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Khushi Kandu
(दोहा) दुःख दुविधा काहुं द्रवित, सुख सुविधा नहिं भ्रमित। माया कै प्रपंच सबहु, मन: हो नहिं शंकित।। ©Khushi Kandu #दोहाअभ्यास #khushikandu #khushithought #SunSet
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read moreKhushi Kandu
(दोहा) मन में बैठे चोर को, भाप न पाए कोय। जो जाने सकल जग यह, तो काहुं मरे कोय।। ©Khushi Kandu #SunSet #दोहा #दोहाअभ्यास #khushikandu #khushithought
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read moreGuru
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय। हीरा जनम अमोल है, कोड़ी बदली जाय॥ दुःख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे होय॥ ©Guru #WinterSunset #दोहाअभ्यास
Anuj Jain
कहने पे ही मैं लिख रहा, दोहा आज पहली बार, कठिन विधा है ये बहुत, उम्मीद है नही पड़ेगी मार। हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
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जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान। अर्थ- सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए। तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का उसे ढकने वाले खोल का। ©Guru #दोहाअभ्यास
Neetish Patel
जीवन को मत लीजिए, यूं हल्के मे मित्र इसकी लीला आज भी, है कल जैसी विचित्र #दोहाअभ्यास #दोहा_एक_कोशिश #yqdidi #yqbaba #challenge
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read moreDivyanshu Pathak
जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ ! बाहर नहीं भीतर ही है भगवान 😊🙏#दीप #राम #दोहाअभ्यास #छंदविचार #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Deepti Aggarwal....😊💐💐☕☕☕🐒 : जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है. लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते ! 💕💕🍧🍧🍨🍨💕😊🍉🍎👨
बाहर नहीं भीतर ही है भगवान 😊🙏दीप #राम #दोहाअभ्यास #छंदविचार #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Deepti Aggarwal....😊💐💐☕☕☕🐒 : जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है. लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते ! 💕💕🍧🍧🍨🍨💕😊🍉🍎👨
read moreAsha Giri
धीरे-धीरे रे मनुज, धीरे न सब कुछ होय, समय गया तो सब गया, बाद में कछु न प्राप्त होय।। हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
read moreDr Jayanti Pandey
सत्तर साल की इस नेतागिरी में,हम कौन सी मंजिल पाए लेकर चल रहे थे सबको काशी , मगहर दिया पहुंचाए। हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
हिन्दी की विभिन्न काव्य विधाओं में "दोहा" एक विशिष्ठ स्थान रखता है। दो पंक्तियों में एक पूर्ण विचार प्रस्तुत कर देने की क्षमता के चलते यह विधा आज भी प्रासंगिक है। दोहा, एक मात्रिक छन्द है। मात्राओं की गणना पर आधारित यह छन्द प्रत्येक पंक्ति में 13 और 11 मात्राओं के योग से बनता है। दोहे के चार चरण होते हैं। मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार "निदा फ़ाज़ली"
read moreShekhar
दोहा दुनिया मे सब कुछ मिला, नहीं मिला बस प्यार, जिसको भेजा फूल था, उसने भेजे खार। एक #दोहा देखिए Salik Ganvir rupam_poetry #छंद_ए_अक्स #yopodimo #दोहाअभ्यास #हिंदी #doha #thoughts #love
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