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Dr Ziddi Sharma
उगते सूरज को देखता हूँ तो नज़र गढ़ जाती है उसके बाद खुद से उम्मीद और बढ़ जाती है मन करता है आसमान छू लूं पर हालातों की हथकड़ी हाथों में अकड़ जाती है ये कैसी बेल है ख्वाहिशों की जो कभी रुकती नहीं हैं थोड़ा खाद पानी मिलते ही उचाईयों को चढ़ जाती है लोग कहते हैं के इतना दौड़ भाग क्यों करते हो सुकून से रहा करो मुझे सुकून कमाने के लिए इतना सब करने की ज़रूरत पड़ जाती है आराम तो कर लूँ पर इन आँखों को कैसे समझाऊँ एक गलती से बंद हो जाए तो दूसरी पहले वाली से लड़ जाती है किसीके लिए रुकना , इंतज़ार करना अब हो नहीं पाता मुझसे वो रेल हो गया हूँ जो एक प्लेटफार्म पे दो मिनट होते ही आगे बढ़ जाती है...... ©Dr Ziddi Sharma #mohitsharma #ziddisharma #MohitSharmaVidrohi
Dr Ziddi Sharma
वो पुरानी साईकल से शुरू हुआ सफर बड़ी गाड़ियों तक पहुंच चुका है पर वो अब भी चप्पलें डाल कहीं भी पैदल चल लेते हैं वो मानते क्यों नहीं गरीबी जा चुकी है अब भी वो अपने कपड़े नहीं बदलते हम चार पैसे आने के बाद अपनी फितरत बदल लेते हैं कहीं बाहर जाने से पहले जेब मे जबरन पैसे डालते हैं मैं कमा रहा हूँ ना पिताजी बोलूं तो आंखें निकालते हैं छाती चौड़ी तो होती है पर जताते नहीं हैं खुद की ज़रूरतें किसी को बताते नहीं हैं स्वाभिमान उनके लिए सबसे बड़ा है चिंता पहुंच नहीं पाती परिवार में जब तक पिता खड़ा है ©Dr Ziddi Sharma #mohitsharma #MohitSharmaVidrohi #ziddisharma
Dr Ziddi Sharma
वो सेकंड हैंड साईकल से शुरू हुआ सफर बड़ी गाड़ियों तक पहुंच चुका है पर वो अब भी चप्पलें डाल कहीं भी पैदल चल लेते हैं वो मानते क्यों नहीं गरीबी जा चुकी है अब भी वो अपने कपड़े नहीं बदलते हम चार पैसे आने के बाद अपनी फितरत बदल लेते हैं कहीं बाहर जाने से पहले जेब मे जबरन पैसे डालते हैं मैं कमा रहा हूँ ना पिताजी बोलूं तो आंखें निकालते हैं छाती चौड़ी तो होती है पर जताते नहीं हैं खुद की ज़रूरतें किसी को बताते नहीं हैं स्वाभिमान उनके लिए सबसे बड़ा है चिंता पहुंचने नहीं देता परिवार में जब तक पिता खड़ा है ©Dr Ziddi Sharma #ziddisharma #mohitsharma #MohitSharmaVidrohi
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नहीं कहना किसीसे किसी बात को बन्द होठों में समा लेना अपने जज़्बात को अपनी उम्मीद चाहत सपने आँसू दर्द किसी को दिखने ना देना मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को लड़ना अकेले खुशी मिलकर बांटना छोटी सी हार पे भी खुद को अकेले में ज़रूर डांटना सहारा ढूंढना नहीं किसी का बन जाना कहीं गलत हो तो वहीं तन जाना खुद पे खर्च थोड़ा कम करना मत सुनना ज़माने की बात को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को दुनिया प्यार तुमसे नहीं तुम्हारी जीत से करेगी सिर्फ तुमसे ही नहीं तुम्हारी हर चीज़ से करेगी हारना विकल्प है ही नहीं तुम्हें सिर्फ आगे बढ़ना है जो काम भले कोई नही कर पाए वो तुम्हें करना है खोजते मत रह जाना राह में किसी हमसफर के हाथ को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को ©Dr Ziddi Sharma #ziddisharma #mohitsharma #MohitSharmaVidrohi
#ziddisharma #mohitsharma #MohitSharmaVidrohi
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आंखें भीग जाती हैं जी भर के उसे देख नहीं पाता कान थकते नहीं है उसकी आवाज़ सुनने से खुद को रोक नहीं पाता वो मोबाइल से छिपा लेते हैं हर डीपी पे उन्हें जिनसे लगता है मेरी बहुत पुरानी जान पहचान है उन होठों को अब मैं देख नहीं पाता ©Dr Ziddi Sharma #ramleela #mohitsharma #ziddisharma
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गले मे लाल दुपट्टा ना डाला करो पुराने दिन याद आ जाते हैं उसपर भी मुस्कुराया ना करो पुराने दिन याद आ जाते हैं किसी और की किस्मत में कैसे लिख गया वो चेहरा जिसे चूमा करता था मैं मेरे सामने काला सूट ना पहना करो पुराने दिन याद आ जाते हैं .... ©Dr Ziddi Sharma #ziddisharma #mohitsharma
Dr Ziddi Sharma
ख्वाइश है के अपने इश्क़ की ऊन से तुम मेरे ख्वाबों का स्वेटर बुनो.... मैं सारी रात शायरी लिखूं और तुम मेरी गोद में सर रखके सुनो ...... ©Dr Ziddi Sharma #Hug #mohitsharma #ziddisharma
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ख्वाइश है के अपने इश्क़ की ऊन से तुम मेरे ख्वाबों का स्वेटर बुनो.... मैं सारी रात शायरी लिखूं और तुम मेरी गोद में सर रखके सुनो ...... ©Dr Ziddi Sharma #mohitsharma #ziddisharma
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भीगी थीं उसकी पलकें आखरी मुलाकात पर उस रोज़ जब मेरे सामने उसने आंख खोली न मैं कभी उसे पराया कर पाया ना उसने कभी ना बोली उसके चेहरे का वो रंग सच्चा था मंज़िल तक न पहुंचा पर वो सफर अच्छा था खुश हूँ के आज भी उसे मेरी याद आती है वरना ज़िन्दगी का क्या है वो तो गुज़र ही जाती है उसके लहज़े में मुझे अपने होने का एहसास सुनाई देता है बहुत चिंता करती है वो मेरी , उसकी आँखों का हर रोका हुआ आँसू मुझे आज भी दिखाई देता है , बस वो समय का धागा ही था जो कच्चा था मंज़िल तक न पहुंचा पर वो सफर अच्छा था मैं उसे भूल नहीं सकता वो मुझे भुला नहीं पाती हम मिलते भी तो नहीं हैं फिर भी नज़दीकियां नहीं जाती मेरी खैरियत आज भी ऐसे पूछती है मानों मुझपे उसका अधिकार है पर उसने कहा कभी नहीं कि उसे मुझसे प्यार है लोग भले उसे झूठ कहें मेरे लिए वो सच्चा था मंज़िल तक न पहुंचा पर वो सफर अच्छा था ©Dr Ziddi Sharma #Hum #mohitsharma #ziddisharma
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आज बड़े दिनों बाद उसका दिया परफ्यूम और बालों में हाथ घुमाया है , मुकद्दर फिर उसके शहर में बिना मकसद तो नहीं लाया है .... ©Dr Ziddi Sharma #rain #mohitsharma #ziddisharma
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