नहीं। तन्हाई का ये मंज़र वीरानी अंदर बाहर। #तन्हाईकामंज़र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Hemlata Pandey
काटने को दौड़ रहा है, हर पल लंबे लग रहे है, हर बात तुम्हारी याद दिला रही है, आंखे तुम्हारा इंतिजार कर रही है, तन्हाई का ये मंज़र बस काटने को दौड़ रहा है। तन्हाई का ये मंज़र वीरानी अंदर बाहर। #तन्हाईकामंज़र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
रिंकी✍️
कैसे कहूं कथा अपने मन की व्यथा मन में है दुख अपार पड़े टूट टूट कर जो बिखरा अब तक ह्रदय ये पीड़ा कब तक सहे जाने मन ही मन की घूटन गला वर्षो से घोट रहा आह ..! ये वेदना मुझे धीरे धीरे तोड़ रहा अंधकार की काली साया क्यो मेरे जीवन में आया सांसे है और ये जान बला जिंदा हूँ मगर न जाने मैं कितने बार मरा रिंकी✍️ #तन्हाईकामंज़र #यकबेस्टहिंदीकोट्स #पीड़ा #यकबाबा #यकदीदी #यकफ़ीलिंग्स
Ashish Kanchan
जब दिन ढले पसरता है काली तन्हाई का ये मंज़र, तूफ़ाँ सा उठने लगता है, इस ज़हन में ठहरा समंदर, भर जाते हैं ख़्यालों से उसके, फिर भी रहते हैं खाली, चाह में के क़िस्मत ले आये, फिर वो शाम पुरानीवाली, पूरी जो हो सकती थीं, अधूरी ख़्वाहिशें अब भटकती हैं, मोहब्बत तो हमारी लड़ लेती, पर उसकी कमज़ोरी खटकती है, अब बैठ सोच रहे हैं, सुबकते दिल का ना ऐसा बुरा हाल होता, किया होता फ़ैसले में शामिल उसने, तो शायद कम मलाल होता, अनदेखा किया होगा हमने इशारों को, वरना ऐसा हो कहाँ सकता है, तू ही बता ख़ुद से धोखा खाने का शौक़, आख़िर कौन यहाँ रखता है। - आशीष कंचन #तन्हाईकामंज़र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqbaba #yqhindi #yqtales Collaborating with YourQuote Didi