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PRAMILA LALIT SHUKLA
White मैं आजकल कविताएं नहीं लिख पाता,कहानियाँ लिख लेता हूँ। तुम भी तो अब चोटी नहीं बनाती, बस आनन-फानन में जूड़ा गूंथ लेती हो।।✍️✍️ "हिन्दी दिवस"✍️✍️ ©PRAMILA LALIT SHUKLA #hindi_diwas मैं आजकल #कविताएं नहीं लिख पाता,#कहानिया लिख लेता हूँ। तुम भी तो अब चोटी नहीं बनाती, बस आनन-फानन में जूड़ा गूंथ लेती हो।।✍️✍️ "हिन्दी दिवस"✍️✍️ अनमोल विचार बेस्ट सुविचार सुविचार इन हिंदी आज का विचार आज शुभ विचार
#hindi_diwas मैं आजकल #कविताएं नहीं लिख पाता,#कहानिया लिख लेता हूँ। तुम भी तो अब चोटी नहीं बनाती, बस आनन-फानन में जूड़ा गूंथ लेती हो।।✍️✍️ "हिन्दी दिवस"✍️✍️ अनमोल विचार बेस्ट सुविचार सुविचार इन हिंदी आज का विचार आज शुभ विचार
read moreDrg
बचपन की उन यादों में टिमटिमाती उन रातों में दादी, तेरी ही तो यह कहानिया थीं जो मुझे बेख़ौफ सुलाया करती थीं #बचपन #कहानिया #YQbaba #YQdidi #YQbhaijan
#बचपन #कहानिया #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan
read moreAltaf Husain
अरे मधु, सुरेश, बिना बताए अचानक, सब सही है ना ? प्रभाकर के प्रश्न' अभी खत्म नहीं हुए कि मधु प्रभाकर से लिपट कर रोने लगी... मधु के इस व्यवहार को देखकर, प्रभाकर पूछ पङा. मधु' क्या हुआ ? तुम रो क्यों रही हो... ससुराल में सब ठीक है ना, मधु के उत्तर ना मिलने पर प्रभाकर, सुरेश के तरफ देखा, और पूछा..... क्या बात है सुरेश ? अचानक बिना बताए यहां , और मधु' रो क्यों रही है ? सुरेश कुछ बोलना चाहा कि मधु बोल पङी, भइया, मैं अब ससुराल नही जाऊगीं। क्यों क्या बात हो गई ? बताओ क्या बात है, मधु कें बातों को
अरे मधु, सुरेश, बिना बताए अचानक, सब सही है ना ? प्रभाकर के प्रश्न' अभी खत्म नहीं हुए कि मधु प्रभाकर से लिपट कर रोने लगी... मधु के इस व्यवहार को देखकर, प्रभाकर पूछ पङा. मधु' क्या हुआ ? तुम रो क्यों रही हो... ससुराल में सब ठीक है ना, मधु के उत्तर ना मिलने पर प्रभाकर, सुरेश के तरफ देखा, और पूछा..... क्या बात है सुरेश ? अचानक बिना बताए यहां , और मधु' रो क्यों रही है ? सुरेश कुछ बोलना चाहा कि मधु बोल पङी, भइया, मैं अब ससुराल नही जाऊगीं। क्यों क्या बात हो गई ? बताओ क्या बात है, मधु कें बातों को
read moreAltaf Husain
या ख़ुदा! तुम पागल तो नहीं हो गई हो सुफिया, यह क्या बचपना है, तुम्हारा शौहर है, परिवार है, और तुम.... रिजवान के साथ जिंदगी बिताने की बात कर रही हो, तुम्हारे शौहर इक़बाल को, जब पता चलेगा कि उसकी बीवी किसी और से मोहब्बत करती है, तो उसके दिल पर तो क़यामत आ जाएगी... कुछ तो ह़या रख सोफिया , गुनाह मत कर। रुख़सार की बातों को सुनकर सुफिया बोली, मैं कोई गुनाह नहीं कर रही हूं रुख़सार, मोहब्बत करना कोई ग़ुनाह नहीं है, जो खुशी, सुकून मुझे रिज़वान से मिलता है... वह इकबाल से नहीं मिलता,और रुख़सार तुम तो जानती हो ना..
या ख़ुदा! तुम पागल तो नहीं हो गई हो सुफिया, यह क्या बचपना है, तुम्हारा शौहर है, परिवार है, और तुम.... रिजवान के साथ जिंदगी बिताने की बात कर रही हो, तुम्हारे शौहर इक़बाल को, जब पता चलेगा कि उसकी बीवी किसी और से मोहब्बत करती है, तो उसके दिल पर तो क़यामत आ जाएगी... कुछ तो ह़या रख सोफिया , गुनाह मत कर। रुख़सार की बातों को सुनकर सुफिया बोली, मैं कोई गुनाह नहीं कर रही हूं रुख़सार, मोहब्बत करना कोई ग़ुनाह नहीं है, जो खुशी, सुकून मुझे रिज़वान से मिलता है... वह इकबाल से नहीं मिलता,और रुख़सार तुम तो जानती हो ना..
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नीलम का मांगलिक होने के कारण, लड़का मिलना मुश्किल है। कहकर रामसिंह ने अखबार को सोफे पर फेंककर बैठ गयें, अरे.... ऐसे कैसे लड़का नहीं मिल रहा, चार समाज में जाओ, उठो-बैठो, तो ना पता चलेगा, यहां सोफे पर बैठे-बैठे लड़का खुद थोड़ी ना आ जाएगा। शकुंतला रामसिंह से बोली रामसिंह सोफे से उठ खड़े हुए,और अखबार को हाथ में लेकर बोले, तुम्हें क्या लगता है, मुझे नहीं चिंता है नीलम की, यह देखो अखबार में भी नीलम का रिश्ता डाला हूं... पर तुम्हें लगता है कि मैं बस बैठा हूं। नीलम की बढ़ती उम्र को लेकर चिंता में हूं,
नीलम का मांगलिक होने के कारण, लड़का मिलना मुश्किल है। कहकर रामसिंह ने अखबार को सोफे पर फेंककर बैठ गयें, अरे.... ऐसे कैसे लड़का नहीं मिल रहा, चार समाज में जाओ, उठो-बैठो, तो ना पता चलेगा, यहां सोफे पर बैठे-बैठे लड़का खुद थोड़ी ना आ जाएगा। शकुंतला रामसिंह से बोली रामसिंह सोफे से उठ खड़े हुए,और अखबार को हाथ में लेकर बोले, तुम्हें क्या लगता है, मुझे नहीं चिंता है नीलम की, यह देखो अखबार में भी नीलम का रिश्ता डाला हूं... पर तुम्हें लगता है कि मैं बस बैठा हूं। नीलम की बढ़ती उम्र को लेकर चिंता में हूं,
read moreAltaf Husain
मुझे नहीं लगता कि, मर्दों के अंदर अब स्त्रियों के प्रति सम्मान बची है। और सुभाष से मेरा रिश्ता टूटने का कारण यही था, कहती हुयी नीलम की आंखें भर आई। पर ताली तो एक हाथ से थोड़ी ना बजती है, कहीं ना कहीं...... चंदा की बातों को बीच में काटते हुए नीलम बोली, जब एक हाथ के उगंलिया बंद पड़ी हो ना तो ताली नही बजती...सुभाष का मेरे प्रति कोई सम्मान नहीं था, फिर तलाक लेने के अलावा कोई उपाय नहीं था मेरे पास। चंदा हंसते हुए बोली, स्त्रियों के सम्मान, वो भी मर्दों से.. नीलम! "हम गुलाब के पेड़ हैं, और यह जिस्म ग
मुझे नहीं लगता कि, मर्दों के अंदर अब स्त्रियों के प्रति सम्मान बची है। और सुभाष से मेरा रिश्ता टूटने का कारण यही था, कहती हुयी नीलम की आंखें भर आई। पर ताली तो एक हाथ से थोड़ी ना बजती है, कहीं ना कहीं...... चंदा की बातों को बीच में काटते हुए नीलम बोली, जब एक हाथ के उगंलिया बंद पड़ी हो ना तो ताली नही बजती...सुभाष का मेरे प्रति कोई सम्मान नहीं था, फिर तलाक लेने के अलावा कोई उपाय नहीं था मेरे पास। चंदा हंसते हुए बोली, स्त्रियों के सम्मान, वो भी मर्दों से.. नीलम! "हम गुलाब के पेड़ हैं, और यह जिस्म ग
read moreAltaf Husain
पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई... वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया, पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था। पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था। 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था
पत्र को पढ़ते ही मालती के आंखों में आंसू आ गई... वह एकदम शून्य सी खड़ी, पत्र में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ रही थी। कि कहीं उसने गलत तो नहीं पढ़ लिया, पर पत्र में लिखे हुए शब्द मालती के बह रहें आसुंओ का कारण बन चुका था। पत्र के साथ आयें सेमर का फूल (बाहर से सुन्दर,अन्दर से निराशा ) मानो मालती को पुर्ण स्त्री ना होने का संकेत दे रहा था। 8 साल हो चुके थे मालती की शादी को, ससुराल में उसके पांव चांदी के थाली में रखे गए थे। पर आज तक संतान सुख से वंचित है.... मालती का आज, दूसरा सावन होने को जा रहा था
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